Imran Khan Jail Isolation को लेकर पाकिस्तान से एक बेहद ही खौफनाक खबर सामने आ रही है। अदियाला जेल की चारदीवारी के पीछे पूर्व प्रधानमंत्री के साथ क्या हो रहा है, यह किसी को नहीं पता। उनके परिवार और पार्टी के लोगों को उनसे मिलने से रोक दिया गया है, जिसके बाद अब उनकी हत्या की अफवाहें जोर पकड़ने लगी हैं। हालात इतने बदतर हो चुके हैं कि अब इसकी तुलना हिटलर के दौर से की जाने लगी है।
मौत की अफवाह और जेल का अंधेरा
पाकिस्तान में इस वक्त जो हो रहा है, वह पहले कभी नहीं देखा गया। जेल के अंदर इमरान खान को पूरी तरह से आइसोलेशन (एकांतवास) में रखा गया है, जो कैद की सबसे मुश्किल सजा मानी जाती है। पिछले चार हफ्तों से न तो उनके वकीलों को और न ही परिवार के किसी सदस्य को उनसे मिलने दिया जा रहा है। यहां तक कि जिनकी मीटिंग पहले से तय थी, उन्हें भी गेट से वापस लौटा दिया गया। इस सन्नाटे और अंधेरे के बीच अब बाहर तरह-तरह की बातें फैल रही हैं। हद तो तब हो गई जब भारत से यह खबर उड़ने लगी कि जेल के अंदर इमरान खान का कत्ल कर दिया गया है। इतनी बड़ी अफवाह कैसे और क्यों फैलाई गई, यह समझ से परे है, लेकिन इसने समर्थकों के दिलों में डर पैदा कर दिया है।
बिजली गुल और किताबों पर पाबंदी
जेल मैनुअल के मुताबिक, किसी भी कैदी को चार दिन से ज्यादा आइसोलेशन में नहीं रखा जा सकता, लेकिन इमरान खान के साथ तमाम नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। पिछले साल उन्हें तीन हफ्ते तक आइसोलेट किया गया था और अब वही इतिहास दोहराया जा रहा है। भीषण गर्मी में उनकी सेल की बिजली काट दी गई है। इतना ही नहीं, उनके पढ़ने-लिखने पर भी रोक लगा दी गई है। न किताबें दी जा रही हैं और न ही टीवी देखने की इजाजत है। बाहरी दुनिया से उनका संपर्क पूरी तरह काट दिया गया है। यह जुल्म की इंतहा है, जहां एक लीडर को मानसिक और शारीरिक रूप से तोड़ने की हर मुमकिन कोशिश की जा रही है।
हिटलरशाही और डील का दबाव
मौजूदा सरकार और प्रशासन का रवैया बिल्कुल तानाशाह हिटलर जैसा हो गया है। पुलिस और सुरक्षाबलों को खुली छूट दे दी गई है कि वे समर्थकों, महिलाओं, बच्चों या बुजुर्गों के साथ जो चाहे करें, उन्हें कोई पूछने वाला नहीं है। यह सब सिर्फ इसलिए किया जा रहा है ताकि इमरान खान परेशान होकर घुटने टेक दें और देश छोड़कर जाने की “डील” कर लें, जैसे पहले नवाज शरीफ या जरदारी ने किया था। लेकिन इमरान खान एक आम राजनेता नहीं हैं। उन्होंने साफ कर दिया है कि चाहे उन्हें पूरी जिंदगी जेल में रखा जाए, वे कोई डील नहीं करेंगे और न ही देश छोड़कर भागेंगे। वे देश में बदलाव लाने के लिए डटे हुए हैं, न कि प्रधानमंत्री की कुर्सी के लिए।
अंतर्राष्ट्रीय चुप्पी और मीडिया का दमन
हैरानी की बात यह है कि पाकिस्तान में हो रहे मानवाधिकारों के हनन पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने चुप्पी साध रखी है। पश्चिमी देश सब कुछ जानते हुए भी खामोश हैं क्योंकि उनके हित मौजूदा हुक्मरानों से जुड़े हैं। डोनाल्ड ट्रंप ने तो आसिम मुनीर को अपना “अच्छा दोस्त” तक बता दिया, जिससे साफ है कि बाहरी ताकतें किसका साथ दे रही हैं। वहीं, पाकिस्तान के अंदर मीडिया का गला घोंट दिया गया है। जो पत्रकार या यूट्यूबर सच बोलने की हिम्मत कर रहे हैं, उन्हें उठाया जा रहा है, उनकी जमीनें छीनी जा रही हैं और पासपोर्ट ब्लॉक किए जा रहे हैं। सोहराब बरकत और आगा सरवर जैसे एक्टिविस्ट इसके ताजा शिकार हैं। देश में सेंसरशिप इतनी ज्यादा है कि सच दिखाने वाले चैनलों को ही ब्लॉक कर दिया जाता है।
मुख्य बातें (Key Points)
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इमरान खान को जेल में पूर्ण आइसोलेशन में रखा गया है, बिजली और किताबें भी छीन ली गई हैं।
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चार हफ्तों से किसी को मिलने नहीं दिया जा रहा, जिससे उनकी हत्या की अफवाहें फैल रही हैं।
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सरकार उन पर देश छोड़कर जाने (डील करने) का दबाव बना रही है, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया है।
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देश में मीडिया पर भारी सेंसरशिप है और पत्रकारों की संपत्तियां जब्त की जा रही हैं।






