बिहार, 23 अगस्त (The News Air): कोई भी अपराधी हो या निबटारा उसकी सुनवाई कोर्ट में की जाती है और फैसला जज साहब सुनाते हैं. बिहार में एक मामला ऐसा आया है जिसकी सुनवाई के लिए जज साहब खुद जेल पहुंचेगे. जेल में जिसकी सुनवाई की जाएगी वो कोई मामूली अपराधी नहीं बल्कि एक कुख्यात नक्सली है. ये वो नक्सली है जिसने 19 साल पहले बिहार समेत पूरे देश को चौंका दिया था. जेल पर भीषण हमला कर इस कुख्यात नक्सली को उसके हजारों साथी छुड़ा ले गए थे. इसके साथ जेल में बंद 341 कैदी भी फरार हुए थे.
उस कुख्यात नक्सली का नाम है अजय कुमार, जिसे अजय कानू उर्फ रवि जी के नाम से भी जाना जाता है. अजय कानू के मामलों की सुनवाई को लेकर बिहार सरकार ने पटना के बेऊर जेल में ही जज की व्यवस्था की है. राज्य सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग की तरफ से इस संबंध में नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया गया है. सामान्य प्रशासन विभाग ने यह स्पष्ट किया है कि पटना उच्च न्यायालय के आदेश के संदर्भ में अजय कुमार उर्फ अजय कानू के विरुद्ध लंबित मामलों की सुनवाई के लिए केंद्रीय जिला एवं पटना सत्र न्यायाधीश छेदी राम सुनवाई करेंगे. वर्तमान में अजय कानू जमानत पर है.
कौन है अजय कानू?
तारीख 13 नवंबर 2005, शाम करीब साढे छह से सात बजे के बीच का वक्त… फिजां में गुलाबी सर्दी के बीच बिहार के जहानाबाद जिले से एक खबर फैली. खबर ऐसी जिसे सुनकर हर कोई दंग रह गया, जिससे पूरा प्रशासनिक तंत्र हिल गया. यहां तक कि राज्य सरकार के हाथ पांव सुन्न हो गए. दरअसल, इस दिन जहानाबाद के जिला जेल पर बड़ा हमला हुआ. करीब एक हजार से भी अधिक मशीनगन, बम और आधुनिक हथियारों से लैश नक्सली जेल पर टूट पड़े. नक्सलियों ने जेल ब्रेक कर कुख्यात नक्सली कैदी अजय कानू को छुडा ले गए थे.
साथ में फरार हुए 341 कैदी
जेल ब्रेक होने से पहले इस जेल में 658 कैदी थे. जेल ब्रेक होने के बाद जब जिला प्रशासन ने पड़ताल की तब तो जेल में 341 कैदी कम पाए गए. यह सभी फरार हो चुके थे. इन्हीं फरार कैदियों में कुख्यात अजय कानू का भी नाम शामिल था. बताया जाता है कि इतनी बडी संख्या में इन नक्सलियों ने अजय कानू को जेल से फरार करने के लिए ही जेल पर हमला किया था. तस्वीर का दूसरा पहलू यह भी था कि इस घटना में जेल में पूर्व से बंद रणवीर सेना के कमांडर बीनू उर्फ बडे शर्मा की हत्या कर दी गई थी. साथ ही एक पुलिसकर्मी भी मारा गया था.
दो किलोमीटर दूर तक सुनाई दी बम-गोलियों की आवाज
इस जेल ब्रेक कांड के बारे में वरिष्ठ पत्रकार संजय उपाध्याय कहते हैं, नक्सलियों का हमला कुछ इस कदर था कि जेल से करीब दो किलोमीटर पहले से ही बम और गोलियों की आवाज आनी शुरू हो गयी थी. जिससे पूरे इलाके में दहशत फैल गयी थी. लोगों को बाद में पता चला जेल पर नक्सलियों ने हमला कर दिया है. यह तांडव करीब तीन से चार घंटे तक चला. चूंकि तब तक रात अपने दामन को बढा चुकी थी, इसलिए पूरी रात इस इलाके के लोग दहशत में रहे. सुबह होने के साथ ही क्षेत्र के सभी लोग उस दिशा में भागे जिस दिशा से बम और गोलियों की आवाज आ रही थी. जब लोग वहां पहुंचे तो उन्होंने जेल के दरवाजे को खुला पाया.
2 साल बाद हुआ झारखंड से गिरफ्तार
अजय कानू को भगाने के लिए नक्सलियों ने जहानाबाद जेल पर हमला किया था. जानकार तो यहां तक कहते हैं कि इस पूरी घटना का सूत्रधार अजय कानू ही था. दरअसल, अजय कानू की पहचान एक कुख्यात नक्सली की रही है. 1990 में हुई एक हत्या के मामले में वह करीब 12 वर्षों तक फरार रहा. लेकिन 2002 में वह पुलिस की गिरफ्त में आ गया और उसे जेल भेज दिया गया था. अजय कानू के बारे में बताया जाता है कि अपने पिता की हत्या का बदला लेने के लिए वह नक्सली बन गया था. 2005 में जेल से फरार हुए अजय कानू को 2 साल बाद 2007 में झारखंड से गिरफ्तार किया गया था. 2021 में उसे भागलपुर जेल भेज दिया था. फिलहाल अजय कानू जमानत पर रिहा है.