Indus Waters Treaty Suspension : भारत (India) द्वारा सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty) को निलंबित करने के फैसले का असर अब पाकिस्तान (Pakistan) में गंभीर जल संकट के रूप में सामने आ रहा है। अप्रैल में पहलगाम (Pahalgam) में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने यह कड़ा कदम उठाया था। अब पाकिस्तान के दो बड़े जलाशय—झेलम नदी (Jhelum River) पर बना मंगला डेम (Mangla Dam) और सिंधु नदी (Indus River) पर बना टर्बेला बांध (Tarbela Dam)—लगभग सूख चुके हैं।
पाकिस्तान की इंडस रिवर सिस्टम अथॉरिटी (IRSA) के अनुसार बुधवार को पाकिस्तान को जितना पानी मिला, उससे 11,180 क्यूसेक अधिक पानी छोड़ना पड़ा। इसका सीधा असर पंजाब (Punjab) और सिंध (Sindh) प्रांतों की जल आपूर्ति और सिंचाई व्यवस्था पर पड़ा है।
भारत ने अपने जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) स्थित जलाशयों की फ्लशिंग प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिससे पाकिस्तान की ओर जाने वाला जल और भी कम हो गया है। इसके साथ ही भारत ने संधि के तहत अनिवार्य जल डेटा साझा करना (Water Data Sharing) भी बंद कर दिया है।
आईआरएसए (IRSA) के ताजा आंकड़ों के मुताबिक पाकिस्तान में कुल जल प्रवाह (Inflow) 2,41,611 क्यूसेक है, जबकि पानी का बहाव (Outflow) 2,52,791 क्यूसेक है। यानी हर दिन पाकिस्तान 11,180 क्यूसेक अधिक पानी खर्च कर रहा है। पंजाब प्रांत को जहां इस साल 1,14,600 क्यूसेक पानी मिला है, वहीं पिछले साल यही मात्रा 1,43,600 क्यूसेक थी—यह करीब 20% की गिरावट है। सिंध प्रांत में भी जल की उपलब्धता में भारी कमी आई है।
जल संकट से खरीफ की फसलों पर खतरा
IRSA की सलाहकार समिति पहले ही 1 मई से 10 जून तक 21% पानी की कमी की चेतावनी दे चुकी थी। अब जून से सितंबर के बीच 7% पानी की और कमी का अनुमान है। विशेषज्ञ मानते हैं कि इस जल संकट का सीधा प्रभाव खरीफ की बुवाई पर पड़ेगा, जिससे खाद्य संकट भी गहरा सकता है।
भारत का कड़ा रुख और जवाबी कार्रवाई
भारत ने स्पष्ट किया है कि सिंधु जल संधि को मौजूदा हालात में स्थगित किया गया है और अब जल प्रवाह या डेटा साझा करने की कोई बाध्यता नहीं है। पहलगाम आतंकी हमले में भारत ने 26 नागरिकों को खोया था, जिसके जवाब में भारत ने 9 से अधिक आतंकी ठिकानों को निशाना बनाकर 100 से अधिक आतंकियों को मार गिराया था। इस कार्रवाई के बाद भारत ने सिंधु जल संधि को स्थगित कर दिया, जो अब पाकिस्तान के लिए बड़ी परेशानी का कारण बन गई है।
निष्कर्ष:
भारत के इस जल कूटनीतिक कदम ने पाकिस्तान में जल संकट को और गहरा कर दिया है। मंगला और टर्बेला जैसे प्रमुख बांध सूखने की कगार पर हैं, जिससे खेती और पेयजल आपूर्ति दोनों पर संकट मंडरा रहा है। आने वाले दिनों में पाकिस्तान को इस संकट से उबरने के लिए वैकल्पिक स्रोतों की खोज करनी होगी। वहीं भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अब किसी भी समझौते को आतंक के संदर्भ में पुनः मूल्यांकित करेगा।






