Caste Census Decision : जातिगत जनगणना (Caste Census) के मुद्दे पर नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) सरकार के हालिया फैसले को लेकर राष्ट्रीय जनता दल (RJD) प्रमुख लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) की तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने कहा कि जब वे और उनके जैसे अन्य समाजवादी नेता जातिगत जनगणना की मांग करते थे, तो उन्हें जातिवादी कहा जाता था। आज वही मांग केंद्र सरकार ने मानी है, जो समाजवादियों की वर्षों पुरानी सोच का परिणाम है।
लालू यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (Social Media Platform X) पर लिखा कि जब वे जनता दल (Janata Dal) के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे और संयुक्त मोर्चा सरकार (United Front Government) का नेतृत्व कर रहे थे, तब 1996-97 में ही 2001 की जनगणना में जातिगत गणना का निर्णय कैबिनेट से पास करवा लिया गया था। लेकिन वाजपेयी सरकार (Vajpayee Government) ने उसे लागू नहीं किया।
मेरे जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते दिल्ली में हमारी संयुक्त मोर्चा की सरकार ने 1996-97 में कैबिनेट से 2001 की जनगणना में जातिगत जनगणना कराने का निर्णय लिया था जिस पर बाद में NDA की वाजपेयी सरकार ने अमल नहीं किया।
2011 की जनगणना में फिर जातिगत गणना के लिए हमने संसद में जोरदार…
— Lalu Prasad Yadav (@laluprasadrjd) April 30, 2025
इसके बाद 2011 की जनगणना में उन्होंने, मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) और शरद यादव (Sharad Yadav) के साथ मिलकर संसद में जातिगत जनगणना की मांग को लेकर कई दिनों तक संसद की कार्यवाही को ठप रखा। तब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) ने सामाजिक आर्थिक सर्वेक्षण (Socio-Economic Survey) कराने का आश्वासन दिया, जिसके बाद संसद चली। लालू ने कहा कि देश में पहली बार जातिगत सर्वे बिहार में उनकी 17 महीने की महागठबंधन सरकार (Mahagathbandhan Government) में ही हुआ था।
लालू यादव ने संघ और केंद्र पर सीधा निशाना साधते हुए कहा कि “हम जो 30 साल पहले सोचते हैं, वही आज संघी अपनाने को मजबूर हो रहे हैं। अभी बहुत कुछ बाकी है। हम इन संघियों को हमारे एजेंडे पर नचाते रहेंगे।” उन्होंने कहा कि जातिगत जनगणना की मांग करने पर जिन्हें जातिवादी कहा गया, उन्हें आज ऐतिहासिक न्याय मिला है।
इस फैसले की आधिकारिक घोषणा केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव (Ashwini Vaishnaw) ने की। उन्होंने बताया कि कैबिनेट कमेटी ऑन पॉलिटिकल अफेयर्स (CCPA) की बैठक में यह फैसला लिया गया है कि अगली जनगणना में जातिगत गणना को औपचारिक रूप से शामिल किया जाएगा। यह कदम उन सभी इंडिया अलायंस (INDIA Alliance) सहयोगी दलों की वर्षों पुरानी मांग का उत्तर है, जो इस विषय पर लगातार आवाज़ उठाते रहे हैं।
यह निर्णय देश की राजनीति में जाति आधारित डेटा और सामाजिक न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। लालू यादव जैसे नेताओं की प्रतिक्रिया इस विषय पर बहस को और तीव्र करेगी, और आने वाले समय में यह मुद्दा राजनीतिक विमर्श के केंद्र में रहेगा।