स्कूलों में सूर्य नमस्कार और सरस्वती पूजा को लेकर Jamiat Ulema-e-Hind ने जताया तगड़ा विरोध

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उत्तर प्रदेश, 06 जुलाई (The News Air): जमीयत ने उत्तर प्रदेश के गैर-मान्यता मदरसों को लेकर राज्य सरकार की कार्रवाई की आलोचना करते हुए कहा है कि मदरसे शिक्षा के अधिकार कानून के दायरे से बाहर हैं और ये संविधान में निहित अधिकार के तहत संचालित हो रहे हैं।

देश के प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद ( Jamiat Ulema-e-Hind) ने जमीयत ने आरोप लगाया है कि सरकार स्कूली शिक्षा प्रणाली का भगवाकरण कर रही है। जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने आरोप लगाया है कि स्कूलों में छात्रों को सूर्य नमस्कार और सरस्वती पूजा के लिए मजबूर किया जा रहा है। जमीयत ने अपनी प्रबंधन समिति की बैठक में शिक्षा प्रणाली के भगवाकरण के प्रयास की निंदा का प्रस्ताव पास करते हुए कहा है कि स्कूलों में छात्रों की धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन किया जा रहा है। साथ ही जमीयत ने उत्तर प्रदेश के गैर-मान्यता मदरसों को लेकर राज्य सरकार की कार्रवाई की आलोचना करते हुए कहा है कि मदरसे शिक्षा के अधिकार कानून के दायरे से बाहर हैं और ये संविधान में निहित अधिकार के तहत संचालित हो रहे हैं।

जमीयत प्रमुख मौलाना महमूद मदनी ने उत्तर प्रदेश में गैर-मान्यताप्राप्त मदरसों से जुड़े मामलों को लेकर कहा, ‘‘उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिया है कि प्रदेश के 4204 गैर मान्यता प्राप्त मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों को शिक्षा के अधिकार के तहत स्कूलों में प्रवेश दिलाया जाए। इस संबंध में हम स्पष्ट रूप से कहना चाहते हैं कि मदरसे शिक्षा के अधिकार कानून से अलग हैं और यह अधिकार हमें संविधान ने दिया है, जिसे हम छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं।’’ उन्होंने यह भी कहा, ‘‘यह भी महत्वपूर्ण है कि उलेमा वर्तमान समय की आवश्यकताओं को पहचानने की क्षमता भी विकसित करें। अगर उलेमा समय की मांग को समझने में विफल रहेंगे, तो वह समाज के लड़कों और लड़कियों के विकास में प्रभावी भूमिका नहीं निभा पाएंगे।’’

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