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नई दिल्ली विधानसभा में बड़े पैमाने पर नाम जोड़ने और काटने का हो रहा फर्जीवाड़ा – केजरीवाल

नई दिल्ली में समरी रिवीजन के बाद 15 दिसंबर से 02 जनवरी तक 10,500 नए नाम जोड़ने और 6,167 वोट काटने के आवेदन आए- सीएम आतिशी

The News Air by The News Air
सोमवार, 6 जनवरी 2025
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Arvind Kejriwal press conference
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नई दिल्ली, 06 जनवरी (The News Air): आम आदमी पार्टी ने नई दिल्ली विधानसभा क्षेत्र में एक साजिश के तहत किए जा रहे वोट घोटाले को सोमवार को तथ्यों के साथ उजागर किया। दिल्ली की सीएम आतिशी, वरिष्ठ नेता संजय सिंह और राघव चड्ढा ने बताया कि कैसे भाजपा वोट कटवाने और जुड़वाने की साजिश कर रही है। इस सुनियोजित वोट घोटाले पर “आप” के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने एक्स पर कहा कि नई दिल्ली विधानसभा में वोटरों के नाम जोड़ने और काटने के बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी हो रही है। सीएम आतिशी ने मुख्य चुनाव आयुक्त को पत्र लिखकर इस फर्जीवाड़े को लेकर सबूत पेश किए हैं और उनसे मिलने का समय मांगा है। वहीं, सीएम आतिशी ने बताया कि नई दिल्ली में समरी रिवीजन के बाद 15 दिसंबर से 02 जनवरी तक 10,500 नए नाम जोड़ने और 6,167 वोट काटने के आवेदन आए हैं। मात्र 84 लोगों ने 4,283 वोट काटने के आवेदन दिए, लेकिन चुनाव आयोग में सुनवाई के दौरान कई आपत्तिकर्ताओं ने कहा कि उन्होंने कोई आवेदन नहीं किया है।

दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने सोमवार को पार्टी मुख्यालय में प्रेस वार्ता कर कहा कि हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने सपना देखा था कि भारत में रहने वाले हर नागरिक को अपना प्रतिनिधि चुनने का अधिकार होगा। बाबा साहब अंबेडकर ने देश का संविधान लिखते वक्त हर भारतवासी के लिए एक सपना देखा था कि हम जिसे वोट डालेंगे, उस वोट के अधिकार के आधार पर प्रतिनिधि और सरकारें चुनी जाएंगी। वोट का अधिकार हमारे देश के लोकतंत्र और संविधान का मौलिक अधिकार है। जो एक आम व्यक्ति अपने प्रतिनिधि को चुनने के लिए वोट डालता है, आज भाजपा उस वोट के अधिकार पर घोटाला कर रही है और इस देश के संविधान और लोकतंत्र की धज्जियां उड़ा रही है।

मुख्यमंत्री आतिशी ने कहा कि नई दिल्ली विधानसभा में बहुत बड़े स्तर पर वोट घोटाला देश के सामने आया है। देशभर में हर साल एक समरी रिवीजन होता है। एक इलेक्टोरल रोल बनता है। यह इस बात की जांच करता है कि किसी की मृत्यु तो नहीं हो गई। कोई व्यक्ति एक शहर छोड़कर दूसरे शहर में तो नहीं चला गया। कोई एक इलाका छोड़कर दूसरे इलाके में तो नहीं चला गया। यह वोटर लिस्ट की रिवीजन 29 नवंबर तक दिल्ली में चली। जहां इलेक्शन कमीशन की एक मशीनरी हर गली मोहल्ले में गए। वोटर समरी रिवीजन के बाद अचानक से नई दिल्ली विधानसभा में वोटर डिलीशन के लिए हजारों आवेदन आते हैं कि किसी की मृत्यु हो गई, कोई शिफ्ट हो गया या कोई अपने पते पर नहीं रहता है। साथ ही, समरी रिवीजन खत्म होने के बाद हजारों आवेदन नए वोटर जोड़ने के आ गए।

मुख्यमंत्री आतिशी ने कहा कि नई दिल्ली विधानसभा में तकरीबन एक लाख वोटर हैं। इस विधानसभा में 15 दिसंबर और 2 जनवरी के बीच में 10,500 वोटर्स को जोड़ने के आवेदन आ गए। एक लाख वोटर में अगर दस हजार नए वोटर जोड़ दें तो यह नए वोटर पूरे चुनाव को उलट-पलट कर देंगे। यानि दस फीसदी अतिरिक्त वोटर जोड़ने के आवेदन 15 दिसंबर और 2 जनवरी के बीच में आए। 24 दिसंबर को 1103, 25 दिसंबर को 983, 27 दिसंबर को 547, 29 दिसंबर को 734, 30 दिसंबर को 789 आवेदन आए। यानि हर रोज 800 से हजार आवेदन नए वोटर जोड़ने के आए। ये लोग समरी रिवीजन के वक्त कहां थे? अगर 29 नवंबर तक पूरी इलेक्शन मशीनरी एक-एक गली-मोहल्ले में जा रही थी, तो 29 नवंबर और 15 दिसंबर के बीच में यह दस हजार लोग कहां से आ गए? इससे यह साफ है कि गलत तरीके से वोटर्स जोड़ने की साजिश हो रही है।

मुख्यमंत्री आतिशी ने आगे कहा कि दूसरी ओर वोटर डिलीशन की भी बहुत बड़ी साजिश हो रही है। अगर वोटर डिलीशन का आंकड़ा देखें तो 29 अक्टूबर और 2 जनवरी के बीच में 6167 वोटर डिलीट करने के आवेदन आए। एक दिन में कभी 500 तो कभी 600 कभी हजार आवेदन आए। 19 दिसंबर को 1527, 21 दिसंबर को 700, 24 दिसंबर को 518 और 25 दिसंबर को 675 आवेदन आए। जब समरी रिवीजन हो रहा था, तब इन लोगों को अपने पते से जा चुके लोगों के बारे में क्यों नहीं पता चला? यह साफ है कि गलत तरीके से वोट काटने की साजिश हो रही है। वोटर डिलीशन के लिए आए 6167 आवेदन नई दिल्ली के कुल 5.77 फीसदी वोट हैं। यानि पूरे चुनाव में दस फीसदी वोट को जोड़ने और साढ़े पांच फीसदी वोट को काटने की साजिश हो रही है।

मुख्यमंत्री आतिशी ने कहा कि जो वोटर डिलीशन के आवेदन आए हैं। इन 6167 आवेदनों में से 4283 आवेदन मात्र 84 लोगों ने डाले हैं। यह लोग कौन हैं, जो इतने सारे लोगों के वोट कटवा रहे हैं। जिन लोगों का वोट कट गया है, जो लोग शिफ्ट हो गए हैं या जिनकी मृत्यु हो गई है, उन्हें चुनाव आयोग के लोग नहीं ढूंढ पाए। डोर टू डोर सर्वे में नहीं ढूंढ पाएं। दस सालों से काम कर रहे बूथ स्तर के अधिकारी इन लोगों को नहीं ढूंढ पाए। लेकिन इन 84 लोगों ने वोट काटने के लिए ऐसे हजारों लोग ढूंढ लिए। सबसे बड़ा सनसनीखेज खुलासा तब हुआ जब इन 84 लोगों को नोटिस देकर चुनाव आयोग, ईआरओ द्वारा सुनवाई के लिए बुुलाया गया। जब इन आपत्तिकर्ताओं को सुनवाई के लिए बुलाया गया तो सभी ने हाथ खड़े कर दिए कि उन्होंने कोई आवेदन नहीं दिया।

मुख्यमंत्री आतिशी ने कुछ उदाहरण देते हुए बताया कि तरुण कुमार चौटाला के नाम से 106 डिलीशन के आवेदन आए हुए थे। जब तरुण कुमार चौटाला 2 जनवरी को सुनवाई के लिए आए तो उन्होंने कहा कि उन्होंने डिलीशन के लिए एक भी आवेदन नहीं किया है। उषा देवी के नाम से 52 डिलीशन के आवेदन आए हुए हैं। 2 जनवरी को सुनवाई के लिए आईं उषा देवी ने कहा कि उन्होंने एक भी आवेदन दाखिल नहीं किया है। राजकुमार के नाम से 82 डिलीशन के आवेदन भरे गए थे, उन्होंने भी सुनवाई के दौरान एक भी वोटर डिलीशन के लिए आवेदन करने से मना कर दिया। इसका मतलब है कि एक बहुत बड़े स्तर पर वोटर लिस्ट को जोड़ तोड़ने का नई दिल्ली विधानसभा में स्कैम चल रहा है। ऑनलाइन वोटर लिस्ट से लोगों के एपिक कार्ड, वोटर आईडी नंबर, पते और फोन नंबर लेकर झूठी एप्लिकेशन डाली जा रही हैं और नई दिल्ली विधानसभा चुनाव को हेरफेर करने की साजिश हो रही है। इस पूरे प्रकरण में चुनाव आयोग के प्रशासन का रुख बहुत ज्यादा संदिग्ध रहा है। जब इतने प्रमाण सामने आ गया तो हमारा चुनाव आयोग के अधिकारियों से सवाल है कि उन्होंने अभी तक जांच क्यों नहीं बैठाई। मैंने चीफ इलेक्शन कमिश्नर को रविवार को इन जब जानकारियों के साथ एक पत्र लिखा कि किस तरह से नई दिल्ली विधानसभा में बहुत बड़ा वोटर घोटाला हो रहा है। हमने चीफ इलेक्शन कमिश्नर से समय मांगा है और इस घोटाले पर तुरंत कार्रवाई होनी चाहिए।

आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने कहा कि नई दिल्ली विधानसभा में जिस तरह का चुनावी घोटाला चल रहा है, मैं खुद इसका भुक्तभोगी हूं। सांसद संजय सिंह ने अपनी पत्नी अनीता सिंह का नाम कटवाने के लिए आवेदन देने वाली महिला आपत्तिकर्ता की ऑडियो रिकॉर्डिंग सुनाई, जिसमें वह बता रही हैं कि उन्हें इस एप्लीकेशन के बारे में कोई जानकारी नहीं है। संजय सिंह ने कहा कि मेरी पत्नी अनीता सिंह का वोट कटवाने के लिए मधू नाम की इन्हीं महिला के नाम से एप्लीकेशन दी गई और जब उनके पास लोग पहुंचे और उनसे पूछा तो उन्होंने कहा कि हमें तो इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। हमारे घर में जिन लोगों की मृत्यु हो गई थी, हमने उनका नाम कटवाने के लिए जरूर कहा। हमें और किसी के नाम कटवाने से कोई लेना-देना नहीं है।

संजय सिंह ने कहा कि जिन लोगों के नाम से 150-150 तक नाम काटने की एप्लीकेशन पड़ी है, वो लोग कह रहे हैं कि हमने तो एप्लीकेशन ही नहीं दिया। तो क्या चुनाव आयोग के नाक के नीचे इतना बड़ा घोटाला हो रहा है? नई दिल्ली विधानसभा में, जहां के विधायक अरविंद केजरीवाल हैं, वहां इतना बड़ा घोटाला हो रहा है? और क्या यह बात चुनाव आयोग को भी नहीं दिख रही है? क्या यह बात मुख्य चुनाव आयुक्त को नहीं दिख रही है? यहां के जिला निर्वाचन अधिकारी जो डीएम है उनको नहीं दिख रही है? मैं सांसद राघव चड्ढा के साथ जिला निर्वाचन अधिकारी के पास बातचीत करने गया था, लेकिन उनके जवाब बड़े हैरान करने वाले थे। वो कह रहे थे कि जिन लोगों ने नाम कटवाने के लिए एप्लीकेशन दी है, हम उनका नाम उजागर नहीं कर सकते।

संजय सिंह ने कहा कि यह बड़ी हैरानी की बात है क्योंकि जिनका नाम कट रहा है, उनका नाम उजागर हो रहा है और सबको पता चल रहा है कि उनका नाम कट रहा है। जब वो आपत्तिकर्ता सुनवाई में आते हैं तो वह अपना चेहरा सामने लेकर आते हैं और हम उनका चेहरा देख पाते हैं। अधिकारी उनका चेहरा देख पाते हैं। पार्टियों के प्रतिनिधि वहां मौजूद रहते हैं, वो भी उनका चेहरा देख पाते हैं। आपत्तिकर्ताओं से पूछा जाता है कि क्या उन्होंने नाम कटवाने के लिए एप्लीकेशन दी है। इस पर या तो वो हां कहते हैं या ना। 11 में से 11 आपत्तिकर्ता अब तक कह चुके हैं कि उन्होंने कोई एप्लीकेशन नहीं दी है। हमने कहा कि जब लोग खुद ही कह रहे हैं कि उन्होंने एप्लीकेशन नहीं दी तो चुनाव आयोग इसकी प्रक्रिया को रोक दे। लेकिन वो कह रहे हैं कि नहीं, हम वोट डिलीट करवाने की प्रक्रिया फिर भी चलाएंगे। इससे समझा जा सकता है कि कितना बड़ा चुनावी घोटाला करने की इनकी मंशा है। हमने निर्वाचन अधिकारी से कहा कि जिस दौरान वह आपत्तिकर्ताओं को फोन करेंगे तो उस समय हमारा कोई प्रतिनिधि वहां बैठा रहेगा। इन्होंने इसके लिए भी मना कर दिया। हमने कहा कि जो लोग फोन पर मना कर दें कि उन्होंने कोई एप्लीकेशन नहीं दी है, उसकी प्रक्रिया को आगे मत बढ़ाइए। तो कह रहे हैं कि हम यह नहीं कर सकते। इसका मतलब इन्हें किसी भी तरह वोट डिलीट करना ही है।

संजय सिंह ने कहा कि एक विधानसभा क्षेत्र में जहां 29 नवंबर को चुनाव विभाग के अधिकारियों द्वारा यह जांच-पड़ताल हो गई कि कौन वहां रहता है या नहीं रहता, समरी रिवीजन की वोटर लिस्ट बन गई। समरी रिवीजन की लिस्ट बनने के बाद साढ़े दस हजार वोट, यानी लगभग 10.5 प्रतिशत नए जोड़े जा रहे हैं और 6.2 फीसद वोट काटे जा रहे हैं। इससे यह साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह कितना बड़ा घोटाला है।

संजय सिंह ने कहा कि चुनाव आयोग का नियम यह कहता है कि अगर पांच से ज्यादा वोट काटने की एप्लीकेशन पड़ी है, तो ईआरओ को खुद जाकर इसका निरीक्षण करना होगा कि यह आवेदन सही हैं या गलत। लेकिन इस प्रक्रिया का भी पालन नहीं हो रहा है। भाजपा चुनाव लड़ने से पहले ही चुनाव हार चुकी है। उन्हें मालूम है कि दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की नई दिल्ली विधानसभा क्षेत्र में उन्हें बहुत बुरी हार का सामना करना है, इसलिए वो चुनावी घोटाले के माध्यम से चुनाव जीतने की मंशा रखते हैं। लेकिन भाजपा की यह गलतफहमी हम दूर कर देंगे। मैं चुनाव आयोग से अपील करता हूं कि वह तत्काल इसमें हस्तक्षेप करे और इस बात पर ध्यान दे कि उसकी नाक के नीचे इतने बड़े पैमाने पर यह घोटाला कैसे हो रहा है। जो अधिकारी इसमें शामिल हैं और जो फर्जी आपत्तिकर्ता हैं, जिनका कोई अता-पता नहीं है और जो इन्हें संरक्षण दे रहे हैं, उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए।

आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि हम नई दिल्ली विधानसभा क्षेत्र के चुनाव अधिकारियों से लगातार संपर्क में हैं और उनसे संवाद करते आए हैं। पिछले एक हफ्ते के भीतर जो चीजें उजागर हुईं, उन्हें सभी के सामने रखी गईं। मैं बताना चाहूंगा कि किसी भी मतदाता का नाम सूची से डिलीट करने की प्रक्रिया बहुत सरल होती है। या तो वह व्यक्ति खुद ही चुनाव आयोग में फॉर्म 7 जमा करके बताता है कि मेरा पता बदल गया है। मेरा वोट यहां से काट दिया जाए। वोट डिलीट करने का दूसरी तरीका होता है कि कोई उस व्यक्ति की ओर से आपत्तिकर्ता बनकर चुनाव आयोग में फॉर्म 7 जमा करे। वह उस मतदाता का नाम लिखकर आवेदन देता है कि मतदाता अपने पते पर नहीं रहता है इसलिए उसका नाम हटा दिया जाए। जब भी वोट काटने की प्रक्रिया का पालन किया जाता है तो आपत्तिकर्ता को भी चुनाव आयोग के दफ्तर में एक सुनवाई के लिए बुलाया जाता है। उससे आवेदन के बारे में पूछा जाता है। ऐसे प्रक्रिया आगे चलती है। लेकिन नई दिल्ली विधानसभा क्षेत्र में बड़ी चौंका देने वाली चीज हुई। 2, 3 और 4 जनवरी को नई दिल्ली विधानसभा क्षेत्र के दफ्तर में चुनाव आयोग की सुनवाई हुई। उसमें कुल 11 आपत्तिकर्ता सुनवाई के लिए आए और सभी ने वोटर काटने के लिए किसी भी प्रकार का आवेदन देने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि वह आपत्तिकर्ता नहीं हैं और उनके नाम का गलत इस्तेमाल हुआ है। सबसे चौंका देने वाली बात यह है कि ‘आप’ सांसद संजय सिंह की पत्नी का नाम काटने के लिए दो फॉर्म 7 जमा किए गए।

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राघव चड्ढा ने कहा कि नई दिल्ली विधानसभा में सुनियोजती ढंग से वोटर घोटाला चल रहा है। यह सारी चीजें हमारे मद्देनजर आने पर हमने नई दिल्ली विधानसभा के आरओ के साथ बैठकर कहा कि प्रथम दृष्टया ऐसा लगता है कि जितने भी आपत्तिकर्ता हैं, यह सब फर्जी हैं। इनके नामो और पहचान का गलत इस्तेमाल करके वोट काटने के आवेदन पत्र दिए जा रहे हैं। इसीलिए सौ फीसदी ऑबजेक्टर वेरिफिकेशन की जरूरत है। दुख की बात यह है कि आरओ ऑफिस, ईआरओ और तमाम अधिकारियों ने हमारी इस मांग को सिरे से खारिज कर दिया है। हमारी पहली मांग थी कि इन आपत्तिकर्ताओं की हाउस टू हाउस वेरिफिकेशन करनी चाहिए जिसे खारिज कर दिया गया। उसके बाद हमारी आरओ ऑफिस से दूसरी मांग थी कि अगर आप हाउस टू हाउस वेरिफिकेशन नहीं करते हैं तो हमें इनका पता दे दीजिए हम इनका वेरिफिकेशन कर लेंगे। नई दिल्ली विधानसभा में भाजपा, कांग्रेस तमाम राजनीतिक दलों को इन आपत्तिकर्ताओं का नाम, पता, फोन नंबर सार्वजनिक तौर पर दे दीजिए। हम उनका वेरिफिकेशन कर लेंगे। दुख की बात है कि हमारी इस दूसरी मांग को भी खारिज कर दिया गया। हमसे कहा गया कि आपत्तिकर्ता की डिटेल देने का कोई प्रावधान ही नहीं है।

राघव चड्ढा ने कहा कि उसके बाद हमने तीसरी मांग रखी कि इन आपत्तिकर्ताओं को चुनाव अधिकारी के दफ्तर में मीटिंग के लिए आमंत्रित कर दीजिए। उस मीटिंग में तमाम राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को भी बुला लीजिए। वहीं दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। चुनाव अधिकारियों ने हमारी इस तीसरी मांग को भी खारिज करते हुए कहा कि यह हम कैसे कर सकते हैं? यह आपत्तिकर्ता की प्राइवेसी पर खतरा होगा। हमने चौथी मांग रखी कि आपत्तिकर्ताओं का कम से कम टेलीफोनिक वेरिफिकेशन करा लीजिए। यानि चुनावी अधिकारी खुद फोन के माध्यम एक-एक आपत्तिकर्ता से पूछें कि क्या उन्होंने वोटर काटने के आवेदन दिए हैं। इस मांग को भी खारिज कर दिया। हमने एक और बात कही कि आप बंद कमरे में ही टेलीफोनिक वेरिफिकेशन कर लीजिए और जो लोग कह रहे हैं कि उन्होंने वोट काटने का कोई आवेदन पत्र नहीं दिया है , उनके सारे फॉर्म खारिज कर दिए। इस मांग को भी चुनाव अधिकारियों ने मना कर दिया और कहा कि जब तक आपत्तिकर्ता खुद हमारे दफ्तर में नहीं आएगा और लिखित में नहीं देगा कि उन्होंने कोई आवेदन पत्र नहीं दिया, तब तक हम उसके एक भी फॉर्म खारिज नहीं करेंगे और हम वोट काटने की इस प्रक्रिया को जारी रखेंगे। हमारी एक भी साधारण मांग को स्वीकृति नहीं मिली। यह सारा घटनाक्रम यह दिखाता है कि नई दिल्ली विधानसभा में कहीं ना कहीं एक बहुत बड़ा वोटर डिलीशन और वोटर एडिशन की धांधलेबाजी चल रही है। हमने यह सारे दस्तावेज मुख्य चुनाव आयुक्त को भी एक पत्र के माध्यम से भेजे हैं। हम उम्मीद करते हैं कि उनका कार्यालय इस पर जरूर संझान लेगा और जल्द से जल्द से कार्रवाई करेगा।

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