The News Air- (नई दिल्ली) पंजाब में करतारपुर कॉरिडोर खोलने के बाद भाजपा ने बड़ा चुनावी मास्टर स्ट्रोक खेल दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों के विरोध की वजह बने तीनों कृषि सुधार क़ानून रद्द करने की घोषणा कर दी। पंजाब में साढ़े 3 महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले ये फ़ैसला भाजपा को फल दे सकता है।
अहम यह भी है कि PM मोदी ने फ़ैसले के लिए गुरु पर्व का दिन चुना। जिस वक़्त पूरा सिख समाज पहले पातशाही गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व की ख़ुशियाँ मना रहा था, उसी बीच यह ऐलान होने से भाजपा ने सिख समाज से भावनात्मक रूप से जुड़ने की कोशिश की है। जानिए फ़ैसले से भाजपा को क्या फ़ायदा होगा…
पंजाब में मुश्किल राह आसान होगी
पंजाब में भाजपा के लिए कृषि क़ानूनों की वजह से रास्ता मुश्किल हो गया था। क़रीब 14 महीने से किसान इनका विरोध कर रहे थे। पंजाब में भाजपा के नेताओं को प्रचार तो दूर, कोई मीटिंग तक नहीं करने दी जा रही थी। ऐसे में यह ज़रूरी था कि क़ानून रद्द हों, क्योंकि इसके बगैर भाजपा को बड़ा सियासी नुक्सान होना तय था, जिसका इंपैक्ट देश के दूसरे राज्यों के चुनाव में भी होना था। अब भाजपा के लिए राह आसान हो सकती है। ख़ासकर, इसलिए भी कि पंजाब में भाजपा अकेले चुनावी मैदान में उतर रही है। वहीं 2024 में लोकसभा चुनाव से पहले पंजाब चुनाव के फ़ैसले से कोई विरोधी संदेश निकल सकता था।
जीत के लिए ज़रूरी किसान वोट बैंक सधेगा
पंजाब में कुल 117 विधानसभा सीटें हैं। इनमें से 40 अर्बन, 51 सेमी अर्बन और 26 रूरल सीट हैं। रूरल के साथ सेमी अर्बन विधानसभा सीटों पर किसानों का वोट बैंक हार-जीत का फ़ैसला करता है। ऐसे में पंजाब चुनाव से पहले भाजपा के लिए क़ानून वापस करना फायदेमन्द साबित हो सकता है।
फ़ैसले की टाइमिंग सिख बहुल सीटों पर असर डालेगी
पंजाब मालवा, माझा और दोआबा एरिया में बंटा हुआ है। सबसे ज़्यादा 69 सीटें मालवा में हैं। मालवा में ज़्यादातर रूरल सीटें हैं, जहां किसानों का दबदबा है। यही इलाक़ा पंजाब की सरकार बनाने में निर्णायक भूमिका निभाता है। 23 सीट वाले दोआबा में ज़्यादातर दलित असर वाली सीटें हैं। 25 सीटों वाले माझा में सिख बहुल सीटें हैं। गुरुपर्व पर लिए गए फ़ैसले से भाजपा के आगे सिखों से भावनात्मक रूप से जुड़ने की राह खुलेगी। ये वोट पाले में आए तो भाजपा के लिए प्लस पॉइंट होगा।
पंजाब में किसान मज़बूत, क्योंकि 75% आबादी खेती से जुड़ी
पंजाब की इकॉनामी एग्रीकल्चर पर आधारित है। खेती होती है तो उससे न केवल बाज़ार चलता है, बल्कि ज़्यादातर इंडस्ट्रीज भी ट्रैक्टर से लेकर खेतीबाड़ी का सामान बनाती हैं। पंजाब में 75% लोग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर खेती से जुड़े हैं। प्रत्यक्ष तौर पर जुड़े लोगों की बात करें तो इसमें किसान, उनके खेतों में काम करने वाले मज़दूर, उनसे फ़सल ख़रीदने वाले आढ़ती और खाद-कीटनाशक के व्यापारी शामिल हैं।
इनके साथ ट्रांसपोर्ट इंडस्ट्री भी जुड़ जाती है। आढ़तियों से फ़सल खरीदकर आगे सप्लाई करने वाले ट्रेडर्स और एजेंसियां भी खेती से ही जुड़ी हुई हैं। अगले फेज में शहर से लेकर गांव के दुकानदार भी किसानों से ही जुड़े हैं। फ़सल अच्छी होती है, तो फिर किसान ख़र्च भी करता है। इसके ज़रिए कई छोटे कारोबार भी चलते रहते हैं।