James D. Watson Death : विज्ञान जगत से एक दुखद खबर आई है। डीएनए (DNA) की ‘डबल हेलिक्स’ (दोहरी कुंडली) संरचना की खोज करने वाले महान वैज्ञानिक जेम्स डी. वॉटसन का 97 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। उनके बेटे के मुताबिक, संक्षिप्त बीमारी के बाद उन्होंने अस्पताल में आखिरी सांस ली। वॉटसन की यह खोज चिकित्सा, अपराध जांच और वंशावली के क्षेत्र में एक बड़ी क्रांति साबित हुई थी।
वॉटसन का जन्म 6 अप्रैल 1928 को शिकागो में हुआ था। महज 24 साल की उम्र में उन्होंने फ्रांसिस क्रिक और मॉरिस विल्किंस के साथ मिलकर 1953 में डीएनए की संरचना का पता लगाया था। इस ऐतिहासिक खोज के लिए उन्हें 1962 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

डीएनए की खोज: विज्ञान का सबसे बड़ा रहस्य
उनकी खोज ने बताया कि डीएनए दो धागों से बना है, जो एक घुमावदार सीढ़ी की तरह एक-दूसरे से लिपटे होते हैं। इसी संरचना में जीवन की सारी आनुवंशिक जानकारी छिपी होती है। इस खोज ने जीन एडिटिंग, जीन थेरेपी, बीमारियों के इलाज और अपराधियों को पकड़ने के नए रास्ते खोले।
विवादों से भी रहा नाता
वॉटसन का जीवन विवादों से अछूता नहीं रहा। 2007 में उनकी नस्लवादी टिप्पणियों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हंगामा मचा दिया था, जब उन्होंने अफ्रीकी लोगों की बुद्धि पर सवाल उठाए थे। इसके चलते उन्हें कोल्ड स्प्रिंग हार्बर लेबोरेटरी के चांसलर पद से हटना पड़ा था। 2019 में भी उन्होंने अपने विचारों पर कायम रहने की बात कही थी, जिसे वैज्ञानिक समुदाय ने खारिज कर दिया था।

जटिल लेकिन अमिट विरासत
विवादों के बावजूद, विज्ञान में उनका योगदान अमिट है। उन्होंने ‘द डबल हेलिक्स’ जैसी बेस्टसेलर किताब लिखी और मानव जीनोम प्रोजेक्ट का नेतृत्व किया। उनकी खोज को डार्विन और मेंडेल के सिद्धांतों के बराबर दर्जा दिया जाता है। वॉटसन ने विज्ञान को बदल दिया, हालांकि उनकी टिप्पणियां यह सबक भी देती हैं कि सफलता के साथ जिम्मेदारी भी आती है।
मुख्य बातें (Key Points):
- डीएनए की ‘डबल हेलिक्स’ संरचना खोजने वाले वैज्ञानिक जेम्स डी. वॉटसन का 97 साल की उम्र में निधन।
- 1953 में की गई उनकी खोज के लिए उन्हें 1962 में नोबेल पुरस्कार मिला था।
- वॉटसन ने मानव जीनोम प्रोजेक्ट का नेतृत्व किया और ‘द डबल हेलिक्स’ किताब लिखी।
- जीवन के अंतिम वर्षों में नस्लवादी टिप्पणियों के कारण वह विवादों में भी रहे।






