नई दिल्ली, 04 जनवरी (The News Air) सुप्रीम कोर्ट ने बुजुर्ग माता-पिता के हक में ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए स्पष्ट किया है कि संपत्ति या गिफ्ट अपने नाम कराने के बाद बच्चों को माता-पिता की देखभाल करनी होगी। यदि कोई संतान ऐसा करने में विफल रहती है, तो उसे संपत्ति लौटानी पड़ेगी।
बुजुर्गों के सम्मान और अधिकार की रक्षा : यह फैसला उन माता-पिता के लिए एक बड़ा सहारा है, जो अपने बच्चों को संपत्ति देने के बाद उपेक्षा और तिरस्कार का सामना करते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बुजुर्ग माता-पिता को ठुकराना अब कानूनी रूप से संभव नहीं होगा। इस फैसले का उद्देश्य समाज में पारिवारिक मूल्यों और बुजुर्गों के सम्मान को बनाए रखना है।
संपत्ति वापस लौटाने का प्रावधान : न्यायालय ने कहा कि ऐसे मामले में जब बच्चे माता-पिता को छोड़ देते हैं, तो उन्हें संपत्ति, गिफ्ट या अन्य उपहार लौटाने होंगे। यह निर्णय न केवल बुजुर्गों के लिए न्याय का प्रतीक है, बल्कि यह उन बच्चों के लिए चेतावनी भी है, जो अपने माता-पिता की अनदेखी करते हैं।
बड़ा सामाजिक संदेश : इस ऐतिहासिक फैसले के जरिए सुप्रीम कोर्ट ने यह संदेश दिया है कि माता-पिता का सम्मान और उनकी देखभाल करना हर संतान का कर्तव्य है। इस फैसले से समाज में बुजुर्गों की सुरक्षा और उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ेगी।