Jaggery Health Benefits: सर्दियों का मौसम आते ही शरीर में ‘कफ’ (Kapha) का प्रकोप सबसे ज्यादा बढ़ जाता है। यह मौसम जठर अग्नि को प्रभावित करता है, जिससे खांसी, जुकाम और छाती में जकड़न जैसी समस्याएं आम हो जाती हैं। लेकिन आयुर्वेद में इसका एक ऐसा सटीक और सरल इलाज मौजूद है जो न केवल कफ को जड़ से खत्म करता है, बल्कि शरीर को अंदर से मजबूत भी बनाता है। वह इलाज है- गुड़ और शहद।
लेकिन सावधान! अगर आप बाजार से चमकता हुआ सफेद गुड़ खरीद रहे हैं, तो आप इलाज नहीं, बल्कि बीमारी घर ला रहे हैं। आयुर्वेद के अनुसार, कफ को संतुलित रखने के लिए सही गुड़ की पहचान होना बेहद जरूरी है।
‘कफ का दुश्मन है फास्फोरस’
महर्षि वाग्भट के अनुसार, कफ को शांत रखने के लिए गुड़ और शहद (Honey) सबसे बेहतरीन औषधियाँ हैं। आधुनिक विज्ञान की नजर से देखें, तो जब भी शरीर में कफ बिगड़ता है, तो इसका सीधा मतलब है कि शरीर में ‘फास्फोरस’ (Phosphorus) तत्व की कमी हो गई है।
गुड़ में सबसे ज्यादा फास्फोरस पाया जाता है। इसमें थोड़ी मात्रा में आर्सेनिक भी होता है, जो फास्फोरस का पूरक है और उसे ताकत देता है। जब हम गुड़ खाते हैं, तो शरीर में फास्फोरस की पूर्ति होती है और कफ अपने आप शांत होने लगता है।
‘गन्ने के रस से बेहतर है गुड़’
यह एक अद्भुत विज्ञान है कि गन्ने के रस में भी फास्फोरस होता है, लेकिन जब उसे गर्म करके गुड़ बनाया जाता है, तो उसमें फास्फोरस की मात्रा घटती नहीं, बल्कि बढ़ जाती है। इसलिए आयुर्वेद में गन्ने का रस पीने की बजाय गुड़ खाने की सलाह दी गई है, क्योंकि यह सबसे जल्दी हजम होता है।
गुड़ इतना सुरक्षित और फायदेमंद है कि इसे एक दिन के नवजात शिशु को भी खिलाया जा सकता है। अगर आपके पास विकल्प हो, तो गुड़ से भी बेहतर ‘राब’ (काकवी या तरल गुड़) है। प्रयोगशाला जांच में पाया गया है कि राब में गुड़ से भी बेहतरीन स्थिति का फास्फोरस होता है।
‘सफेद गुड़ है या वाशिंग पाउडर?’
आजकल बाजार में और अखबारों के विज्ञापनों में हर चीज ‘गोरी’ और ‘सफेद’ चाहिए। इसी मानसिकता ने हमारे खान-पान को जहरीला बना दिया है। वाग्भट जी कहते हैं कि प्रकृति में जो चीज जितनी ज्यादा सफेद है, वह हमारे लिए उतनी ही प्रतिकूल है।
गन्ने का रस कभी सफेद नहीं होता, वह हरा या गहरा होता है। फिर गुड़ सफेद कैसे हो सकता है? सच्चाई यह है कि गुड़ को सफेद और चमकदार बनाने के लिए उसमें भारी मात्रा में ‘वाशिंग पाउडर’ (जैसे निरमा) मिलाया जाता है। यह सफेद गुड़ शरीर के लिए बेहद खतरनाक है और यह कफ को ठीक करने के बजाय शरीर को नुकसान पहुंचाता है।
‘असली गुड़ की पहचान’
असली और शुद्ध गुड़ वही है जिसका रंग गहरा चॉकलेटी, गहरा लाल या काला हो। जो गुड़ देखने में जितना खराब और काला लगेगा, वही सेहत के लिए अमृत समान है।
इसलिए जब भी गुड़ खरीदने जाएं, तो दुकानदार से साफ कहें कि हमें सफेद वाला नहीं, बल्कि वह काला और गहरा चॉकलेटी रंग वाला गुड़ चाहिए। अगर मांग बढ़ेगी, तो सफेद जहर की सप्लाई अपने आप बंद हो जाएगी और असली गुड़ बाजार में मिलने लगेगा।
जानें पूरा मामला (Background)
यह जानकारी प्रसिद्ध आयुर्वेद विशेषज्ञ स्वर्गीय राजीव दीक्षित के व्याख्यान पर आधारित है। वे महर्षि वाग्भट के सूत्रों का हवाला देते हुए बता रहे हैं कि सर्दियों में कफ दोष को संतुलित करने के लिए फास्फोरस युक्त भोजन कितना जरूरी है। साथ ही, वे आधुनिक मिलावटखोरी, विशेषकर गुड़ को साफ करने के लिए इस्तेमाल होने वाले केमिकल्स के प्रति भी आगाह कर रहे हैं।
मुख्य बातें (Key Points)
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सर्दियों में बढ़ा हुआ कफ शरीर में फास्फोरस की कमी का संकेत है।
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गुड़ और शहद फास्फोरस के सबसे बड़े स्रोत हैं, जो कफ को शांत करते हैं।
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एक दिन के बच्चे को भी गुड़ खिलाना सुरक्षित और लाभदायक है।
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सफेद और साफ दिखने वाले गुड़ में वाशिंग पाउडर जैसे केमिकल्स होते हैं।
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गहरा चॉकलेटी या काले रंग का गुड़ ही शुद्ध और औषधीय गुणों से भरपूर होता है






