फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने कहा है कि इंडिया की इकोनॉमी मजबूत है। उन्होंने इनफ्लेशन (Inflation) के जल्द कंट्रोल में आ जाने की भी उम्मीद जताई है। दरअसल, कोरोना की महामारी के बाद इकोनॉमी में रिकवरी थी। लेकिन, यूक्रेन क्राइसिस का असर ग्लोबल इकोनॉमी पर पड़ने की आशंका है। इस वजह से आईएमएफ सहित कई फानेंशियल ऑर्गेनाइजेशंस ने इंडिया के ग्रोथ के अनुमान में कमी की है।
सीतारमण ने ब्लूमबर्ग टेलीविजन के प्रोग्राम ‘बैलेंस ऑफ पावर’ में कहा, “हमारी इकोनॉमी बहुत मजबूत नजर आ रही है। यह रिकवरी जारी रहने वाली है।” दरअसल, इंडिया की इकोनॉमी कोरोना की महामारी शुरू होने के पहले से सुस्त पड़ने लगी थी। इसकी वजह एनबीएफसी सेक्टर में आई क्राइसिस थी। कोरोना ने इसके असर को और बढ़ा दिया था।
इस हफ्ते आईएमएफ ने इंडिया की इकोनॉमी की ग्रोथ 8.2 फीसदी रहने की उम्मीद जताई थी। इससे इंडिया दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली इकोनॉमी होगी। यह जीडीपी में 8.5 फीसदी की ग्रोथ के सरकार के अनुमान के मुताबिक है।
एक दूसरे इंटरव्यू में सीतारमण ने कहा कि आरबीआई ने इस फाइनेंशियल ईयर में 7.2 फीसदी ग्रोथ का अनुमान लगाया है। उन्होंने कहा कि यह सबसे कम ग्रोथ का अनुमान है। हमें 8 फीसदी की ग्रोथ बिल्कुल मुमकिन दिखाई देती है।
फाइनेंस मिनिस्टर ने कहा कि इनफ्लेशन में आई तेजी की वजह ऐसी हैं, जिन पर इंडिया का कंट्रोल नहीं है। उन्होंने क्रूड ऑयल और एडिबल ऑयल की कीमतों का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि अमेरिका और जर्मनी के मुकाबले इंडिया में इनफ्लेशन मैनेजेबल लेवल पर है।
उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक के साथ मिलकर हम इनफ्लेशन को संभालने में कामयाब होंगे। केंद्रीय बैंक को अलग-अलग इकोनॉमिक फैक्टर के बीच बैलेंस बनाना है। उन्होंने कहा कि आरबीआई मौजूदा माहौल को लेकर बहुत संवेदनशील है।
यूक्रेन क्राइसिस के चलते क्रूड ऑयल सहित कमोडिटीज के दाम में बड़ा उछाल आया है। इसका असर इनफ्लेशन पर पड़ा है। मार्च में रिटेल इनफ्लेशन 6.84 फीसदी पर पहुंच गया। यह आरबीआई के इनफ्लेशन के टारगेट से ज्यादा है। उसने इनफ्लेशन के लिए 4 फीसदी के साथ 2 फीसदी प्लस या माइनस का टारगेट रखा है। इंडिया में होलसेल इनफ्लेशन भी बढ़ा है।