BJP President Election : भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party – BJP) के अध्यक्ष पद को लेकर असमंजस बढ़ गया है, जिससे राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का दौर तेज हो गया है। NDA यानी सत्तारूढ़ गठबंधन इन दिनों दो बड़े चुनावी मोर्चों से घिरा है—पहला, 9 सितंबर को होने वाला उपराष्ट्रपति चुनाव, और दूसरा, केंद्रीय मंत्री जगत प्रकाश नड्डा (Jagat Prakash Nadda) के बाद पार्टी अध्यक्ष पद के लिए नए नेता का चयन। सूत्रों के मुताबिक, इस मुद्दे पर भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (Rashtriya Swayamsevak Sangh – RSS) के बीच सहमति नहीं बन पा रही है, हालांकि आधिकारिक तौर पर इसकी पुष्टि नहीं की गई है।
बीते सप्ताह NDA के दलों ने उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार चयन की जिम्मेदारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) और नड्डा को सौंपी। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि यह संकेत भी है कि नड्डा 9 सितंबर तक अध्यक्ष बने रहेंगे। दिलचस्प बात यह है कि भाजपा अध्यक्ष पद का चुनाव लंबे समय से टल रहा है। नड्डा इस पद पर लगातार तीसरे कार्यकाल में हैं, और अनुमान था कि चुनाव जून 2024 में हो सकते थे।
संघ और भाजपा के बीच चर्चा का दौर
रिपोर्ट्स के अनुसार, भाजपा अध्यक्ष पद को लेकर संघ और पार्टी के बीच बातचीत 12 जनवरी 2025 से चल रही है। शुरुआत में हरियाणा (Haryana) के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर (Manohar Lal Khattar) का नाम सामने आया, लेकिन दिल्ली चुनाव के कारण यह चर्चा कुछ समय के लिए ठंडी पड़ गई।
संघ की पसंद और भाजपा का रुख
सूत्र बताते हैं कि संघ कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) के नाम में रुचि रखता है, लेकिन इस पर अंतिम सहमति नहीं बनी है। साथ ही, वरिष्ठ नेताओं भूपेंद्र यादव (Bhupender Yadav) और धर्मेंद्र प्रधान (Dharmendra Pradhan) के नाम भी चर्चा में हैं।
चुनावों में देरी बनी वजह
संघ के दबाव के बाद भाजपा ने संगठनात्मक चुनाव की प्रक्रिया को तेज किया, लेकिन फिर भी कोई नतीजा सामने नहीं आया। पार्टी का कहना है कि उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh), हरियाणा, गुजरात (Gujarat), कर्नाटक (Karnataka) और दिल्ली (Delhi) में होने वाले चुनावों के कारण देरी हुई है। फिलहाल पार्टी 37 में से 50 फीसदी इकाइयों में चुनाव करा चुकी है और अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए जनादेश भी हासिल कर चुकी है।
मोदी-भागवत रिश्तों पर अटकलें
चुनाव में देरी के चलते यह अटकलें भी लगाई जा रही हैं कि संघ प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) और पीएम मोदी के बीच रिश्तों में दरार है। हालांकि, संघ सूत्रों ने इसे खारिज किया और कहा कि संगठन ने अध्यक्ष के चयन का निर्णय भाजपा पर छोड़ दिया है। साथ ही, यह भी स्पष्ट किया कि भागवत पीएम मोदी के कामकाज में दखल नहीं देंगे।
गौरतलब है कि पीएम मोदी के कार्यकाल में अनुच्छेद 370 हटाने और राम मंदिर निर्माण जैसे संघ के एजेंडे के अहम कार्य पूरे हुए हैं। वहीं, 2013 में संघ प्रमुख भागवत ने मोदी के पीएम उम्मीदवार के नाम का समर्थन किया था और मोदी भी कई बार आरएसएस को अपने जीवन का मकसद देने वाला संगठन बता चुके हैं।






