चंडीगढ़, 24 जुलाई (The News Air)
पंजाब कांग्रेस में जारी अंदरूनी कलह ख़त्म होता दिखाई नहीं दे रहा है। नवजोत सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) की नियुक्ति पर अब पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने आपत्ति जताते कहा कि पार्टी ने उन्हें भुला दिया है। इस दौरान उन्होंने इशारों-इशारों में नवजोत सिद्धू की क्षमताओं पर भी सवाल खड़े किए हैं। साथ ही उन्होंने नए कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ चल रहे किसान आंदोलनों को लेकर राज्य के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह (Captain Amarinder Singh) की भी तारीफ़ की है।
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार सुनील जाखड़ ने खुले तौर पर पार्टी हाईकमान से सवाल किए हैं। उन्होंने कहा है कि जो व्यक्ति कैप्टन अमरिंदर और नवजोत सिद्धू के बीच सुलह करवाने की कोशिश कर रहा था, उसे ही कांग्रेस पार्टी ने अब भुला दिया है। उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस में यह रिवाज बन गया है कि अगर कोई दुखी हो जाता है तो लोग उसे मनाने उसके घर तक जाते हैं, लेकिन आज आपने चाबियां किसके हाथ में दे दी? आज आपने सुनील जाखड़ को भुला दिया।’
किसान मुद्दे को लेकर क्या बोले सुनील जाखड़– पूर्व प्रदेश अध्यक्ष जाखड़ ने कहा कि अगर कैप्टन अमरिंदर के अलावा कोई और सीएम होता, तो आज केंद्र की बीजेपी सरकार के ख़िलाफ़ चल रहा विरोध पंजाब सरकार और कांग्रेस के विरोध में होता, क्योंकि नए कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ पूरा पंजाब सामने आया हुआ है। सुनील जाखड़ ने कहा कि सीएम ने इस बात को बड़े ही शानदार तरीक़े से संभाला और उन्हें दिल्ली सीमा पर भेज दिया।
साथ ही उन्होंने यह साफ़ कर दिया है कि कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय स्तर पर दोबारा तैयार होने का रास्ता पंजाब से होकर ही जाता है। जबकि, पंजाब कांग्रेस के दोबारा सत्ता में आने का रास्ता कोटकपूरा और बहबल कलां से गुज़रता है।
14 अक्टूबर 2015 को बेहबाल कलां में 12 अक्टूबर को हुई श्री गुरू ग्रंथ साहिब की बेअदबी के ख़िलाफ़ विरोध कर रहे 2 युवाओं की पुलिस गोलीबारी में मौत हो गई थी। उसी दिन पुलिस ने कोटकपूरा में भी प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाई थीं, जिसमें कई लोग घायल हो गए थे। कैप्टन अमरिंदर के साथ तनातनी के बीच नवजोत सिद्धू ने भी बेअदबी का मामला उठाया था।
पार्टी फिर होगी संकट का शिकार!- इधर राहुल गांधी पंजाब में जारी सियासी संकट को ख़त्म करने की कोशिश में लगे हुए हैं। वहीं नए उठ रहे तनावों के चलते पार्टी को 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में बड़ा नुक्सान उठाना पड़ सकता है। इसके अलावा पंजाब के नेता भी इस बात की आशंका जता चुके हैं कि नवजोत सिद्धू को बड़ा पद दिए जाने के बाद भी विवाद सुलझेगा नहीं, बल्कि टिकट वितरण के समय और खुलकर सामने आएगा।