उत्तर प्रदेश, 25 सितंबर,(The News Air): शादी,सात जन्मों का बंधन है, इस तरह की धारणा है लेकिन रिश्ते टूटते और बिखरते हैं। दो लोग पति और पत्नी के रूप में जिंदगी की गाड़ी आगे बढ़ाने का फैसला करते हैं लेकिन कभी कभी गाड़ी के पहिए काम करना बंद कर देते हैं और नतीजा तलाक और अलग बिलग होने तक पहुंच जाता है। एक ऐसा ही मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट के सामने आया. वादी और प्रतिवादी दोनों उम्र की उस पड़ाव पर थे जब कहा जाता है कि सांसारिक इच्छा की कमी हो जाती है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उस केस को देखकर कहा कि लगता है कि कलयुग आ चुका है। अब पूरा मामला क्या है उसे समझने की कोशिश करेंगे।
इस केस से जुड़े दोनों पात्रों की उम्र दादा-दादी वाली है। 75 और 80 की उम्र में लड़ाई गुजारा भत्ता की है। अलीगढ़ के रहने वाले मुनेश कुमार गुप्ता के खिलाफ पारिवारिक अदालत ने फैसला सुनाया था। मुनेश गुप्ता को फैसला रास नहीं आया और उन्होंने इलाहाबाद हाइकोर्ट में अपील की। हाइकोर्ट में इस केस की सुनवाई कर रहे जस्टिस सौरभ श्याम शास्त्री ने कहा कि दोनों के बीच कानूनी लड़ाई अपनी जगह है हालांकि उन्होंने दोनों को सलाह दी कि उम्र के इस मोड़ कानून की चौखट पर आने से बेहतर है कि मिल बैठकर समझौता कर लें। अब मामला कुछ यूं है, मुनेश गुप्ता की पत्नी ने अपने पति से गुजारा भत्ते की मांग करते हुए पारिवारिक अदालत में अपील की। पारिवारिक अदालत ने भी फैसला पत्नी के पक्ष में सुनाया।