इस्लामाबाद, 27 दिसंबर (The News Air): लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के उप प्रमुख और 26/11 मुंबई हमलों के साजिशकर्ता अब्दुल रहमान मक्की की पाकिस्तान के लाहौर में मौत हो गई है। सूत्रों के अनुसार, मक्की पिछले कई दिनों से बीमार था और उसे डायबिटीज समेत कई गंभीर बीमारियों का इलाज चल रहा था। उसकी मौत से एक कुख्यात आतंकवादी का अंत हो गया है, जिसने वर्षों तक भारत और अन्य देशों में आतंकी गतिविधियों को अंजाम दिया।
मक्की का आतंकवाद से जुड़ा कॅरियर: अब्दुल रहमान मक्की 26/11 मुंबई आतंकी हमलों का प्रमुख योजनाकार था, जिसमें 166 निर्दोष लोगों की जान गई थी। मक्की ने इन हमलों के लिए धन उपलब्ध कराया था और आतंकियों को निर्देशित किया था। भारत की सुरक्षा एजेंसियों के लिए वह लंबे समय से सबसे वांछित आतंकवादी था।
इसके अलावा, मक्की का नाम कई अन्य आतंकी घटनाओं में भी सामने आया। 2000 में दिल्ली के लाल किले पर हुए हमले से लेकर 2018 में कश्मीरी पत्रकार शुजात बुखारी की हत्या तक, मक्की का आतंकवाद का इतिहास व्यापक और घिनौना रहा है।
पाकिस्तान में गिरफ्तारी और सजा: पाकिस्तान सरकार ने मई 2019 में अंतरराष्ट्रीय दबाव के बाद मक्की को गिरफ्तार किया और उसे लाहौर में नजरबंद कर दिया। 2020 में पाकिस्तानी अदालत ने मक्की को आतंकवादी वित्तपोषण के मामलों में दोषी पाया और उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई। हालांकि, उसकी मौत ने सजा का अंत कर दिया।
रेड फोर्ट और अन्य हमलों में भूमिका: मक्की का नाम भारत के लाल किले पर 2000 में हुए आतंकी हमले में भी शामिल था, जिसमें भारतीय सेना के जवान मारे गए थे। इसके अलावा, कश्मीर में कई आतंकी घटनाओं में उसकी भूमिका थी, जिनमें भारतीय नागरिकों और सुरक्षाबलों को निशाना बनाया गया।
अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद में मक्की की भूमिका: अब्दुल रहमान मक्की का नाम वैश्विक आतंकवादी सूची में शामिल था। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने 2023 में उसे ग्लोबल टेररिस्ट घोषित किया। इसके बाद, अमेरिका और अन्य देशों ने उसकी संपत्तियों को जब्त करने और आतंकवादी संगठनों को वित्तपोषण रोकने के लिए कार्रवाई की।
मौत का प्रभाव: मक्की की मौत पाकिस्तान में हुई, लेकिन इसका असर भारत और दुनिया भर में देखा जा सकता है। लश्कर-ए-तैयबा की गतिविधियों पर इसका प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ सकता है। भारत सरकार इस मौके को लश्कर और अन्य आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई को तेज करने के लिए इस्तेमाल कर सकती है।
भारत की प्रतिक्रिया: मक्की की मौत के बावजूद, भारत सरकार सतर्क है। भारतीय सुरक्षा एजेंसियां और विदेश मंत्रालय लश्कर-ए-तैयबा की गतिविधियों पर नजर बनाए हुए हैं। यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि मक्की की मौत के बाद भी संगठन को कमजोर किया जा सके।
विशेषज्ञों की राय: आतंकवाद विशेषज्ञों का मानना है कि मक्की की मौत से लश्कर-ए-तैयबा के अंदर सत्ता संघर्ष बढ़ सकता है। इससे संगठन की कमजोर कड़ियां उजागर हो सकती हैं, जिसे भारत और अन्य देशों के लिए एक अवसर माना जा रहा है।
अब्दुल रहमान मक्की, जो लश्कर-ए-तैयबा के शीर्ष नेताओं में से एक था, अब इस दुनिया में नहीं है। उसकी मौत आतंकी संगठनों के लिए एक बड़ा झटका हो सकती है। भारत और अन्य देशों के लिए यह समय आतंकवाद के खिलाफ कड़े कदम उठाने का है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
क्या उखाड़ लिया इन्होंने, आखिर मरा तो ओ बीमारी से। यही अमेरिका या इजरायल होता, तो कब का मर चुका होता। और मोदी चिल्लाते रहते है की भारत को सुपरपावर बना दिया।