Jammu Kashmir Gun License Scam जम्मू-कश्मीर में 100 करोड़ रुपये से अधिक का एक बड़ा गन लाइसेंस घोटाला सामने आया है, जिसमें सीबीआई (CBI) की जांच में आठ आईएएस (IAS) अधिकारियों की संलिप्तता का खुलासा हुआ है। सीबीआई को अंदेशा है कि इन अधिकारियों ने हथियारों के डीलरों के साथ मिलीभगत कर करोड़ों रुपये की रिश्वत लेकर फर्जी हथियार लाइसेंस बांटे। यह एक बेहद संवेदनशील मामला है, खासकर सीमावर्ती राज्य जम्मू-कश्मीर के लिए, जहां आतंकवाद का खतरा हमेशा बना रहता है।
सीबीआई जांच में बड़ा खुलासा
सीबीआई की जांच में यह सामने आया है कि जब जम्मू-कश्मीर एक पूर्ण राज्य था, तब 2012 से लेकर 2016 तक 3 लाख से ज्यादा गन लाइसेंस जारी करने में बड़ी गड़बड़ी हुई। यह घोटाला पैसे के लालच में डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट, डिप्टी कमिश्नर और लाइसेंसिंग अथॉरिटी के अधिकारियों द्वारा किया गया। सीबीआई का अनुमान है कि कथित तौर पर यह घोटाला 100 करोड़ रुपये से भी ज्यादा का हो सकता है। यह मामला उस समय और भी गंभीर हो जाता है जब जांच में सामने आया कि ये हथियार उन लोगों को जारी किए गए, जो:
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न तो उस समय जम्मू-कश्मीर में हाजिर थे।
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न ही संबंधित जिले के रहने वाले थे।
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कई हथियार गैर कानूनी तरीके से हथियारबंद और पैरामिलिट्री के जवानों को भी जारी किए गए थे।
8 IAS अधिकारी सीबीआई के रडार पर
जांच में सीबीआई को आठ बड़े अधिकारियों पर संदेह हुआ, जो अब रडार पर हैं। इन अधिकारियों की पोस्टिंग 2012 से 2016 के दौरान कठुआ, उधमपुर, राजौरी, बारामूला, पुलवामा, कारगिल और लेह जैसे सात जिलों में डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के तौर पर थी।
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सीबीआई ने इन अधिकारियों और निचले स्तर के कर्मचारियों पर प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट (Prevention of Corruption Act) के तहत केस चलाने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) से प्रॉसिक्यूशन की मंजूरी मांगी है।
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सीबीआई ने इस मामले में चार्जशीट भी दाखिल कर दी है।
हाईकोर्ट की निगरानी में चल रही है जांच
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 7 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में भी अपनी रिपोर्ट दी थी कि जम्मू-कश्मीर में एक बहुत बड़ा गन लाइसेंस घोटाला हुआ है। अब यह मामला जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट की निगरानी में चल रहा है।
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हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस अरुण पल्ली और जस्टिस राजेश औजवाल वाली डिवीजन बेंच इस केस की सुनवाई कर रही है।
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डिप्टी सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया, विशाल शर्मा ने कोर्ट को जानकारी दी है कि गृह मंत्रालय इस मामले को बड़ी गंभीरता से ले रहा है और मंजूरी के प्रस्ताव पर एडवांस स्टेज पर जाँच कर रहा है।
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फिलहाल, कोर्ट ने इस केस की सुनवाई 30 दिसंबर तक टाल दी है।
क्या है पृष्ठभूमि
जम्म-कश्मीर एक संवेदनशील सीमावर्ती क्षेत्र है जहां हमेशा मिलिटेंसी का खतरा रहता है। ऐसी स्थिति में अगर इतने बड़े पैमाने पर फर्जी लाइसेंस जारी किए जाते हैं, तो यह सीधे तौर पर राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डाल सकता है। यही कारण है कि भारत सरकार इस मसले को बहुत संजीदगी से ले रही है।
मुख्य बातें (Key Points)
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सीबीआई की जांच में जम्मू-कश्मीर में 2012 से 2016 के बीच 3 लाख से अधिक फर्जी गन लाइसेंस जारी होने का खुलासा हुआ है।
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इस घोटाले में आठ आईएएस अधिकारियों की संलिप्तता का संदेह है, जिन्होंने करोड़ों रुपये की रिश्वत ली।
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सीबीआई ने इन अधिकारियों पर केस चलाने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय से प्रॉसिक्यूशन की मंजूरी मांगी है।
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फर्जी लाइसेंस उन लोगों को जारी किए गए जो जम्मू-कश्मीर के निवासी नहीं थे या उस समय जिले में मौजूद नहीं थे।






