चंडीगढ़ (The News Air) पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने सड़क दुर्घटना के एक मामले में अहम फैसला सुनाते हुए मृतक की पत्नी के अलावा उसकी विवाहित बेटी का भी मुआवजे पर अधिकारी होने की बात कही है। हाईकोर्ट ने कहा है कि हमारे पारंपरिक समाज में विवाहित बेटियों पर माता-पिता द्वारा उचित ध्यान दिया जाता है। उन्हें त्योहार व अन्य अवसरों पर अकसर नकद और अन्य प्रकार के उपहार दिए जाते हैं। पिता की मृत्यु के साथ बेटी उनके प्यार व स्नेह से तो वंचित हुई ही और उसे इसका आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ा है। इस कारण वह भी मुआवजे में हिस्सा पाने की हकदार है।
जस्टिस हरमिंदर सिंह मदान ने यह आदेश एक सड़क दुर्घटना में ट्रिब्यूनल द्वारा केवल मृतक की विधवा को मुआवजा देने के फैसले के खिलाफ बीमा कंपनी द्वारा दायर अपील को खारिज करते हुए दिए हैं। बीमा कंपनी ने मृतक की विधवा को 9 लाख 40 हजार 266 रूपए का मुआवजा ब्याज सहित देने के आदेशों को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। जबकि ट्रिब्यूनल ने मृतक के दो बालिग बेटे और एक विवाहित बेटी के दावे को खारिज करते हुए मुआवजे की पूरी राशि मृतक की विधवा को देने के आदेश दिए थे।
हाईकोर्ट ने ट्रिब्यूनल के फैसले को बदला
हाईकोर्ट ने बीमा कंपनी की याचिका को खारिज करने सहित ट्रिब्यूनल के आदेश पर भी सवाल खड़े किए। हाईकोर्ट ने कहा कि मुआवजे की पूरी राशि केवल मृतक की विधवा को कैसे दी जा सकती है। हाईकोर्ट ने ट्रिब्यूनल के फैसले में संशोधन कर मुआवजा राशि में से 55 प्रतिशत मृतक की विधवा और शेष 15-15 प्रतिशत राशि दोनों बेटों समेत 15 प्रतिशत राशि विवाहित बेटी को देने के आदेश दिए हैं।
यह है मामला
गौरतलब है कि मार्च 2016 में ट्रक की चपेट में आने से ड्राई क्लीनिंग का काम करने वाले एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। मामले में ट्रिब्यूनल ने ट्रक का बीमा करने वाली कंपनी को मृतक की विधवा को 9 लाख 40 हजार 266 रूपए का मुआवजा ब्याज समेत देने के आदेश दिए थे। लेकिन मृतक के तीनों बच्चों, दो बालिग बेटे और विवाहित बेटी को मुआवजा राशि देने से इनकार कर दिया था। लेकिन हाईकोर्ट ने बीमा कंपनी की अपील खारिज कर उन्हें भी मुआवजे में हिस्सा देने के आदेश दे दिए हैं।