नई दिल्ली (New Delhi), 24 जनवरी (The News Air): ब्रिटेन में कंगना रनौत (Kangana Ranaut) की फिल्म ‘इमरजेंसी’ को लेकर विवाद गहरा गया है। हारो (Harrow) स्थित व्यू सिनेमा (Vue Cinema) में फिल्म की स्क्रीनिंग के दौरान नकाबपोश खालिस्तानी समर्थकों ने उत्पात मचाया। इस हिंसा के चलते स्क्रीनिंग को रोकना पड़ा। भारत के विदेश मंत्रालय (MEA) ने इस घटना पर गहरी चिंता व्यक्त की है और ब्रिटिश सरकार से जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
स्क्रीनिंग पर हमला: क्या हुआ?
रविवार रात हारो व्यू सिनेमा (Harrow Vue Cinema) में नकाबपोश खालिस्तानी समर्थक पहुंचे और फिल्म ‘इमरजेंसी’ की स्क्रीनिंग बाधित कर दी।
हमलावरों ने भारत विरोधी नारे लगाए और दर्शकों को डराने की कोशिश की। इसके बाद सिनेमाघर प्रबंधन ने फिल्म की स्क्रीनिंग रोक दी।
प्रमुख घटनाएं:
हिंसा और विरोध प्रदर्शन:
बर्मिंघम (Birmingham), वॉल्वरहैम्प्टन (Wolverhampton), और वेस्ट लंदन (West London) के अन्य सिनेमाघरों में भी खालिस्तानी समर्थकों ने विरोध प्रदर्शन किया।फिल्म को हटाने का दबाव:
व्यू सिनेमा और सिनेवर्ल्ड (Cineworld) ने प्रदर्शनकारियों के दबाव में ‘इमरजेंसी’ की कई स्क्रीनिंग रद्द कर दी।
भारत की कड़ी प्रतिक्रिया
भारत सरकार ने इन घटनाओं पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल (Randhir Jaiswal) ने कहा:
“अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए। जो लोग इसे बाधित कर रहे हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। हमें उम्मीद है कि यूके सरकार जिम्मेदार व्यक्तियों को जवाबदेह ठहराएगी और भारतीय समुदाय की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी।”
ब्रिटिश संसद में मामला उठाया गया
ब्रिटेन की कंजर्वेटिव पार्टी (Conservative Party) के सांसद बॉब ब्लैकमैन (Bob Blackman) ने इस मुद्दे को हाउस ऑफ कॉमन्स (House of Commons) में उठाया। उन्होंने गृह मंत्री से अपील की कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कदम उठाए जाएं।
ब्लैकमैन ने कहा:
“फिल्म को सेंसर बोर्ड ने मंजूरी दी है, और इसे देखने का हर व्यक्ति का अधिकार है। प्रदर्शन करना हर किसी का अधिकार है, लेकिन स्क्रीनिंग को बाधित करना अस्वीकार्य है।”
फिल्म ‘इमरजेंसी’ और विवाद
कंगना रनौत अभिनीत ‘इमरजेंसी’ भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) के कार्यकाल के दौरान 1975-77 के आपातकाल पर आधारित है।
फिल्म को सिख विरोधी बताया जा रहा है, और इसे लेकर सिख प्रेस एसोसिएशन (Sikh Press Association) ने आपत्ति जताई है।
प्रदर्शनकारियों की मुख्य आपत्ति:
- फिल्म को “सिख विरोधी भारतीय राज्य का प्रचार” करार दिया गया है।
- ऐतिहासिक घटनाओं के चित्रण को सिख समुदाय के खिलाफ बताया गया है।
विवाद के कारण:
- ब्रिटिश सिख समूहों ने इसे भारतीय राजनीति का “भ्रामक चित्रण” बताया।
- फिल्म को बर्मिंघम, स्लो (Slough), फेल्थम (Feltham), और अन्य शहरों के सिनेमाघरों से हटा दिया गया।
भारत की मांग: दोषियों के खिलाफ सख्त कदम
भारत सरकार ने यूके प्रशासन से अपील की है:
जिम्मेदार व्यक्तियों पर कार्रवाई: हिंसक विरोध में शामिल लोगों को तुरंत गिरफ्तार कर कानूनी कार्रवाई की जाए।
भारतीय समुदाय की सुरक्षा: यह सुनिश्चित किया जाए कि यूके में भारतीय और सिख समुदाय बिना किसी डर के रह सकें।
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का संरक्षण: सेंसर बोर्ड द्वारा पास की गई किसी भी फिल्म की स्क्रीनिंग में बाधा डालने वालों को दंडित किया जाए।
फिल्म ‘इमरजेंसी’ पर बढ़ते विवाद ने ब्रिटेन और भारत के बीच कूटनीतिक संबंधों को प्रभावित किया है। भारत सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि ऐसी घटनाओं को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
क्या आप मानते हैं कि विरोध प्रदर्शन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हिस्सा है, या यह हिंसा गलत है? अपनी राय कमेंट करें और इस खबर को शेयर करें।