Karnataka Gold Mine Discovery भारत के लिए एक ऐतिहासिक खबर बनकर सामने आई है। सदियों से दुनिया की अर्थव्यवस्था में अपना दबदबा रखने वाला सोना एक बार फिर भारत की तकदीर बदलने को तैयार है। कर्नाटक, जिसे पहले से ही भारत का ‘गोल्डन स्टेट’ कहा जाता है और जो देश का 80% सोना उत्पादित करता है, वहां अब कोप्पल और रायचूर के जंगलों में एक ऐसा बेशकीमती खजाना मिला है, जो आने वाले समय में देश की इकॉनमी के लिए ‘गेम चेंजर’ साबित हो सकता है।
कर्नाटक के Mines and Geology Department ने राज्य में 65 नई Locations की पहचान की है, जहां सोने और दुर्लभ खनिजों की खोज चल रही है। इनमें से कोप्पल और रायचूर जिले उम्मीद की सबसे बड़ी किरण बनकर उभरे हैं। कोप्पल जिले के अमरापुर ब्लॉक में हुई स्टडी ने सबको चौंका दिया है। यहां प्रति टन पत्थर में 12 से 14 ग्राम सोना मिलने के संकेत मिले हैं। यह मात्रा असाधारण है, क्योंकि आमतौर पर भारत में Mining के दौरान प्रति टन सिर्फ 2 से 3 ग्राम सोना ही मिलता है। यहां तक कि देश की सबसे पुरानी हुट्टी गोल्ड माइंस में भी यह औसत 2 से 2.5 ग्राम ही है।
लिथियम का भी मिला बड़ा भंडार
सिर्फ सोना ही नहीं, रायचूर के अमरेश्वर में Lithium का भी भंडार मिला है। Lithium वही धातु है जिसे भविष्य का ‘सफेद सोना’ कहा जाता है। यह Electric Vehicles, मोबाइल, Battery और Energy Storage की रीढ़ मानी जाती है। भारत में लिथियम की यह दूसरी बड़ी खोज है। इसके अलावा, कर्नाटक सरकार जीएसआई और प्राइवेट एजेंसियों के साथ मिलकर इन 65 जगहों पर प्लैटिनम ग्रुप मेटल, बॉक्साइट, टंगस्टन, निकेल, कोबाल्ट, यूरेनियम और डायमंड जैसे दुर्लभ तत्वों की भी तलाश कर रही है।
जंगल बना सबसे बड़ी चुनौती
हालांकि, इस खजाने तक पहुंचना इतना आसान नहीं है। जिस इलाके में यह सोना और लिथियम मिला है, वह Virgin Protected Forest यानी पूरी तरह से सुरक्षित वन क्षेत्र में आता है। वन विभाग साफ कर चुका है कि ये जंगल देश की Ecological Wealth हैं। बिना Forest Clearance के यहां एक इंच भी Drilling या Mining नहीं हो सकती। कोप्पल और रायचूर में खोज के पहले दो स्टेज (टोही और पिटिंग) पूरे हो चुके हैं, लेकिन असली काम यानी Drilling अभी शुरू होना बाकी है। इसके अलावा, वहां गैरकानूनी खनन और माफिया का भी डर बना रहता है जो ग्राउंड टीम के लिए एक चुनौती है।
दुनिया भर में सोने की होड़ क्यों?
सोना किसी भी देश की आर्थिक मजबूती का आधार होता है। इसका मूल्य कभी शून्य नहीं होता और यह पूरी दुनिया में स्वीकार्य है। जब मुद्रास्फीति बढ़ती है या करेंसी की वैल्यू गिरती है, तो सोना और महंगा हो जाता है, जिससे यह एक आर्थिक सुरक्षा कवच बन जाता है। यही वजह है कि चीन जैसे देश पिछले 2 सालों में रिकॉर्ड मात्रा में सोना खरीद रहे हैं। चीन इसके जरिए डॉलर पर अपनी निर्भरता कम करना चाहता है और अपनी करेंसी युआन को मजबूत करना चाहता है। साथ ही, रूस-यूक्रेन युद्ध जैसे जियोपॉलिटिकल तनावों के बीच सोना ही सबसे सुरक्षित निवेश माना जाता है।
आरबीआई का सोने का खजाना
भारत के पास सोने का सबसे बड़ा भंडार Reserve Bank of India (RBI) के पास है। RBI के पास अब 800 टन से अधिक सोना है, जो दुनिया की सबसे बड़ी Gold Holdings में से एक है। यह सोना भारत के विदेशी मुद्रा भंडार का अहम हिस्सा है। RBI इसे बेचता नहीं है, बल्कि इसका उपयोग अंतरराष्ट्रीय वित्तीय मजबूती की गारंटी के तौर पर करता है। कर्नाटक के जंगलों में मिला यह नया खजाना अगर सही तरीके से निकाला गया, तो यह भारत की आने वाली पीढ़ियों की आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित कर सकता है।
मुख्य बातें (Key Points)
-
कोप्पल में प्रति टन 12-14 ग्राम सोना मिलने के संकेत मिले हैं।
-
रायचूर में Lithium का भंडार मिला है, जो EV के लिए जरूरी है।
-
ये खदानें Virgin Protected Forest में हैं, इसलिए Clearance जरूरी है।
-
RBI के पास 800 टन से ज्यादा का विशाल गोल्ड रिजर्व मौजूद है।






