चंडीगढ़, 28 दिसंबर (The News Air) किसान नेता जगजीत डल्लेवाल की मरणव्रत पर बैठने के बाद उनकी बिगड़ती स्वास्थ्य स्थिति ने देशभर का ध्यान खींचा है। वह पिछले एक महीने से ज्यादा समय से मरणव्रत पर हैं, और उनकी स्थिति में कोई सुधार नहीं हो रहा है। इस गंभीर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को चेतावनी देते हुए कड़ी फटकार लगाई है, और यह कहा है कि जो लोग डल्लेवाल को अस्पताल में भर्ती कराने का विरोध कर रहे हैं, वे उनके शुभचिंतक नहीं हैं। अदालत ने पंजाब सरकार को आदेश दिया कि डल्लेवाल को जल्द से जल्द अस्पताल में भर्ती कराया जाए और उनके इलाज के लिए कदम उठाए जाएं।
सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप और पंजाब सरकार पर फटकार : सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब के अधिकारियों, विशेष रूप से मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को कड़ी नसीहत दी और कहा कि वे डल्लेवाल को अस्पताल में भर्ती कराने के लिए तुरंत कदम उठाएं। अदालत ने यह स्पष्ट किया कि डल्लेवाल के इलाज के खिलाफ जो भी लोग खड़े हैं, वे उनके भले के नहीं हैं और उनके जीवन को खतरे में डाल रहे हैं। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट की सख्ती दिखाते हुए कहा कि पंजाब के अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि डल्लेवाल की स्वास्थ्य स्थिति में कोई और बिगड़ाव न हो।
जस्टिस सूर्यकांत ने पंजाब के मुख्य सचिव से कहा कि वह उन लोगों को समझाएं जो डल्लेवाल को अस्पताल भेजने का विरोध कर रहे हैं। अदालत ने पंजाब सरकार को इस मामले में अधिक समय देने का निर्णय लिया और कहा कि वह 31 दिसम्बर तक इस मुद्दे पर अपनी स्थिति स्पष्ट करें।
किसान आंदोलन और डल्लेवाल की मरणव्रत यात्रा : यह मामला केवल डल्लेवाल के स्वास्थ्य से जुड़ा नहीं है, बल्कि यह एक बड़े किसान आंदोलन का हिस्सा है। डल्लेवाल, जो कि किसान आंदोलन के एक प्रमुख नेता हैं, ने अपनी मांगों के समर्थन में मरणव्रत पर जाने का निर्णय लिया था। उनकी यह यात्रा पहले ही किसानों के संघर्ष का प्रतीक बन चुकी थी, लेकिन अब उनकी बिगड़ती सेहत ने पूरे देश में चिंता का माहौल बना दिया है।
डल्लेवाल के आंदोलन को लेकर पंजाब सरकार और किसानों के बीच तनाव पहले से ही बढ़ा हुआ था, और अब यह मामला एक नया मोड़ ले चुका है। अदालत के हस्तक्षेप से यह स्पष्ट हो गया है कि अगर पंजाब सरकार और किसानों के नेता डल्लेवाल के इलाज के लिए तुरंत कदम नहीं उठाते हैं, तो अदालत उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई कर सकती है।
सुप्रीम कोर्ट की भूमिका और भविष्य के कदम : सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप यह दर्शाता है कि राज्य सरकारों को अब केवल राजनीतिक मुद्दों पर नहीं, बल्कि नागरिकों की सेहत और उनके अधिकारों पर भी ध्यान देना होगा। अदालत ने यह साफ कर दिया कि डल्लेवाल का जीवन और उनकी सेहत राज्य सरकार की जिम्मेदारी है और यदि सरकार इस जिम्मेदारी को निभाने में विफल रहती है, तो अदालत इस मामले में और कदम उठा सकती है।
इसके अलावा, अदालत ने यह भी कहा कि अगर पंजाब को किसी प्रकार की मदद की आवश्यकता है, तो केंद्र सरकार आवश्यक सहायता देने के लिए तैयार है। अदालत ने पंजाब सरकार से यह भी कहा कि अगर वह इस मुद्दे को न सुलझा पाई, तो वह अपने अधिकारों का उपयोग कर सकती है।
इस मामले का असर केवल पंजाब तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे देश में प्रशासन की भूमिका और जिम्मेदारी पर सवाल खड़ा करता है। यह घटना न केवल डल्लेवाल की सेहत के बारे में है, बल्कि यह एक महत्वपूर्ण संदेश भी देती है कि किसी भी नागरिक का जीवन और स्वास्थ्य किसी भी राजनीतिक या सामाजिक संघर्ष से ऊपर है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद, अब यह देखना होगा कि पंजाब सरकार डल्लेवाल के इलाज के लिए कितने सख्त कदम उठाती है।