नई दिल्ली, 10 जुलाई (The News Air)
ऐसा क़ानून जो लोगों को 2 से अधिक बच्चे होने पर सरकारी सब्सिडी और अन्य सरकारी लाभों का लाभ उठाने से रोकता है, उसे दो-बच्चों की नीति के रूप में जाना जाता है। भारत में राष्ट्रीय बाल नीति नहीं है, लेकिन भाजपा के दो राज्य उत्तर प्रदेश और असम इस दिशा में आगे क़दम बढ़ा रहे हैं।
असम की जनसंख्या नियंत्रण नीति प्रस्ताव- असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा 2 बच्चों की नीति (Two Child Policy) के प्रबल समर्थक रहे हैं। सरकार 12 जुलाई से शुरू हो रहे राज्य के बजट सत्र में इस नीति के लिए नया क़ानून ला सकती है। असम ने 2017 में राज्य में जनसंख्या और महिला अधिकारिता नीति को लागू किया था, जिसमें सरकारी कर्मचारियों को दो बच्चों के मानदंड (Two Child Policy) का सख़्ती से पालन करने के लिए कहा गया था।
इस जनसंख्या नियम के तहत नए क़ानून में क़र्ज़ माफ़ी और अन्य सरकारी योजनाओं को लाया सकता है, लेकिन सरमा ने कहा है कि चाय बागान के मज़दूर और एससी/एसटी समुदाय को इसमें शामिल नहीं किया जाएगा। जुलाई के पहले सप्ताह में, सरमा ने स्वदेशी मुस्लिम समुदाय से मुलाक़ात की और कहा कि बंगाली बोलने वाले मुसलमानों के साथ भी इसी तरह की चर्चा होगी। सरमा ने कहा, “असम के कुछ हिस्सों में जनसंख्या विस्फोट ने राज्य के विकास के लिए एक वास्तविक ख़तरा पैदा कर दिया है।”
उत्तर प्रदेश दो-संतान नीति (Two Child Policy) प्रस्ताव- उत्तर प्रदेश का विधि आयोग एक ऐसा ही प्रस्ताव लेकर आया है, जिसके तहत दो से अधिक बच्चों वाले किसी भी व्यक्ति को सरकारी सब्सिडी प्राप्त करने से रोक दिया जाएगा। प्रस्ताव में वे सभी नियम हैं जो असम सरकार के पास पहले से मौजूद है – जैसे, दो से अधिक बच्चों वाला व्यक्ति सरकारी नौकरी के लिए आवेदन नहीं कर सकता है या स्थानीय निकाय चुनाव नहीं लड़ सकता है।
नए मसौदे क़ानून के मुताबिक़, “व्यक्तिगत क़ानून ए को बहू विवाह की अनुमति देता है। ए की तीन पत्नियां बी, सी और डी हैं। जहां तक बी, सी और डी की स्थिति है ए और बी, ए और सी, एवं ए और डी को तीन अलग-अलग विवाहित जोड़ों के रूप में गिना जाएगा। लेकिन जहां तक ए की स्थिति का संबंध है, इसे बच्चों की संख्या की गणना के उद्देश्य से एक विवाहित जोड़े के रूप में गिना जाएगा।”
अन्य राज्यों में दो बच्चों की नीति (Two Child Policy)- जबकि उत्तर प्रदेश और असम राज्य इस दिशा में नए क़दम उठा रहे हैं, वहीं कई अन्य राज्य हैं जिनमें स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने आदि जैसी विशिष्ट चीज़ों के लिए यह नियम पहले से लागू है। राजस्थान में यदि किसी व्यक्ति के दो से अधिक बच्चे हैं, तो उसे स्थानीय चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित कर दिया जाता है। इसी तरह से दो से अधिक बच्चों वाले लोगों को स्थानीय चुनाव लड़ने से रोकने का एक समान प्रावधान गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तराखंड, ओडीशा, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में मौजूद है।
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