फॉरवर्ड पोस्ट पर रोबॉटिक खच्चर और ड्रोन से सामान पहुंचाएगी भारतीय सेना, प्रोटोटाइप हुआ तैयार

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नई दिल्ली, 02 सितंबर, (The News Air): भारतीय सेना बॉर्डर एरिया में फॉरवर्ड पोस्ट तक सैनिकों तक सामान पहुंचाने के लिए एनिमल ट्रांसपोर्ट पर निर्भरता कम करने के लिए काम कर रही है। सेना रोबॉटिक खच्चर के साथ ही, लॉजिस्टिक ड्रोन लेने की दिशा में आगे बढ़ी है। बॉर्डर इलाकों में इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी लगातार काम हो रहा है। भारतीय सेना पर्वतीय इलाकों में अंतिम मील की कनेक्टिविटी के लिए धीरे-धीरे एनिमल ट्रांसपोर्ट की जगह ट्रक, ऑल-टेरेन वीइकल और रगेड (Rugged) टेरेन वीइकल ले रही है।भारतीय सेना के सूत्रों के मुताबिक, बॉर्डर इलाकों में जिस तरह की भौगोलिक स्थिति और टेरेन है, उसमें एनमिल ट्रांसपोर्ट ने अहम रोल अदा किया है। जैसे-जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर बनता जाएगा, वैसे-वैसे सेना एनिमल ट्रांसपोर्ट को कम किया जाएगा। कार्गो ड्रोन लेने की दिशा में भी काम हो रहा है। तब ड्रोन के जरिए भी सैनिकों तक सामान भी पहुंचाया जा सकेगा। रोबॉटिक म्यूल (खच्चर) के लिए रिसर्च और डिवेलपमेंट का काम हो रहा है और इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस (IISc) के साथ मिलकर रोबॉटिक खच्चर बनाया जा रहा है।

100 रोबॉटिक खच्चर की सेना को जरूरत

सूत्रों के मुताबिक, इस रोबॉटिक खच्चर का प्रोटोटाइप तैयार हो गया है और इसे गर्मी के मौसम में टेस्ट किया गया है। इसका ट्रायल बर्फीली इलाकों में भी किया जाना है। इसके साथ ही हर तरह की टेरेन में भी ट्रायल किया जाएगा। सेना को इस तरह के 100 रोबॉटिक खच्चर की जरूरत है। सेना ने पिछले साल जनवरी में इसके लिए आरएफपी यानी रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल भी जारी किया है। उसमें कहा गया कि सेना रोबोटिक खच्चर स्वदेशी कंपनियों से ही लेगी। सेना को चार पैरों वाले रोबॉट की जरूरत है जो अलग-अलग टेरेन में जा सके।

इसमें सेल्फ रिकवरी कैपेबिलिटी होनी चाहिए। यह खुद ही किसी भी बाधा को पार कर सके। रोबॉटिक खच्चर ऐसा हो जो माइनस 20 से प्लस 45 डिग्री तक ऑपरेट कर सके। इसकी बैटरी इतनी हो कि यह कम से कम 3 घंटे लगातार चल सके। अभी हाई एल्टीट्यूट एरिया में सेना रसद पहुंचने के लिए खच्चरों का इस्तेमाल करती है जो सेना के एनिमल ट्रांसपोर्ट का बड़ा हिस्सा हैं। सेना को उम्मीद है कि साल 2030 तक एनिमल ट्रांसपोर्ट घटकर 50-60 पर्सेंट तक रह जाएगा। अभी बॉर्डर इलाकों में सेना की कई ऐसी पोस्ट हैं, जहां तक सामान पहुंचाने के लिए एनिमल ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करना जरूरी हो जाता है।

तब भी एनिमल ट्रांसपोर्ट की बनी रहेगी जरूरत

एनिमल ट्रांसपोर्ट को कम करने के लिए काम हो रहा है, लेकिन भविष्य में भी एनिमल ट्रांसपोर्ट की कुछ हद तक जरूरत बनी रहेगी। टफ टेरेन तो इसकी वजह है ही साथ ही मौसम भी एक बड़ा कारण है। हाल ही में जब सिक्किम में बादल फटने से सड़कें बह गई और फिर खराब मौसम में हेलिकॉप्टर भी काम नहीं कर पाते, ऐसे में एनिमल ट्रांसपोर्ट ही सबसे बड़ा सहारा होता है। नई टेक्नॉलजी और इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के साथ इसकी संख्या कम जरूर होगी, लेकिन ऐसे वक्त में जब प्रकृति अपना भयावह रूप दिखाती है, तब एनिमल ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल अहम हो जाता है।

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