Trump Pharma Deal India Impact : दिसंबर 2025 का महीना Pharma इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए दर्ज हो गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दुनिया की 9 दिग्गज Pharma Companies को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया है, जिसके बाद ये कंपनियां दवाओं की कीमतों में 300% से 700% तक की ऐतिहासिक कटौती करने पर सहमत हो गई हैं। इस फैसले की गूंज अब ‘दुनिया की फार्मेसी’ कहे जाने वाले भारत में भी सुनाई दे रही है, जहां सवाल उठ रहा है कि क्या अब हमारी जेब पर इसका बोझ बढ़ेगा?
अमेरिका में बदला खेल, जनता को राहत
ट्रंप की इस महा-डील का सीधा मकसद अमेरिकी नागरिकों को दुनिया की सबसे सस्ती दवाएं मुहैया कराना है। इसके लिए Most Favored Nation (MFA) नियम लागू किया गया है, यानी अब अमेरिका में दवाएं उसी कीमत पर मिलेंगी जिस पर भारत या कनाडा जैसे देशों में मिलती हैं। इतना ही नहीं, जनवरी 2026 में Trump Rx Platform लॉन्च किया जा रहा है। यह पोर्टल बिचौलियों और बीमा एजेंटों के मोटे कमीशन को खत्म कर मरीजों को सीधे कंपनियों से सस्ती दवा खरीदने की आजादी देगा।
‘भारत के लिए झटका या मुनाफे पर चोट’
भारत सालाना करीब 10 बिलियन डॉलर की दवाएं अमेरिका को Export करता है। Sun Pharma और Dr. Reddy’s जैसी भारतीय कंपनियां अपनी कम लागत और सस्ती दवाओं के दम पर वहां सफल रही हैं। लेकिन अब जब Global Companies (MNCs) खुद अमेरिका में दाम घटा रही हैं और ट्रंप ने ब्रांडेड दवाओं पर 100% Tariff लगाने की धमकी दे दी है, तो भारतीय Exporters के मुनाफे पर भारी चोट लग सकती है। यह भारतीय Pharma Sector के लिए ‘करो या मरो’ की स्थिति पैदा कर सकता है।
‘क्या भारत में महंगी हो जाएंगी दवाएं?’
सबसे बड़ा डर Profit Shifting का है। विशेषज्ञ मान रहे हैं कि बहुराष्ट्रीय कंपनियां अमेरिका में हो रहे अरबों डॉलर के नुकसान की भरपाई भारत जैसे उभरते बाजारों से कर सकती हैं। अगर कोई कंपनी अमेरिका में Cancer की दवा सस्ती करती है, तो वह भारत में उसी दवा की नई Patented किस्मों के दाम बढ़ाकर अपना घाटा पूरा करने की कोशिश कर सकती है। यानी, Immunotherapy और आधुनिक दवाएं आम भारतीय की पहुंच से दूर हो सकती हैं।
‘राहत की खबर और सरकार का कवच’
हालांकि, आम आदमी के लिए राहत की बात यह है कि भारत में Generic Market बहुत मजबूत है। NPPA (राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण) की सख्ती और जन औषधि केंद्रों की वजह से सामान्य दवाओं के दाम बढ़ना मुश्किल है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, अगस्त 2025 में ही सरकार ने 35 जीवन रक्षक दवाओं के दाम 77% तक घटाए थे। इसलिए बुखार, बीपी या शुगर जैसी आम बीमारियों की दवाएं महंगी होने की संभावना कम है।
‘चीन पर निर्भरता और भविष्य की राह’
इस डील ने भारत के लिए एक कड़वी सच्चाई भी सामने ला दी है। हम आज भी दवाओं के कच्चे माल (API) के लिए 70% तक चीन पर निर्भर हैं। दूसरी तरफ, ट्रंप के दबाव में MNCs ने अमेरिका में ही 150 बिलियन डॉलर के निवेश का वादा किया है ताकि वे चीन पर निर्भर न रहें। अब भारत के लिए भी यह अनिवार्य हो गया है कि वह API के मामले में आत्मनिर्भर बने, वरना वैश्विक बाजार की उठापटक का सीधा असर हमारी घरेलू कीमतों पर पड़ सकता है।
‘जानें पूरा मामला’
यह पूरा घटनाक्रम 19 और 20 दिसंबर 2025 को घटा, जब डोनाल्ड ट्रंप ने Merck, Novartis, Sanofi और GSK जैसी 9 बड़ी कंपनियों के साथ एक ऐतिहासिक समझौता किया। इसका उद्देश्य अमेरिकी स्वास्थ्य सेवा में क्रांतिकारी बदलाव लाना है, लेकिन इसने वैश्विक बाजार के समीकरण बदल दिए हैं। अब भारतीय कंपनियों को अपनी रणनीति बदलनी होगी ताकि वे इस नए Price War में टिक सकें।
‘मुख्य बातें (Key Points)’
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अमेरिका में दवा कंपनियों ने कीमतों में 300% से 700% कटौती पर सहमति जताई है।
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Trump Rx Platform जनवरी 2026 से मरीजों को सीधे सस्ती दवाएं बेचेगा।
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भारतीय Exporters के मुनाफे पर असर पड़ेगा क्योंकि अमेरिका में अब दाम बराबर होंगे।
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MNCs अमेरिका के घाटे की भरपाई के लिए भारत में नई दवाओं के दाम बढ़ा सकती हैं।
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भारत में Generic दवाएं सस्ती रहेंगी, लेकिन Patented दवाओं पर महंगाई का खतरा है।






