क्या बजट में ऐलान के बाद गोल्ड म्यूचुअल फंड के मुकाबले गोल्ड ईटीएफ में निवेश करना ज्यादा फायदेमंद है?

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यूनियन बजट में गोल्ड फंड को टैक्स के मामले में डेट म्यूचुअल फंड्स से अलग कर दिया गया है। इससे गोल्ड फंड निवेश के लिए पहले से ज्यादा अट्रैक्टिव हो गया है। साथ ही बजट में कैपिटल गेंस टैक्स के लिहाज से फाइनेंशियल एसेट्स को 12 महीने और 24 महीने के दो पीरियड में बांटा गया है। इससे गोल्ड ईटीएफ और गोल्ड म्यूचुअल फंड्स के टैक्स में फर्क हो सकता है। गोल्ड ईटीएफ पैसिव फंड है। यह 99.5 फीसदी प्योरिटी के स्टैंडर्ड गोल्ड बुलियन में अपने फंड का निवेश करता है। दूसरी तरफ गोल्ड म्यूचुअल फंड फंड्स ऑफ फंड्स है, जो गोल्ड ईटीएफ में निवेश करता है।

इस बजट में क्या बदलाव किया गया है?

फाइनेंस एक्ट, 2023 में संशोधन के बाद गोल्ड फंड/ईटीएफ पर सेक्शन 50एए के तहत निवेशक के टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स लगता था। इसमें शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस का नियम खत्म कर दिया गया था। यूनियन बजट 2024 में सेक्शन 50एए के तहत ‘स्पेशिफायड म्यूचुअल फंड’ की नई परिभाषा तय की गई है। इसमें उन फंडों को शामिल किया गया है, जो अपना 65 फीसदी या इससे ज्यादा पैसा डेट आधारित सिक्योरिटीज में निवेश करते हैं। इसका मतलब है कि अब गोल्ड फंडों पर लागू होने वाले टैक्स के नियम डेट फंडों जैसे नहीं होंगे।

23 जुलाई को पेश बजट में होल्डिंग पीरियड को भी आसान बनाया गया है। लिस्टेड सिक्योरिटीज के लिए इसे एक साल रखा गया है। बाकी सभी एसेट्स के लिए दो साल रखा गया है। पहले लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस के लिहाज से तीन तरह के होल्डिंग पीरियड थे। बजट 2024 में किए गए बदलाव के बाद म्यूचुअल फंड्स की अब तीन कैटेगरी हो गई है। पहली कैटेगरी में ऐसे फंड हैं जो अपना 65 फीसदी से ज्यादा एसेट शेयरों में निवेश करते हैं। ऐसे फंडों को 12 महीने तक रखने पर 12.5 फीसदी का लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स लगेगा। 12 महीने से कम रखने पर 20 फीसदी शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस टैक्स लगेगा।

दूसरी कैटेगरी ऐसे फंडों की है, जो अपना 65 फीसदी से ज्यादा पैसा फिक्स्ड इनकम इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करते हैं। ऐसे फंडों पर टैक्स इनवेस्टर्स के टैक्स स्लैब के हिसाब से लगेगा। इसमें लॉन्ग टर्म और शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस टैक्स के नियम लागू नहीं होंगे। तीसरी कैटेगरी में गोल्ड से जुड़े फंड हैं। इसमें बगैर इंडेक्सेशन लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस के लिए होल्डिंग पीरियड 2 साल है।

इस तरह लिस्टेड और अनलिस्टेड एसेट्स पर सरकार के टैक्स प्रावधान की वजह से लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस के लिहाज से गोल्ड (म्यूचुअल) फंड्स ऑफ फंड्स और गोल्ड ईटीएफ के बीच फर्क आ गया है। निप्पॉन लाइफ इंडिया एसेट मैनेजमेंट के हेड (ईटीएफ) अरुण सुदरसेन ने कहा कि चूंकि गोल्ड ईटीएफ ऐसे प्रोडक्ट्स हैं जो एक्सेंजों पर लिस्टेड हैं जिससे निवेशक इन्हें 12 महीने के बाद बेचने पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस का फायदा उठा सकते हैं। गोल्ड फंड्स ऑफ फंड्स लिस्टेड नहीं हैं, जिससे इनवेस्टर्स इन्हें 2 साल तक रखने के बाद ही लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस क्लेम कर सकते हैं। यह 1 अप्रैल, 2025 के बाद के ट्रांजेक्शन पर लागू होगा।

इसका मतलब यह है कि गोल्ड ईटीएफ के लिए लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस का पीरियड 12 महीने होगा। इस पर बगैर इंडेक्सेशन 12.5 फीसदी के रेट से लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स चुकाना होगा। एसटीसीजी टैक्स निवेशक के स्लैब के मुताबिक होगा। उधर, गोल्ड फंड्स ऑफ फंड्स के मामले में एलटीसीजी पीरियड 24 महीने होगा। इस पर 12.5 फीसदी टैक्स लगेगा। शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस टैक्स निवेशक के स्लैब रेट के हिसाब से होगा।

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