नई दिल्ली, 21 अगस्त (The News Air)
कोरोना संक्रमण की संभावित तीसरी लहर से निपटने के लिए युद्ध स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं. सभी फार्मास्युटिकल कंपनी कमर कस के लगी हुई हैं. प्रयास किए जा रहे हैं कि अधिक से अधिक लोगों को वैक्सीन लगाई जा सके. भारतीय फार्मास्युटिकल कंपनी जायडस कैडिला (Zydus Cadila) की वैक्सीन जायकोव-डी (Zycov-D) को सरकार से इमरजेंसी अप्रूवल मिल गया है. ये दुनिया की पहली DNA बेस्ड वैक्सीन होगी.
DNAबेस्ड वैक्सीन- भारत के ड्रग कंट्रोलर जनरल आफ इंडिया की वैक्सीन के लिए बनाई गई सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी ने शुक्रवार को जायडस कैडिला की वैक्सीन जायकोव डी के इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए सिफ़ारिश कर दी है. भारत बायोटेक की कोवैक्सीन के बाद जायकोव डी दूसरी स्वदेशी वैक्सीन होगी. गौरतलब है कि जायडस कैडिला की वैक्सीन पहली डीएनए आधारित वैक्सीन है. डीएनए आधारित वैक्सीन फॉर्मूलेशन को वायरस म्यूटेशन की स्थिति में आसानी से बदला जा सकता है.
पीएम मोदी ने ट्वीट करके इस उपलब्धि पर ख़ुशी ज़ाहिर की है. उन्होंने कहा कि इस उपलब्धि से देश को कोरोना के ख़िलाफ़ ज़ंग लड़ने में मदद मिलेगी.
जायकोव डी की वैक्सीन की ख़ास बातें-भारत में अभी 2 डोज़ वाली वैक्सीन लग रही हैं, जबकि जायकोव 3 तीन डोज़ की वैक्सीन है. हालांकि इसके ट्रायल अभी भी चल रहे हैं. इस वैक्सीन की पहली डोज़ लगने के बाद दूसरी डोज़ 28वें दिन और फिर तीसरी डोज़ 56वें दिन पर लगाई जाएगी. यानी ये 4 हफ़्ते के अंतर पर लगाई जाएगी. ख़ास बात ये है कि इस वैक्सीन को रूम टेंपरेचर पर स्टोर किया जा सकता है. ये वैक्सीन 2 डिग्री से लेकर 25 डिग्री तक के तापमान पर स्टोर की जा सकती है.
सीरीज़ फ्री वैक्सीन- ये एक सीरीज़ फ्री वैक्सीन है. इसका मतलब कि ये सीरीज़ (Syringe) की जगह जेट इंजेक्टर से लगाई जाएगी. जैसे कि कुछ लोग घर में डायबिटिज चेक करने के लिए इंजेक्टर से उंगली से ख़ून की एक बूंद निकालते हैं. हालांकि इस वैक्सीन को 90 डिग्री पर रखकर यानी सीधे लगाया जाएगा.
बच्चों पर भी है असरदार- इस वैक्सीन का टेस्ट बड़ों के अलावा 12 से 18 साल के बच्चों पर भी किया जा रहा है. ऐसे में संभव है कि भारत में बच्चों को लगने वाली ये पहली वैक्सीन हो. जायडस कैडिला पहले भी दावा कर चुकी है कि अप्रूवल मिलने के कुछ दिनों के अंदर ही ये वैक्सीन लोगों को लगाए जाने के लिए उपलब्ध करवाई जा सकती है. कंपनी का टारगेट हर महीने 2 करोड़ वैक्सीन लगाने का है. बता दें कि इस वैक्सीन का ट्रायल तक़रीबन 20 हज़ार लोगों पर किया गया है.