अगर आप भी इनकम टैक्स चुकाते वक्त अपने जीवनसाथी या पैरेंट्स को Owner बता कर रेंट पर HRA छूट क्लेम करते हैं तो ये ख़बर आपके लिए है। इनकम टैक्स अपीलेट अथॉरिटी ने ऐसे ही एक मामले में आदेश देते हुए कहा है कि विभाग आपको रेंट क्लेम करने से नहीं रोक सकता बशर्ते जीवनसाथी या पैरेंट्स की आय से ये साबित होता है कि उसने अपनी ही कमाई से घर खरीदा है। जिसके लिए आप रेंट चुका रहे हैं।
इनकम टैक्स से छूट लेते वक्त हाउस रेंट अलाउंस यानि HRA एक महत्वपूर्ण कंपोनेंट होता है लेकिन एक्जम्पशन क्लेम करने का क्या है सही तरीका वो जानना बेहद जरूरी है क्योंकि अगर आप ऐसा नहीं करते तो आप परेशानी में फंस सकते हैं।
इनकम टैक्स बचाने के लिए अक्सर कई लोग अपने पैरेंट्स या जीवनसाथी को हाउस ऑनर के तौर पर रेंट पे करते हैं और HRA क्लेम लेते हैं लेकिन ऐसे ही एक मामले में आईटी विभाग ने इस तरीके से एक्जम्पशन देने से मना करते हुए दिल्ली के एक टैक्सपेयर को नोटिस भेज दिया। मामला जब इनकम टैक्स ट्रिब्यूनल में पहुंचा तो फैसला आखिरकार टैक्सपेयर के ही पक्ष में गया।
दिल्ली ITAT ने अपने आर्डर में ये भी साफ कर दिया कि भले ही आपके जीवनसाथी के नाम पर मकान हो लेकिन उसके पास कोई आय का स्रोत नहीं है तो ऐसे में क्लेम को विभाग रिजेक्ट कर सकता है। साथ ही पैरेंट्स के मामले में भी ये आईटीआर से ये साबित होना चाहिए कि उसने अपनी कमाई से ही मकान खरीदा है।
साथ ही हर महीने रेंट पेमेंट की रसीद भी होनी चाहिए या बैंक खाते से ये पता चलना चाहिए कि आपने रेंट रेगुलरली चेक के ज़रिए या ऑनलाईन ट्रांसफर किया है। कुछ टैक्स एक्सपर्ट्स का मानना है कि पैरेंट्स के मामले में इनकम टैक्स विभाग का नियम सही है लेकिन जीवनसाथी के मामले में तर्कसंगत नहीं हैं।
यही नहीं अगर जीवन साथी या पैरेंट्स की रेंट के ज़रिए कोई कमाई हुई है तो उसका रिटर्न भरना भी जरूरी है नहीं तो विभाग इस मामले में भी कार्रवाई कर सकता है। लिहाज़ा दिल्ली ITAT के फैसले से ये साफ तो हो गया कि जीवनसाथी या पैरेंट्स को रेंट चुका कर आप HRA छूट क्लेम कर सकते हैं लेकिन कुछ बातों का जरूर ध्यान रखना पड़ेगा नहीं तो इससे बेवजह इनकम टैक्स विभाग के चक्कर लगाना पड़ सकता है।