Mohan Bhagwat Statement on BJP : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कोलकाता में एक कार्यक्रम के दौरान संघ की पहचान और कार्यशैली को लेकर एक बड़ा और स्पष्ट बयान दिया है। उन्होंने समाज में संघ को लेकर फैली भ्रांतियों को दूर करते हुए साफ शब्दों में कहा कि जो लोग संघ को भारतीय जनता पार्टी (BJP) के जरिए समझने की कोशिश करते हैं, वे बहुत बड़ी गलती कर रहे हैं। भागवत ने जोर देकर कहा कि संघ को दूर से देखकर या किसी और संगठन से तुलना करके नहीं समझा जा सकता।
पहचान का संकट और गलतफहमियां
मोहन भागवत ने अपने संबोधन में कहा कि संघ के जैसा दुनिया में कोई दूसरा संगठन नहीं है, इसलिए जब लोग इसकी तुलना किसी और से करते हैं, तो अक्सर गलतफहमियां पैदा होती हैं। उन्होंने समाज में व्याप्त तीन प्रमुख गलत धारणाओं का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि हम Uniform (गणवेश) में पथ संचलन करते हैं, इसे देखकर अगर कोई यह सोचने लगे कि यह एक Paramilitary Organization है, तो यह पूरी तरह गलत होगा। संघ का उद्देश्य सैन्य ताकत दिखाना नहीं, बल्कि अनुशासन और एकता है।
‘सिर्फ सर्विस ऑर्गनाइजेशन कहना भी भूल’
संघ प्रमुख ने आगे बताया कि स्वयंसेवक देश भर में बिना सरकार से एक भी पैसा लिए 1300 से ज्यादा छोटे-बड़े सेवा प्रकल्प चलाते हैं। इतनी विशाल स्तर पर समाज सेवा देखकर अगर कोई यह मान ले कि संघ महज एक Service Organization है, तो यह भी एक गलती होगी। सेवा संघ का एक पहलू है, लेकिन यही उसकी पूरी पहचान नहीं है। संघ का कार्य इससे कहीं अधिक व्यापक और गहरा है, जिसे सतही तौर पर नहीं समझा जा सकता।
‘BJP और सत्ता से अलग है संघ की राह’
सबसे महत्वपूर्ण बात जो मोहन भागवत ने कही, वह राजनीति को लेकर थी। उन्होंने स्वीकार किया कि आज संघ के स्वयंसेवक विभिन्न संगठनों में काम कर रहे हैं। कुछ लोग Politics में भी हैं और कुछ सत्ता में भी बैठे हैं। इसी वजह से बहुत से लोगों की यह प्रवृत्ति बन गई है कि वे संघ को BJP के चश्मे से देखने लगते हैं। भागवत ने चेतावनी देते हुए कहा कि “संघ को बीजेपी के द्वारा समझना बहुत बड़ी गलती होगी।” संघ राजनीति से ऊपर राष्ट्र निर्माण का कार्य करता है।
‘संघ को समझना है तो अनुभव करना होगा’
अपने संबोधन के अंत में मोहन भागवत ने कहा कि संघ को समझना है तो केवल संघ को ही देखना पड़ेगा। यह कोई ऐसी चीज नहीं है जिसे दूर से देखकर समझा जा सके। संघ “देखकर समझ में न आने वाला संगठन है, इसे Experience (अनुभव) करना पड़ता है।” उन्होंने कहा कि देखने वाला भी अपनी-अपनी दृष्टि से देखता है, इसलिए नजरिया गलत हो सकता है। असलियत जानने के लिए संघ के भीतर झांकना जरूरी है।
‘संपादकीय विश्लेषण: वैचारिक स्वतंत्रता का संदेश’
मोहन भागवत का यह बयान ऐसे समय में आया है जब देश में Political माहौल गरमाया हुआ है। संघ प्रमुख का यह कहना कि ‘हमें बीजेपी से मत तौलो’, यह स्पष्ट करता है कि संघ अपनी स्वतंत्र सत्ता और विचारधारा को राजनीति से ऊपर रखता है। यह बयान उन आलोचकों को भी जवाब है जो संघ को केवल एक राजनीतिक दल का ‘रिमोट कंट्रोल’ मानते हैं। भागवत ने साफ कर दिया है कि सत्ताएं आती-जाती रहेंगी, लेकिन संघ का मूल कार्य समाज संगठन और चरित्र निर्माण है, जो किसी एक पार्टी या सत्ता तक सीमित नहीं है।
‘जानें पूरा मामला’
यह बयान कोलकाता में दिया गया, जहां एक दिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बंगाल के दौरे पर थे। अगले ही दिन संघ प्रमुख मोहन भागवत का यह बयान आना कि संघ को बीजेपी के जरिए न देखा जाए, राजनीतिक और सामाजिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया है। उन्होंने संघ की तुलना पैरामिलिट्री या केवल सेवा संस्था से करने को भी खारिज किया है।
‘मुख्य बातें (Key Points)’
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मोहन भागवत ने कहा कि संघ को BJP के जरिए समझना एक बहुत बड़ी गलती होगी।
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गणवेश देखकर संघ को Paramilitary Organization मानना गलत धारणा है।
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संघ देशभर में हजारों सेवा प्रकल्प चलाता है, लेकिन यह केवल एक Service Organization नहीं है।
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संघ प्रमुख ने जोर दिया कि संघ को समझने के लिए उसे खुद Experience करना जरूरी है।






