Indus Water Treaty : भारत (India) द्वारा सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty) के तहत उठाए गए ताजा कदमों से पाकिस्तान (Pakistan) में पानी की बड़ी कमी उत्पन्न होने की आशंका है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इंडस रिवर सिस्टम अथॉरिटी (IRSA) की एडवाइजरी कमेटी ने चेतावनी दी है कि आगामी खरीफ सीजन (Kharif Season) की शुरुआत में पाकिस्तान को 21 प्रतिशत तक पानी की कमी का सामना करना पड़ सकता है। इसकी प्रमुख वजह भारत द्वारा चिनाब नदी (Chenab River) पर स्थित सलाल (Salal) और बगलीहार (Baglihar) डैम के गेट्स बंद करना बताया जा रहा है, जिससे पाकिस्तान में जलप्रवाह बुरी तरह से प्रभावित हुआ है।
22 अप्रैल को जम्मू और कश्मीर (Jammu & Kashmir) के पहलगाम (Pahalgam) में आतंकियों द्वारा 25 पर्यटकों और 1 स्थानीय व्यक्ति की हत्या के बाद भारत के रुख में सख्ती देखी गई है। अब केंद्र सरकार किशनगंगा (Kishanganga) प्रोजेक्ट पर भी इसी तरह के कदम उठाने पर विचार कर रही है।
IRSA की एडवाइजरी बैठक और रिपोर्ट
IRSA की सलाहकार समिति की बैठक में यह साफ किया गया कि भारत द्वारा चिनाब नदी में पानी की आपूर्ति रोके जाने के कारण खरीफ के शुरुआती सीजन यानी मई से 10 जून तक पाकिस्तान में पानी की जबरदस्त कमी हो सकती है। इसके बाद 11 जून से सितंबर 2025 तक के अंत वाले सीजन की समीक्षा भी की गई है। IRSA ने चिंता जताई कि मराला (Marala) में भारत की ओर से पानी रोके जाने के कारण चिनाब नदी में बहाव अचानक घट गया है, जिससे पाकिस्तान में जल संकट और गहरा सकता है।
पाकिस्तान में पानी की स्थिति गंभीर
सलाल और बगलीहार डैम पर गेट्स बंद किए जाने से पाकिस्तान के अखनूर (Akhnoor) क्षेत्र में जलस्तर में भारी गिरावट देखी जा रही है। समिति ने फिलहाल 21 प्रतिशत की पानी की कमी की घोषणा की है लेकिन यह स्पष्ट किया गया है कि यदि इसी तरह जलस्तर में गिरावट जारी रही तो कमी और बढ़ सकती है।
भारत का बड़ा रणनीतिक कदम
भारत द्वारा लिया गया यह निर्णय पाकिस्तान के लिए एक बड़े जल संकट का संकेत है। सिंधु जल संधि के नियमों के अंतर्गत भारत को कुछ हद तक जल प्रवाह रोकने की अनुमति है, और वर्तमान कदम को उसी दिशा में देखा जा रहा है। पाकिस्तान के लिए यह चेतावनी है कि जल संसाधनों पर भारत की रणनीतिक पकड़ अब और मजबूत होती जा रही है।
भारत द्वारा सिंधु जल संधि के तहत उठाए गए एक्शन से पाकिस्तान को खरीफ सीजन में जल संकट का सामना करना पड़ सकता है। विशेषज्ञों की मानें तो यदि चिनाब नदी में जलप्रवाह की यही स्थिति बनी रही, तो पाकिस्तान की कृषि और जनजीवन पर इसका गहरा असर पड़ेगा। सिंधु संधि की समीक्षा और पुनः मूल्यांकन अब केवल राजनीतिक नहीं बल्कि रणनीतिक मसला बनता जा रहा है।






