Delhi Liquor Scam, CAG Report : दिल्ली सरकार ने विधानसभा में शराब घोटाले पर CAG (Comptroller and Auditor General of India) की रिपोर्ट पेश कर दी है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि AAP (Aam Aadmi Party) सरकार द्वारा लागू की गई शराब नीति में गंभीर खामियां थीं, जिसके चलते सरकारी खजाने को 2002.68 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। इस मामले में CBI (Central Bureau of Investigation) और ED (Enforcement Directorate) पहले से ही जांच कर रही हैं। पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) और पूर्व आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) समेत आम आदमी पार्टी के कई नेता आरोपी बनाए गए हैं।
1. 2,002.68 करोड़ रुपए का राजस्व घाटा
CAG की 166 पन्नों की रिपोर्ट के मुताबिक, AAP सरकार द्वारा लागू की गई नई शराब नीति के कारण सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ।
941.53 करोड़ का नुकसान गैर-अनुकूल क्षेत्रों में शराब की खुदरा दुकानें न खोलने से हुआ।
890 करोड़ का घाटा सरेंडर किए गए लाइसेंसों को दोबारा टेंडर न करने से हुआ।
144 करोड़ का नुकसान COVID-19 का हवाला देकर जोनल लाइसेंस धारकों को छूट देने से हुआ।
27 करोड़ का घाटा उचित सिक्योरिटी डिपॉजिट न लेने की वजह से हुआ।
2. लाइसेंस नियमों का उल्लंघन
CAG रिपोर्ट में कहा गया है कि नवंबर 2021 से सितंबर 2022 के बीच दिल्ली सरकार आबकारी नियम 2010 के नियम 35 को लागू करने में विफल रही। इससे थोक विक्रेताओं को लाइसेंस दिए गए, जो निर्माण या खुदरा विक्रेताओं से जुड़े हुए थे।
3. थोक विक्रेताओं का लाभ 5% से बढ़ाकर 12% करना
AAP सरकार ने थोक विक्रेताओं का लाभ 5% से बढ़ाकर 12% कर दिया। सरकार ने इसे क्वालिटी चेक लैब्स स्थापित करने के बहाने उचित ठहराया, लेकिन कोई लैब नहीं बनाई गई। इससे सरकारी राजस्व में गिरावट आई।
4. शराब लाइसेंस बिना जांच के जारी
लाइसेंस धारकों की सॉल्वेंसी (solvency), वित्तीय स्थिति और आपराधिक रिकॉर्ड की जांच नहीं की गई।
एक जोन को संचालित करने के लिए 100 करोड़ रुपये की आवश्यकता थी, फिर भी वित्तीय पात्रता की जांच नहीं हुई।
वित्तीय रूप से कमजोर कंपनियों को लाइसेंस दे दिए गए, जिससे proxy ownership और political favouritism की आशंका बढ़ गई।
5. विशेषज्ञों की सिफारिशों को नजरअंदाज करना
CAG रिपोर्ट के अनुसार, सरकार ने अपनी ही Expert Committee की सिफारिशों को खारिज कर दिया, जिससे शराब नीति में पारदर्शिता की कमी आई।
6. शराब कार्टेल (cartelization) को बढ़ावा
नई नीति के तहत, एक ही व्यक्ति को 54 शराब वेंड संचालित करने की अनुमति दी गई, जबकि पहले यह सीमा 2 थी। इससे monopolies और cartelization को बढ़ावा मिला।
7. शराब बिक्री में एकाधिकार (monopoly)
दिल्ली में 367 IMFL (Indian Made Foreign Liquor) ब्रांडों में से केवल 25 ब्रांडों ने कुल शराब बिक्री का 70% हिस्सा लिया। तीन प्रमुख थोक विक्रेताओं Indospirit, Mahadev Liquors, और Brindco ने 71% आपूर्ति पर नियंत्रण रखा।
8. कैबिनेट प्रक्रियाओं का उल्लंघन
CAG रिपोर्ट में कहा गया है कि शराब नीति में कई बदलाव बिना कैबिनेट स्वीकृति या उपराज्यपाल (LG) की सलाह के किए गए, जो कानूनी प्रक्रियाओं का उल्लंघन था।
9. अवैध शराब वेंड खोलने की अनुमति
CAG ने पाया कि आबकारी विभाग ने MCD (Municipal Corporation of Delhi) और DDA (Delhi Development Authority) की अनुमति के बिना आवासीय इलाकों में शराब वेंड खोलने की अनुमति दी।
10. शराब मूल्य निर्धारण में पारदर्शिता की कमी
आबकारी विभाग ने थोक लाइसेंसधारियों को Ex-Distillery Price (EDP) तय करने की अनुमति दे दी, जिससे मूल्य में हेरफेर संभव हुआ।
11. गुणवत्ता परीक्षण नियमों का उल्लंघन
कई लाइसेंस बिना BIS (Bureau of Indian Standards) मानकों के जारी किए गए।
51% विदेशी शराब परीक्षण रिपोर्ट या तो एक साल से पुरानी थीं, गायब थीं, या तारीख नहीं थी।
मिथाइल अल्कोहल और भारी धातु जैसी हानिकारक सामग्रियों की जांच नहीं की गई।
12. अवैध शराब तस्करी पर कमजोर कार्रवाई
CAG रिपोर्ट में कहा गया कि आबकारी खुफिया ब्यूरो (EIB) ने देसी शराब की तस्करी को रोकने के लिए कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया।
13. डेटा प्रबंधन में खामियां
सरकार के पास आबकारी विभाग का सही डेटा नहीं था, जिससे राजस्व हानि और तस्करी को ट्रैक करना मुश्किल हो गया।
14. आबकारी नीति उल्लंघनकर्ताओं पर कोई कार्रवाई नहीं
CAG ने कहा कि सरकार शराब लाइसेंसधारियों द्वारा नियमों के उल्लंघन पर कोई कार्रवाई करने में विफल रही।
15. सुरक्षा लेबलिंग प्रणाली लागू नहीं की गई
Excise Adhesive Label Project को लागू नहीं किया गया, जिससे शराब की आपूर्ति श्रृंखला धोखाधड़ी के प्रति असुरक्षित बनी रही।
CAG रिपोर्ट के खुलासे से साफ है कि AAP सरकार की शराब नीति में कई अनियमितताएं थीं। इस घोटाले के कारण सरकारी खजाने को 2002.68 करोड़ का नुकसान हुआ। इस रिपोर्ट से केजरीवाल सरकार की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं, क्योंकि पहले से ही CBI और ED इस मामले की जांच कर रही हैं।