चंडीगढ़: हरियाणा में नूंह हिंसा के बाद भड़की हिंसा और जातीय वैमन्सय को रोकने के लिए प्रदेश सरकार बड़े कदम उठा रही है। वहीं ऐसे संवेदनशील समय में हांसी पुलिस का एक असंवेदनशील चेहरा सामने आया है। सोमवार को हांसी पुलिस ने लक्ष्मण चौतरा मंदिर ट्रस्ट के महंत द्वारा दान की गई। जमीन पर बुल्डोजर चला दिया। जबकि दान की जमीन से जुड़ा यह मामला कोर्ट में विचाराधीन है। मंदिर ट्रस्ट संचालन कर रहे परिवार का दावा है कि मामले में स्टे होने के बावजूद पुलिस ने नाजायज तरीके से जमीन पर बुल्डोजर चलाया है। पुलिस ने कार्रवाई की इतनी तुरताफुरती दिखाई की ड्यूटी मजिस्ट्रेट के छुट्टी पर जाने के बावजूद घंटे के भीतर नया ड्यूटी मजिस्ट्रेट नियुक्त करवा कार्रवाई को अंजाम दे दिया।
दरअसल, मामला ये है कि करीब 12वर्ष पूर्व हांसी में स्थित ऐतिहासिक लक्ष्मण चौतरा मंदिर के महंत ने पुलिस प्रशासन को पुलिस चौकी बनाने के लिए करीब 300एकड़ जमीन दान की थी। लेकिन महंत के परिवार का कहना है कि पुलिस ने वर्षों तक जमीन की कोई सुध नहीं ली और पुलिस चौकी का निर्माण भी अन्य स्थान पर कर लिया। जिसके बाद महंत का परिवार कोर्ट की शरण में गया और कहा कि पुलिस को चौकी बनाने के लिए जमीन दान की थी जबकि पुलिस ने अन्य स्थान पर चौकी का निर्माण कर लिया है अतः उन्हें जमीन वापिस दी जाए। इसके अलावा महंत के परिवार का तर्क है कि 12सालों से पुलिस ने जमीन की कोई सुध नहीं ली ना ही वहाँ किसी तरह का अन्य निर्माण करवाया। परिवार की मांग है कि उन्हें यह जमीन वापिस की जाए जिससे की अन्य समाजिक उद्देश्यों के लिए जमीन का उपयोग किया जा सके।
मामला कोर्ट में विचाराधीन होने बावजूद सोमवार को ऐसे समय में जब प्रदेश में स्थिति संवेदनशील बनी हुई है और धार्मिक स्थलों व उनके मामलों को लेकर अति संवेदनशीलता बरतने का समय है, ऐसे समय में हांसी पुलिस ने विवादित जमीन पर बुल्डोजर चला लिया। महंत का परिवार पुलिस के सामने निवेदन करता रहा कि मामले में कोर्ट का स्टे है लेकिन पुलिस ने एक ना सुनी। इस मामले में हांसी जिला पुलिस का एक असंवेदनशील रूप सामने आया है।
बड़ा सवाल, पुलिस को ऐसी क्या जल्दबाजी थी
मामले में जिला पुलिस पर सीधे सवाल खड़े हो रहे हैं कि आखिर ऐसी क्या जल्दबाजी थी कि पुलिस ने बगैर समय दिये जमीन पर बुल्डोजर चला लिया। जिस जमीन की पुलिस ने 12सालों तक सुध नहीं ली आखिर ऐसे माहौल में उस जमीन के मामले में कार्रवाई करना कितना जायजा है ? प्रशासन द्वारा नियुक्त ड्यूटी मजिस्ट्रेट के छुट्टी पर चले जाने के बावजूद नया ड्यूटी मजिस्ट्रेट नियुक्त कर कार्रवाई को अंजाम दिया गया। मौके पर पहुंचे पुलिस अधिकारियों व ड्यूटी मजिस्ट्रेट को यह तक पता नहीं था कि कितनी जमीन पर कार्रवाई करनी है और पूरा मामले क्या है।
नहीं ले सकती है पुलिस गिफ्ट डिड : एडवोकेट
एडवोकेट आशुतोष अरोड़ा ने कहा कोर्ट ने ढाई बजे स्टे लगाकर एसएचओ व सिसाय पुल चौकी को नोटिस कर दिया था। लेकिन उन्होंने अधिकारियों के आदेश पर कोर्ट के आदेश की अवमानना कर दी व वहां पर कार्रवाई की। उनके खिलाफ सिविल व क्रिमिनल अदालत की अवमानना के परिणाम स्वरूप जो भी उचित कार्रवाई रहेगी वह दोषी अफसर के खिलाफ की जाएगी।
न पटवारी, न कानुनगो, न जमीन की पैमाइश
कब्जा कार्रवाई के दौरान वहां पर न तो पटवारी, न ही कानुनगो व न ही तहसीलदार उपस्थित था। पुलिस अधिकारियों को इस मामले में जानकारी नहीं थी की वहां पर कितनी जमीन पर कब्जा लेना है। न ही पुलिस के पास इस जमीन से संबंधित कोई दस्तावेज, नक्शा मौके पर था। इस बारे में डीएसपी व डयूटी मैजिस्ट्रेट द्वारा पुछा गया तो वह इस बारे में कुछ जवाब नहीं दे सके।