India China Visa Policy: अमेरिका के साथ टैरिफ को लेकर जारी तनातनी के बीच भारत ने चीन को लेकर एक बड़ा और चौंकाने वाला कदम उठाया है। भारत सरकार ने चीन से आने वाले पेशेवरों (Professionals) के लिए बिजनेस वीजा की प्रक्रिया को तेज करने का फैसला किया है। इस नए फैसले के तहत अब चीनी कंपनियों के प्रोफेशनल्स को सिर्फ एक महीने के भीतर वीजा मिल सकेगा।
इसे भारत और चीन के रिश्तों में पिछले पांच सालों में आई सबसे बड़ी नरमी के तौर पर देखा जा रहा है। लेकिन सवाल यह है कि आखिर भारत को यह फैसला क्यों लेना पड़ा और इसका अमेरिका, खासकर डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों पर क्या असर होगा?
‘चार हफ्तों में पूरा होगा वीजा प्रोसेस’
भारत सरकार ने चीनी पेशेवरों के लिए बिजनेस वीजा की जांच प्रक्रिया को काफी आसान बना दिया है। पहले सुरक्षा और प्रशासनिक जांचों में महीनों लग जाते थे, लेकिन अब यह पूरी प्रक्रिया चार हफ्तों के अंदर निपटा ली जाएगी।
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार ने कुछ अतिरिक्त जांच प्रक्रियाओं को हटा दिया है, जिससे चीनी कंपनियों के लिए भारत में काम करना पहले से कहीं ज्यादा आसान हो जाएगा।
‘चीन ने किया फैसले का स्वागत’
भारत के इस बड़े फैसले पर चीन की तरफ से भी सकारात्मक प्रतिक्रिया आई है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने कहा कि चीन ने इस पॉजिटिव कदम पर ध्यान दिया है।
उन्होंने कहा कि लोगों की आवाजाही को आसान बनाना सभी पक्षों के साझा हित में है। चीन दोनों देशों के बीच लेनदेन को आसान बनाने के लिए भारत के साथ बातचीत और सलाह-मशविरा बनाए रखने को तैयार है।
‘भारत के लिए क्यों जरूरी था यह कदम?’
दरअसल, भारत की कई बड़ी कंपनियां, खासकर मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, सोलर और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में, तकनीशियनों (Technicians) की भारी कमी से जूझ रही थीं।
चीनी पेशेवरों को समय पर वीजा न मिलने की वजह से भारतीय कंपनियों को अरबों रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा था। अब वीजा प्रक्रिया तेज होने से फैक्ट्रियां समय पर शुरू हो सकेंगी, रुके हुए प्रोजेक्ट्स पूरे होंगे और उत्पादन में भी तेजी आएगी।
‘रिश्तों में सुधार की एक और कड़ी’
भारत और चीन के रिश्ते 2020 में गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद बेहद खराब हो गए थे, जिसमें भारत के 20 जवान शहीद हुए थे। इसके बाद पांच साल तक सीधी उड़ानें, वीजा और यात्राएं लगभग ठप रहीं।
लेकिन पिछले कुछ समय से कूटनीतिक और सैन्य बातचीत के जरिए रिश्तों में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है। करीब पांच साल बाद दोनों देशों के बीच सीधी उड़ान सेवा भी शुरू हो चुकी है। नवंबर 2025 से चाइना ईस्टर्न एयरलाइंस शंघाई और दिल्ली के बीच हफ्ते में तीन उड़ानें संचालित कर रही है। तेज वीजा प्रक्रिया को इसी सुधार की अगली कड़ी माना जा रहा है।
इससे पहले अगस्त में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में चीन गए थे, जहां उनकी चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से द्विपक्षीय मुलाकात हुई थी। इसी बैठक के बाद सीधी उड़ानें, कैलाश मानसरोवर यात्रा और वीजा प्रक्रिया में तेजी लाने जैसे अहम फैसले लिए गए थे।
‘भारत को क्या होगा फायदा?’
इस फैसले से भारत को कई बड़े फायदे होने की उम्मीद है। सबसे पहले तो मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को मजबूती मिलेगी। टेक्नोलॉजी ट्रांसफर आसान होगा, उत्पादन में तेजी आएगी, निवेश का माहौल बेहतर होगा और रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। कुल मिलाकर, इसका सीधा फायदा भारत की अर्थव्यवस्था को होगा।
‘ट्रंप के लिए झटका कैसे?’
हर फैसले का एक दूसरा पहलू भी होता है। अमेरिका, खासकर चीन पर सख्त नीति अपनाने वाले नेता, भारत के इस कदम से खुश नहीं होंगे। भारत का चीन के साथ बढ़ता बिजनेस सहयोग अमेरिका की चीन को अलग-थलग करने की रणनीति को कमजोर कर सकता है।
यह डोनाल्ड ट्रंप के लिए भी एक झटका माना जा रहा है, जो हमेशा से चीन के खिलाफ सख्त टैरिफ और व्यापार नीति के समर्थक रहे हैं। अगर भारत चीन के साथ अपने आर्थिक रिश्ते मजबूत करता है, तो इससे अमेरिका पर चीन को घेरने का दबाव कम हो सकता है। यानी भारत का यह कदम ट्रंप की हाईकमान चीन नीति को अप्रत्यक्ष रूप से चुनौती दे सकता है।
मुख्य बातें (Key Points)
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भारत ने चीनी प्रोफेशनल्स के लिए बिजनेस वीजा प्रक्रिया तेज की, अब 1 महीने में मिलेगा वीजा।
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यह फैसला मैन्युफैक्चरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स और सोलर सेक्टर में तकनीशियनों की कमी को दूर करने के लिए लिया गया है।
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2020 के गलवान विवाद के बाद यह भारत-चीन रिश्तों में सबसे बड़ी नरमी है।
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चीन ने इस कदम का स्वागत किया है और इसे साझा हित में बताया है।
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यह फैसला अमेरिका की चीन को अलग-थलग करने की नीति और ट्रंप के लिए झटका माना जा रहा है।






