Seema Goyal Murder Case – चंडीगढ़ में दिवाली की रात हुई एक सनसनीखेज हत्या ने Police को भी उलझा कर रख दिया था। लेकिन जब फॉरेंसिक साइंस और न्यूरो साइंस का मिलन हुआ, तो Brain Fingerprinting ने एक Professor के दिमाग में छिपे उस खौफनाक सच को उजागर कर दिया, जिसे वह दुनिया से छिपा रहा था।
दिवाली की रात और कटी हुई जाली का रहस्य
घटना 4 नवंबर 2021 की है, जब पूरा देश दिवाली मना रहा था, तब चंडीगढ़ में सीमा गोयल की उनके ही घर में हत्या कर दी गई। सीमा का शव घर के अंदर हाथ-पैर बंधे हुए हालत में मिला। उस वक्त उनके पति Professor Bhupendra Goyal घर पर ही मौजूद थे। Professor ने Police को एक कहानी सुनाई कि घर में चोर घुसे थे, जिन्होंने उनकी पत्नी को मार डाला। सबूत के तौर पर उन्होंने किचन की कटी हुई जाली भी दिखाई।
लेकिन Police की पैनी नजर और फॉरेंसिक जांच ने इस कहानी में झोल पकड़ लिया। जांच में पता चला कि जाली बाहर से नहीं, बल्कि अंदर से काटी गई थी। यानी कोई बाहरी व्यक्ति आया ही नहीं था। इसके अलावा, Professor ने Police को सूचना देने से पहले ही Dead Body को Hospital पहुंचा दिया था और पूछताछ में भी वे बार-बार गोलमोल जवाब दे रहे थे।
दिमाग ने उगला सच: BEOSP टेस्ट
जब Police का शक यकीन में बदलने लगा, तो उन्होंने सच उगलवाने के लिए BEOSP (Brain Electrical Oscillation Signature Profiling) टेस्ट का सहारा लिया। इसे आम बोलचाल में Brain Signature या Brain Fingerprinting भी कहते हैं। इस Test का Result Positive आया, जिसने Police को आरोपी पति के खिलाफ अहम सबूत दे दिए। इसके बाद 8 दिसंबर को भूपेंद्र गोयल को गिरफ्तार कर Court में पेश किया गया, जहां से उन्हें 3 दिन की Police Remand पर भेज दिया गया।
कैसे काम करता है यह ‘साइलेंट विटनेस’?
यह Test किसी सामान्य पूछताछ जैसा नहीं होता। इसमें आरोपी से सवाल-जवाब नहीं किए जाते, बल्कि यह एक तरह का Mind Scan है। इसमें यह देखा जाता है कि Criminal के दिमाग में Crime से जुड़ी यादें सेव हैं या नहीं। ठीक वैसे ही जैसे उंगलियों के Fingerprints होते हैं, वैसे ही दिमाग में घटनाओं की छाप होती है।
इस प्रक्रिया में आरोपी के सिर पर इलेक्ट्रोड वाली एक Cap लगाई जाती है। उसे आंखें बंद करके शांत बैठना होता है। फिर Headphone या Screen के जरिए उसे छोटे-छोटे Sentences या Audio Clips सुनाए जाते हैं, जैसे “मैंने जाली काटी” या “मैंने उसे कमरे में बुलाया”। अगर उसने वह अपराध किया है, तो उसका दिमाग इन वाक्यों पर एक विशेष प्रतिक्रिया देता है, जिसे मशीन Record कर लेती है।
पॉलीग्राफ से कितना अलग और भरोसेमंद?
अक्सर लोग इसे Polygraph या Lie Detector Test जैसा समझते हैं, लेकिन यह उससे बिल्कुल अलग है। Polygraph टेस्ट झूठ बोलते समय आपके डर, Blood Pressure और Heart Beat को मापता है। Experts का मानना है कि Stress को तो कंट्रोल किया जा सकता है, लेकिन दिमाग में बसी यादों (Memories) को कंट्रोल नहीं किया जा सकता। BEOSP सीधे याददाश्त को मापता है, इसलिए इसे ज्यादा भरोसेमंद माना जाता है।
आम आदमी के लिए मायने
यह तकनीक साबित करती है कि अब अपराधी कितना भी शातिर क्यों न हो, विज्ञान उसके दिमाग में छिपे सच को बाहर ला सकता है। यह न्याय प्रणाली में एक उम्मीद की किरण है कि गवाह झूठ बोल सकते हैं, लेकिन दिमाग की तरंगें नहीं।
जानें पूरा मामला (Background)
यह तकनीक भारत में ही विकसित की गई है। इसे Neuroscientist Professor C. R. Mukundan ने 2003 में Research करके बनाया था। वे बेंगलुरु स्थित ‘नीम हंस’ (NIMHANS) में काम कर चुके हैं। भारत में इसकी पहली Lab गुजरात के गांधीनगर स्थित Forensic Science Laboratory में बनी थी। हालांकि, Supreme Court ने 2010 में स्पष्ट किया था कि यह Test आरोपी की मर्जी के बिना नहीं किया जा सकता और इसके नतीजे केवल Corroborative Evidence (सहयोगात्मक सबूत) माने जाएंगे, जो Police को जांच की सही दिशा देते हैं।
मुख्य बातें (Key Points)
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Chandigarh के Seema Goyal Murder Case में पति भूपेंद्र गोयल को गिरफ्तार किया गया।
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Police ने सच जानने के लिए BEOSP (Brain Fingerprinting) टेस्ट का इस्तेमाल किया।
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फॉरेंसिक जांच में किचन की जाली अंदर से कटी हुई पाई गई थी।
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यह Test आरोपी के दिमाग में छिपी Crime की यादों (Memories) को पकड़ता है।






