Assam Rajdhani Express Elephant Accident : शनिवार 20 दिसंबर की अल सुबह असम के होजाई जिले में एक ऐसी घटना घटी जिसने हर किसी का दिल झकझोर कर रख दिया। सैरांग से नई दिल्ली जा रही तेज रफ्तार राजधानी एक्सप्रेस जंगल के बीच गुजरते समय अचानक ट्रैक पर आए हाथियों के झुंड से टकरा गई। इस भीषण हादसे में 8 हाथियों की मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई और ट्रेन का इंजन समेत 5 डिब्बे पटरी से उतर गए। गनीमत यह रही कि ट्रेन में सवार सभी यात्री सुरक्षित हैं।
रात के घुप अंधेरे में करीब 2:15 बजे यह हादसा उस वक्त हुआ जब ट्रेन अपनी रफ्तार में थी। जंगल के सन्नाटे को चीरती हुई ट्रेन के सामने अचानक हाथियों का परिवार आ गया। लोको पायलट ने खतरा देखते ही इमरजेंसी ब्रेक लगाए, लेकिन भारी-भरकम ट्रेन की गति को तुरंत थामना नामुमकिन था और देखते ही देखते ट्रैक पर तबाही का मंजर पसर गया।
‘यात्रियों में मची अफरातफरी, लेकिन टला बड़ा मानवीय हादसा’
टक्कर इतनी जोरदार थी कि ट्रेन के अंदर बैठे यात्रियों को जबरदस्त झटका लगा। इंजन और 5 बोगियां पटरी से उतरते ही यात्रियों में चीख-पुकार मच गई। कुछ पल के लिए किसी को समझ नहीं आया कि क्या हुआ है। हालांकि, इसे कुदरत का करिश्मा ही कहेंगे कि इतना बड़ा हादसा होने के बावजूद किसी भी यात्री को कोई गंभीर चोट नहीं आई और ना ही किसी की जान गई। रेलवे अधिकारियों के मुताबिक, लोको पायलट की सूझबूझ और इमरजेंसी ब्रेक की वजह से नुकसान काफी हद तक सीमित रह गया, वरना परिणाम और भी भयानक हो सकते थे।
‘बेजुबानों के लिए काल बना रेलवे ट्रैक’
हादसे की सूचना मिलते ही लुमडिंग डिवीजन के रेलवे अधिकारी, जीएम और डीआरएम तुरंत मौके पर पहुंचे। राहत कार्य शुरू किया गया और यात्रियों को सुरक्षित निकालकर ट्रेन के अन्य खाली कोचों में शिफ्ट किया गया। ट्रैक को साफ करने और मृत हाथियों को हटाने के लिए वन विभाग की टीम ने भी मोर्चा संभाला। एक हाथी गंभीर रूप से घायल है, जिसका इलाज करने की कोशिश की जा रही है। सुबह करीब 5:15 बजे ट्रेन को गुवाहाटी के लिए रवाना किया गया, जहां यात्रियों की सुविधा के लिए अतिरिक्त कोच जोड़े गए।
विश्लेषण: विकास की कीमत चुकाते बेजुबान
यह घटना सिर्फ एक ‘दुर्घटना’ नहीं, बल्कि हमारे सिस्टम की एक बड़ी नाकामी है। जिस जमुना मुख-कामपुर रेलखंड पर यह हादसा हुआ, वह पहले से ही ‘हाथी कॉरिडोर’ के रूप में चिन्हित है। यह जानते हुए कि यहाँ अक्सर जंगली हाथियों की आवाजाही रहती है, सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम क्यों नहीं किए गए? यह सवाल उठना लाजिमी है कि हम विकास की दौड़ में इतने अंधे क्यों हो गए हैं कि जंगलों से गुजरने वाली लाइनों पर वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए कोई ठोस ‘ऑटोमेटिक डिटेक्शन सिस्टम’ या गति सीमा का सख्ती से पालन सुनिश्चित नहीं कर पा रहे। जब तक ऐसे संवेदनशील क्षेत्रों में तकनीक और सतर्कता का मेल नहीं होगा, ऐसी खबरें हेडलाइन बनती रहेंगी और बेजुबान मरते रहेंगे।
जानें पूरा मामला
यह ट्रेन मिजोरम के सैरांग (आइजोल के पास) से चलकर दिल्ली के आनंद विहार टर्मिनल जा रही थी। हादसा असम के नगांव वन मंडल के तहत आने वाले क्षेत्र में हुआ। यह पूरा इलाका हाथियों का गढ़ माना जाता है। हादसे के बाद इस रूट पर ट्रेनों का परिचालन अस्थाई रूप से प्रभावित हुआ है और प्रशासन वैकल्पिक मार्गों से यातायात सुचारू करने में जुटा है।
मुख्य बातें (Key Points)
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दर्दनाक मौत: राजधानी एक्सप्रेस की टक्कर से 8 हाथियों की मौत, 1 गंभीर रूप से घायल।
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हादसे का समय: घटना शनिवार (20 दिसंबर) को रात करीब 2:15 बजे हुई।
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यात्री सुरक्षित: इंजन और 5 कोच पटरी से उतरे, लेकिन किसी यात्री को चोट नहीं आई।
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हाथी कॉरिडोर: हादसा उस जगह हुआ जो पहले से ही हाथियों की आवाजाही के लिए जाना जाता है।






