Blue Origin NS-37 Mission : अंतरिक्ष अब केवल शारीरिक रूप से फिट अंतरिक्ष यात्रियों के लिए नहीं रहा, बल्कि अब यह सीमाएं टूट चुकी हैं। 20 दिसंबर 2025 को टेक्सास की धरती से एक ऐसी ऐतिहासिक उड़ान भरी गई जिसने साबित कर दिया कि अगर हौसले बुलंद हों तो शारीरिक अक्षमता कोई बाधा नहीं बन सकती। जेफ बेजोस की कंपनी ब्लू ओरिजिन ने एक व्हीलचेयर यूजर को अंतरिक्ष की सैर कराकर मानव इतिहास में एक नया स्वर्णिम अध्याय जोड़ दिया है।

असंभव को संभव बनाती एक उड़ान
अमेजन के संस्थापक जेफ बेजोस की अंतरिक्ष कंपनी Blue Origin ने अपने ‘न्यू शेपर्ड’ (New Shepard) रॉकेट के जरिए एक ऐसा कारनामा कर दिखाया है, जिसकी कल्पना कुछ समय पहले तक मुश्किल थी। जर्मन एयरोस्पेस इंजीनियर माइकेला बेंटहाउस (जिन्हें मिची बेंटहाउस भी कहा जाता है) दुनिया की पहली ऐसी व्हीलचेयर उपयोगकर्ता बन गई हैं, जिन्होंने पृथ्वी के वायुमंडल को पार कर अंतरिक्ष में कदम रखा है। यह घटना अंतरिक्ष पर्यटन के क्षेत्र में समावेशिता (Inclusivity) की एक बड़ी मिसाल बन गई है।
‘व्हीलचेयर से सीधे अंतरिक्ष की सीमा के पार’
यह ऐतिहासिक मिशन NS-37 नाम से लॉन्च किया गया था। वेस्ट टेक्सास लॉन्च साइट से उड़ान भरने वाले इस रॉकेट में कुल छह यात्री सवार थे। सबसे खास बात यह रही कि माइकेला बेंटहाउस ने अपनी शारीरिक चुनौतियों को पीछे छोड़ते हुए अंतरिक्ष की आधिकारिक सीमा, जिसे ‘कार्मन लाइन’ (Kármán line) कहा जाता है और जो पृथ्वी से 100 किलोमीटर की ऊंचाई पर है, को पार कर लिया। यह पल न केवल उनके लिए बल्कि पूरी दुनिया के दिव्यांग समुदाय के लिए गर्व का क्षण था।
’10 मिनट का रोमांच और भारहीनता का अनुभव’
यह सबऑर्बिटल उड़ान लगभग 10 मिनट तक चली, लेकिन इन चंद मिनटों ने यात्रियों को जीवन भर का अनुभव दे दिया। अंतरिक्ष में पहुंचते ही यात्रियों ने कुछ मिनटों के लिए भारहीनता (Weightlessness) का अनुभव किया। उन्होंने अंतरिक्ष से पृथ्वी के अद्भुत और विहंगम नजारे को अपनी आंखों में कैद किया। एक व्हीलचेयर यूजर के लिए गुरुत्वाकर्षण के बंधन को तोड़कर हवा में तैरना किसी सपने के सच होने जैसा था।
‘संपादकीय विश्लेषण: अब अंतरिक्ष सबके लिए है’
ब्लू ओरिजिन की यह सफलता महज एक तकनीकी उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह एक सामाजिक क्रांति भी है। अब तक माना जाता था कि अंतरिक्ष यात्रा के लिए शरीर का पूरी तरह सक्षम होना जरूरी है, लेकिन माइकेला बेंटहाउस की उड़ान ने इस धारणा को ध्वस्त कर दिया है। यह मिशन संदेश देता है कि भविष्य में अंतरिक्ष पर्यटन के दरवाजे हर वर्ग और हर शारीरिक क्षमता वाले व्यक्ति के लिए खुलेंगे। यह कदम दिव्यांगजनों के सपनों को नई उड़ान देने वाला है, जिससे आम आदमी के जीवन में आशा की एक नई किरण जगी है।
‘जानें पूरा मामला’
यह ऐतिहासिक घटना 20 दिसंबर 2025 को घटी, जब ब्लू ओरिजिन के मिशन NS-37 ने उड़ान भरी। इस मिशन का मुख्य आकर्षण जर्मन इंजीनियर माइकेला बेंटहाउस थीं, जो व्हीलचेयर पर होने के बावजूद अंतरिक्ष यात्री बनीं। रॉकेट ने सभी 6 यात्रियों को सुरक्षित रूप से कार्मन लाइन के पार पहुंचाया और वापस धरती पर लैंड कराया।
‘मुख्य बातें (Key Points)’
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ब्लू ओरिजिन के NS-37 मिशन ने पहली व्हीलचेयर यूजर को अंतरिक्ष में भेजकर इतिहास रचा।
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जर्मन इंजीनियर माइकेला बेंटहाउस ने 100 किमी की ऊंचाई वाली कार्मन लाइन को पार किया।
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यह उड़ान 20 दिसंबर 2025 को वेस्ट टेक्सास लॉन्च साइट से सफलतापूर्वक लॉन्च हुई।
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10 मिनट की उड़ान में यात्रियों ने भारहीनता और पृथ्वी के अद्भुत नजारे का अनुभव किया।






