Wayanad Landslide: वायनाड में आई आपदा जलवायु परिवर्तन का नतीजा है, ये दावा वैज्ञानिकों की एक वैश्विक टीम ने की है, जिन्होंने इस त्वरित अध्यन के बाद ये दावा किया है. दावे के अनुसार केरल के पारिस्थितिक रूप से नाजुक वायनाड जिले में 10 प्रतिशत अधिक वर्षा के चलते में घातक भूस्खलन हुआ, जो जलवायु परिवर्तन का नतीजा है. टीम में शामिल भारत, स्वीडन, अमेरिका और ब्रिटेन के शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि जैसे-जैसे जलवायु गर्म होती जाएगी, ऐसी घटनाएं आम होती जाएंगी.
एक दिन में भारी वर्षा की घटना में वृद्धि
हालांकि, वैज्ञानिकों ने कहा कि मॉडल के परिणामों में “अनिश्चितता का उच्च स्तर” है, क्योंकि अध्ययन क्षेत्र छोटा और पहाड़ी है तथा वहां वर्षा-जलवायु गतिशीलता जटिल है. उन्होंने ये भी कहा कि एक दिन की भारी वर्षा की घटनाओं में वृद्धि, भारत सहित गर्म होते विश्व में अत्यधिक वर्षा के बारे में बढ़ते वैज्ञानिक प्रमाणों से मेल खाती है, तथा ये समझ भी सामने आती है कि गर्म वातावरण में अधिक नमी होती है, जिसके कारण भारी वर्षा होती है.
वैज्ञानिकों के अनुसार, वैश्विक तापमान में प्रत्येक एक डिग्री सेल्सियस की वृद्धि से वायुमंडल की नमी धारण करने की क्षमता लगभग 7 प्रतिशत बढ़ जाती है.
डब्ल्यूडब्ल्यूए के वैज्ञानिकों ने कहा कि हालांकि वायनाड में भूमि आवरण, भूमि उपयोग में परिवर्तन और भूस्खलन के जोखिम के बीच संबंध मौजूदा अध्ययनों से पूरी तरह स्पष्ट नहीं है, लेकिन निर्माण सामग्री के लिए उत्खनन और वन आवरण में 62 प्रतिशत की कमी जैसे कारकों ने भारी वर्षा के दौरान ढलानों पर भूस्खलन की संभावना को बढ़ा दिया है.
खनन और वन हानि भी है कारण
अन्य शोधकर्ताओं ने भी वायनाड भूस्खलन को वन आवरण की हानि, नाजुक इलाकों में खनन और लंबे समय तक बारिश के बाद भारी वर्षा के संयोजन से जोड़ा है.
अरब सागर में बढ़ रही गर्मी भी है कारण
कोचीन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीयूएसएटी) के उन्नत वायुमंडलीय रडार अनुसंधान केंद्र के निदेशक एस अभिलाष ने इससे पहले पीटीआई को बताया था कि अरब सागर के गर्म होने से गहरे बादल तंत्र बन रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप केरल में अल्प अवधि में अत्यधिक भारी वर्षा हो रही है और भूस्खलन का खतरा बढ़ रहा है.
उन्होंने कहा, “हमारे शोध में पाया गया कि दक्षिण-पूर्वी अरब सागर गर्म हो रहा है, जिसके कारण केरल के ऊपर का वायुमंडल ऊष्मागतिकीय रूप से अस्थिर हो रहा है. ये अस्थिरता गहरे बादलों के निर्माण को बढ़ावा दे रही है.”
पिछले वर्ष इसरो के राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र द्वारा जारी भूस्खलन एटलस के अनुसार, भारत के शीर्ष 30 भूस्खलन-प्रवण जिलों में से 10 केरल में हैं, तथा वायनाड 13वें स्थान पर है.
62 प्रतिशत वन हो चुके हैं गायब
स्प्रिंगर द्वारा 2021 में प्रकाशित एक अध्ययन में कहा गया है कि केरल में सभी भूस्खलन हॉटस्पॉट पश्चिमी घाट क्षेत्र में हैं और इडुक्की, एर्नाकुलम, कोट्टायम, वायनाड, कोझीकोड और मलप्पुरम जिलों में केंद्रित हैं. इसमें कहा गया है कि केरल में कुल भूस्खलन का लगभग 59 प्रतिशत हिस्सा बागान क्षेत्रों में हुआ है.
वायनाड में घटते वन क्षेत्र पर 2022 के एक अध्ययन से पता चला है कि 1950 और 2018 के बीच जिले में 62 प्रतिशत वन गायब हो गए, जबकि वृक्षारोपण क्षेत्र में लगभग 1,800 प्रतिशत की वृद्धि हुई.