कोलकाता (Kolkata), 18 जनवरी (The News Air): कोलकाता के आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज (R.G. Kar Medical College) की महिला डॉक्टर के साथ हुए जघन्य रेप और मर्डर केस में सियालदह कोर्ट (Sealdah Court) ने मुख्य आरोपी संजय रॉय (Sanjay Roy) को दोषी ठहराया है। यह फैसला सीबीआई (CBI) की ओर से पेश की गई फॉरेंसिक रिपोर्ट, 50 गवाहों के बयान और अन्य सबूतों के आधार पर दिया गया।
162 दिनों की सुनवाई के बाद इस मामले में न्याय मिला, लेकिन पीड़िता के पिता ने सीबीआई जांच और कोर्ट की प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाए हैं।
162 दिनों की सुनवाई और फैसले का दिन : शनिवार दोपहर करीब 1 बजे सियालदह कोर्ट के न्यायाधीश अनिर्बन राय (Anirban Roy) ने कोर्ट रूम नंबर 210 में दोषी संजय रॉय को पेश किए जाने के बाद सजा पर बहस सुनी। सीबीआई ने अपनी दलीलों में “सजा ए मौत” की मांग की।
9 जनवरी को आखिरी सुनवाई के दौरान सीबीआई ने अपनी रिपोर्ट में यह दावा किया कि घटना को केवल संजय रॉय ने अंजाम दिया।
पीड़िता के पिता ने उठाए सवाल : पीड़िता के पिता ने इस फैसले पर असंतोष जताते हुए कहा कि सीबीआई जांच में कई खामियां थीं।
उन्होंने कहा: “सीबीआई हमें बार-बार कहती रही कि कोर्ट में जाने की जरूरत नहीं है। हमें यह भी नहीं बताया गया कि कोर्ट में क्या चल रहा है।”
पीड़िता के पिता ने आरोप लगाया कि जांच टीम ने घटना के समय ड्यूटी पर मौजूद स्टाफ से सही से पूछताछ नहीं की। उन्होंने कहा कि उनकी बेटी की गर्दन पर काटने के निशान थे, लेकिन वहां से डीएनए स्वाब नहीं लिया गया।
राज्यसभा सांसद और महिला आयोग ने उठाए सवाल : राष्ट्रीय महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद रेखा शर्मा (Rekha Sharma) ने भी जांच पर सवाल खड़े किए।
उन्होंने कहा: “मुझे नहीं लगता कि इस अपराध में केवल एक व्यक्ति शामिल है। इसके पीछे वित्तीय घोटाले के सबूत भी सामने आए हैं। कोर्ट को सभी दोषियों को कड़ी सजा देनी चाहिए।”
जांच में बड़ी चूक के आरोप : जांच के दौरान पीड़िता के परिवार ने कई बार शिकायत की कि पुलिस और सीबीआई ने घटना के सभी पहलुओं की जांच नहीं की।
- फॉरेंसिक रिपोर्ट में खामियां: डीएनए रिपोर्ट में चार लड़कों और एक लड़की की उपस्थिति का जिक्र है, लेकिन अन्य संदिग्धों पर कार्रवाई नहीं हुई।
- स्वाब नमूने नहीं लिए गए: पीड़िता के शरीर पर मिले निशानों का सही तरीके से फॉरेंसिक परीक्षण नहीं हुआ।
- ड्यूटी स्टाफ से पूछताछ नहीं: घटना के समय मौजूद मेडिकल स्टाफ से पूछताछ अधूरी रही।
इस केस ने कोलकाता समेत पूरे देश को झकझोर दिया। आरोपी को दोषी ठहराने के बाद भी पीड़िता के परिवार के सवाल कोर्ट और जांच एजेंसियों की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करते हैं। क्या पीड़िता को पूरा न्याय मिला? यह सवाल अब भी अनुत्तरित है।
आपकी क्या राय है? क्या इस मामले की पुनः जांच होनी चाहिए?