Nuclear Weapons Stockpile 2025 – दुनिया में परमाणु हथियारों (Nuclear Weapons) की दौड़ फिर से तेज हो चुकी है। हाल ही में स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार जनवरी 2024 से जनवरी 2025 के बीच दुनिया के 9 परमाणु शक्तिशाली देशों ने अपने हथियार भंडार को और मज़बूत किया है। इनमें रूस (Russia) और अमेरिका (USA) सबसे आगे हैं, जिनके पास मिलाकर दुनिया के 90 प्रतिशत से अधिक परमाणु हथियार हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक जिन देशों के पास परमाणु हथियार हैं, उनमें रूस, अमेरिका, ब्रिटेन (UK), फ्रांस (France), चीन (China), भारत (India), पाकिस्तान (Pakistan), उत्तर कोरिया (North Korea) और इजरायल (Israel) शामिल हैं। साल 2025 की शुरुआत तक दुनिया में कुल 12,241 परमाणु हथियार मौजूद थे, जिनमें से 9,614 सैन्य उपयोग के लिए थे। इनमें से 3,912 हथियारों को मिसाइलों और विमानों पर तैनात भी किया गया है।
अगर देशवार आंकड़ों की बात करें, तो रूस के पास कुल 5,459 परमाणु हथियार हैं, जिनमें से 4,309 सैन्य भंडार में हैं। रूस ने 1,718 हथियार तैनात कर रखे हैं और 2,591 को स्टोरेज में रखा है। वहीं, अमेरिका के पास 5,177 परमाणु हथियार हैं, जिनमें से 3,700 सैन्य भंडार में और 1,770 तैनात हैं।
ब्रिटेन के पास कुल 225 हथियार हैं जिनमें 120 तैनात और 105 स्टोरेज में हैं। फ्रांस ने 280 हथियारों को तैनात कर रखा है और 10 स्टोरेज में हैं, जिससे उसकी कुल संख्या 290 है।
सबसे तेजी से हथियार भंडार बढ़ाने वाला देश चीन रहा है। SIPRI के अनुसार चीन के पास फिलहाल 600 परमाणु हथियार हैं, जिनमें से 24 तैनात और 576 स्टोरेज में हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि चीन के परमाणु विस्तार का सीधा असर भारत पर पड़ेगा, क्योंकि चीन का सहयोगी पाकिस्तान भी परमाणु कार्यक्रम में तेज़ी ला रहा है।
भारत इस लिस्ट में छठे स्थान पर है। भारत के पास कुल 180 परमाणु हथियार हैं और सभी स्टोरेज में रखे गए हैं। इसके बाद पाकिस्तान के पास 170, इजरायल के पास 90 और उत्तर कोरिया के पास 50 हथियार हैं।
इस रिपोर्ट में जहां भारत ने पाकिस्तान से आगे निकलने का संकेत दिया है, वहीं चीन की बढ़ती ताकत को लेकर चिंता भी जताई गई है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन (Guo Jiakun) ने इस रिपोर्ट पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। भारत के लिए यह संकेत है कि उसे अब अपनी रणनीति और सुरक्षा नीति को और मज़बूत करने की जरूरत है।