शिमला (Shimla) 25 जनवरी (The News Air): हिमाचल प्रदेश सरकार ने भांग (Cannabis) की खेती को औद्योगिक और औषधीय उपयोग के लिए सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। इस फैसले को राज्य की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने और नए औद्योगिक अवसर पैदा करने के नजरिए से देखा जा रहा है। हालांकि, इस कदम ने कई सवाल भी खड़े किए हैं। राज्यपाल शिवप्रताप शुक्ल (Shiv Pratap Shukla) ने सरकार को सचेत करते हुए कहा है कि यह सुनिश्चित किया जाए कि भांग का उपयोग नशे के लिए नहीं बल्कि औषधीय और औद्योगिक उद्देश्यों के लिए ही हो।
भांग की खेती पर हिमाचल कैबिनेट का फैसला
धर्मशाला (Dharamshala) में हुई कैबिनेट बैठक में भांग की खेती को लेकर पायलट प्रोजेक्ट की मंजूरी दी गई। इस फैसले के तहत चौधरी सरवन कुमार कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर (CSK Agriculture University, Palampur) और डॉ. वाईएस परमार उद्यानिकी विश्वविद्यालय, नौणी (Dr. YS Parmar Horticulture University, Nauni) के द्वारा भांग की खेती पर पायलट अध्ययन किया जाएगा। यह अध्ययन भांग के औषधीय और औद्योगिक उपयोग की संभावनाओं का मूल्यांकन करेगा।
राज्य के उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान (Harshvardhan Chauhan) ने कहा, “भांग की खेती को लेकर यह एक बड़ा कदम है। अध्ययन के आधार पर भविष्य में बड़े स्तर पर खेती की संभावनाओं का आकलन किया जाएगा। यह राज्य के किसानों को नई संभावनाएं देगा।”
राज्यपाल की चिंता और सुझाव
राज्यपाल शिवप्रताप शुक्ल ने सरकार के इस फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा, “भांग की खेती पर मंजूरी से पहले यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि इसका उपयोग केवल औषधीय और औद्योगिक उत्पादों के निर्माण में हो। हिमाचल में पहले भी मलाणा (Malana) की भांग को लेकर गर्व किया जाता था, लेकिन इसका गलत उपयोग नशे के रूप में होने लगा। सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसी गलतियां दोबारा न हों।”
उन्होंने यह भी कहा कि हिमाचल में फार्मा इंडस्ट्रीज (Pharma Industries) से जुड़ी दवाओं के सेंपल फेल होने के मामले चिंता का विषय बने हुए हैं। इसके लिए सख्त कार्रवाई और निगरानी की जरूरत है।
भांग की खेती के संभावित फायदे
भांग को औद्योगिक और औषधीय उपयोग के लिए एक बहुपयोगी फसल माना जाता है। इससे:
- औषधीय उत्पादों (Medicinal Products) का निर्माण किया जा सकता है।
- कपड़ा, पेपर और बायोडिग्रेडेबल उत्पाद जैसे इको-फ्रेंडली प्रोडक्ट्स (Eco-friendly Products) तैयार किए जा सकते हैं।
- किसानों को नई फसल के जरिए आर्थिक लाभ मिल सकता है।
उत्तराखंड (Uttarakhand) जैसे राज्यों में पहले से भांग की खेती को नियंत्रित और वैध किया गया है, और हिमाचल इसी मॉडल पर आगे बढ़ने की योजना बना रहा है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
राज्य के विपक्षी नेताओं ने इस फैसले पर मिश्रित प्रतिक्रिया दी है। कुछ नेताओं ने इसे राज्य की आर्थिक स्थिति को सुधारने का प्रयास बताया, जबकि कुछ ने नशाखोरी बढ़ने की आशंका जाहिर की।
भांग की खेती से जुड़े रोचक तथ्य
- हिमाचल प्रदेश के मलाणा (Malana) गांव की भांग दुनिया भर में प्रसिद्ध है।
- भांग से तैयार किए गए औषधीय उत्पाद कैंसर, मिर्गी और अन्य गंभीर बीमारियों के इलाज में मददगार हो सकते हैं।
- कई देशों में इंडस्ट्रियल हेम्प (Industrial Hemp) के जरिए पर्यावरण के अनुकूल उत्पाद बनाए जा रहे हैं।
भविष्य की चुनौतियां
- भांग की खेती को नियंत्रित और मॉनिटर करना।
- भांग के नशे के लिए उपयोग को रोकने के लिए कड़े नियम।
- स्थानीय लोगों और किसानों को इसके सही उपयोग के बारे में जागरूक करना।
हिमाचल प्रदेश में भांग की खेती को लेकर सरकार का फैसला बड़े आर्थिक और औद्योगिक लाभ का वादा करता है। हालांकि, राज्यपाल शिवप्रताप शुक्ल की चिंताओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि इस फैसले का क्रियान्वयन जिम्मेदारी और सख्ती से किया जाए ताकि हिमाचल प्रदेश का नाम औषधीय उपयोग और नवाचार के क्षेत्र में चमके।