Indian Army Social Media Rules 2025 : भारतीय सेना ने अपने जवानों और अधिकारियों की डिजिटल सुरक्षा को लेकर एक ऐतिहासिक और कड़ा फैसला सुनाया है। अब सेना की वर्दी पहनने वाले जवान इंस्टाग्राम की दुनिया में सिर्फ ‘दर्शक’ बनकर रह सकेंगे, क्योंकि पोस्ट करने और लाइक करने पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है। यह फैसला राष्ट्रीय सुरक्षा और जवानों को ऑनलाइन हनीट्रैप से बचाने के लिए लिया गया है।
भारतीय सेना ने अपनी सोशल मीडिया नीति में एक बड़ा और महत्वपूर्ण बदलाव लागू किया है। नई गाइडलाइंस के मुताबिक, सेना के जवान और अधिकारी अब इंस्टाग्राम (Instagram) का इस्तेमाल तो कर सकेंगे, लेकिन उनकी भूमिका बेहद सीमित होगी। वे एप पर वीडियो देख सकते हैं, रील देख सकते हैं और निगरानी (Monitoring) कर सकते हैं, लेकिन उन्हें अपनी तरफ से कोई भी ‘पोस्ट’ करने, किसी की फोटो को ‘लाइक’ करने या उस पर ‘कमेंट’ करने की सख्त मनाही है।
‘सिर्फ देखो, रिएक्ट मत करो’
सेना मुख्यालय से जुड़े सूत्रों के अनुसार, यह फैसला सैनिकों को सोशल मीडिया के खतरों से बचाने के लिए लिया गया है। जवानों को अनुमति दी गई है कि वे सोशल मीडिया का इस्तेमाल सूचनाएं जुटाने और जागरूक रहने के लिए करें। यदि उन्हें कोई फर्जी (Fake) या भ्रामक कंटेंट दिखता है, तो वे तुरंत अपने सीनियर अधिकारियों को सूचित करेंगे। यानी अब जवान सोशल मीडिया पर एक ‘सतर्क प्रहरी’ की तरह काम करेंगे, न कि एक सामान्य यूजर की तरह जो हर पोस्ट पर अपनी प्रतिक्रिया देता है।
जनरल उपेंद्र द्विवेदी का बड़ा बयान
इस फैसले की पृष्ठभूमि में सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी का हालिया बयान भी बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने स्मार्टफोन और सोशल मीडिया के विवेकपूर्ण उपयोग पर जोर दिया था। जनरल द्विवेदी ने एक वाकये का जिक्र करते हुए कहा था कि जब युवा एनडीए (NDA) में आते हैं, तो सबसे पहले उनके कैबिन में यह ढूंढा जाता है कि उन्होंने फोन कहां छुपा रखा है। उन्होंने बताया कि इन युवाओं को यह समझाने में 3 से 6 महीने लग जाते हैं कि “मोबाइल के बिना भी जीवन है।” आज की पीढ़ी (Gen Z) फोन की आदी हो चुकी है, जिसे नियंत्रित करना अनुशासन के लिए जरूरी हो गया है।
हनीट्रैप और जासूसी का खतरा
सेना ने यह सख्त कदम मुख्य रूप से ‘हनीट्रैप’ (Honey Trap) के बढ़ते मामलों को देखते हुए उठाया है। अक्सर देखा गया है कि विदेशी खुफिया एजेंसियां फर्जी महिला प्रोफाइल बनाकर जवानों को अपने जाल में फंसाती हैं और उनसे संवेदनशील जानकारी लीक करवा लेती हैं। जवान अनजाने में लाइक या कमेंट करके अपनी पहचान उजागर कर देते हैं, जिससे वे दुश्मनों के रडार पर आ जाते हैं। पुराने डिजिटल नियम, जो सुरक्षा कारणों से बनाए गए थे, वे भी यथावत लागू रहेंगे।
विश्लेषण: ‘Zero Footprint’ की रणनीति
एक वरिष्ठ डिजिटल संपादक के तौर पर इस फैसले का विश्लेषण करें, तो यह सेना की ‘Zero Digital Footprint’ रणनीति का हिस्सा लगता है। सेना यह जानती है कि आज के दौर में स्मार्टफोन को पूरी तरह बैन करना संभव नहीं है, लेकिन ‘इंटरैक्शन’ (Interaction) को बंद करके जोखिम को 99% तक कम किया जा सकता है। जब कोई जवान न पोस्ट करेगा, न लाइक और न कमेंट, तो एल्गोरिदम और दुश्मन दोनों के लिए उसे ट्रैक करना मुश्किल होगा। यह कदम अनुशासन और आधुनिकता के बीच एक बेहतरीन संतुलन है।
जानें पूरा मामला
पिछले कुछ सालों में भारतीय सेना के कई जवान सोशल मीडिया के जरिए हनीट्रैप का शिकार हुए हैं, जिससे देश की सुरक्षा को खतरा पैदा हुआ था। इसी को देखते हुए पहले फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे एप्स पर पूरी तरह पाबंदी की बातें भी सामने आई थीं। लेकिन अब तकनीक के दौर में पूरी तरह प्रतिबंध लगाने के बजाय, सेना ने ‘रेगुलेटेड यूज़’ (Regulated Use) का रास्ता अपनाया है, ताकि जवान तकनीक से कटे भी न रहें और सुरक्षित भी रहें।
मुख्य बातें (Key Points)
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View Only: जवान इंस्टाग्राम पर केवल कंटेंट देख सकेंगे, पोस्ट नहीं कर सकेंगे।
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No Interaction: लाइक, कमेंट या शेयर करने पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा।
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Reporting: फर्जी पोस्ट दिखने पर सीनियर अधिकारियों को रिपोर्ट करना होगा।
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Target: इसका मुख्य उद्देश्य हनीट्रैप और सूचना लीक (Information Leak) को रोकना है।






