HDFC Bank Loan: भारतीय रिजर्व बैंक ने मॉनिटरी पॉलिसी का एलान करते हुए रेपो रेट 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा है. इस बीच, देश के सबसे बड़े प्राइवेट बैंक एचडीएफसी ने ग्राहकों को बड़ा झटका दिया है. बैंक ने अपने ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी की है. बैंक ने अपने मार्जिनल कॉस्ट ऑफ लैंडिंग रेट्स यानी एमसीएलआर में इजाफा कर दिया है. इसके बाद से बैंक के होम लोन, कार लोन, पर्सनल लोन समेत सभी ऋण महंगे हो गए हैं. बैंक की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के अनुसार, एचडीएफसी ने एमसीएलआर में 10 बेसिस पॉइंट यानी 0.10 फीसदी की बढ़ोतरी की है. इससे आज से ईएमआई की रकम भी बढ़ गयी है. बैंक के द्वारा नयी दरों को आठ फरवरी से लागू कर दिया गया है. अब एचडीएफसी बैंक का एमसीएलआर 8.90 फीसदी से 9.35 फीसदी के बीच हो गया है.
कितना हुआ बदलाव : एचडीएफसी के एमसीएलआर में बदलाव करने के बाद, ओवरनाइट ऋण के लिए मार्जिन कॉस्ट 8.80 से बढ़कर 8.90 प्रतिशत हो गया है. जबकि, एक महीने के लिए गए ऋण पर ब्याज एमसीएलआर 8.85 प्रतिशत से बढ़कर 8.90 प्रतिशत हो गया है. बैंक पहले तीन महीने के ऋण पर 9 प्रतिशत का एमसीएलआर वसूल करती थी जो अब 9.10 प्रतिशत लेती है. इसके साथ ही, छह महीने के ऋण पर एमसीएलआर को बैंक ने बढ़ाकर 9.30 प्रतिशत कर दिया है. वहीं, एक साल के लिए ऋण लेने पर एमसीएलआर 9.25 प्रतिशत से बढ़कर 9.30 प्रतिशत हो गया है. हालांकि, बैंक ने अपने तीन साल के ऋण पर एमसीएलआर में कोई परिवर्तन नहीं किया है. ये पहले की तरह 9.35 प्रतिशत बना हुआ है.
क्या होगा आप पर असर
लोन की ईएमआई बढ़ेगी
एचडीएफसी के एमसीएलआर बढ़ाने से ऋण पर ब्याज दर बढ़ेगी. इसका अर्थ है कि कर्ज लेने वाले लोगों को ईएमआई का ज्यादा भुगतान करना होगा. मासिक किस्त में बढ़ोत्तरी होगी.
नया लोन लेना भी होगा महंगा
बैंक से कर्ज लेना महंगा होगा. इसके साथ ही, मुश्किल भी होगा. इसका असर सबसे ज्यादा उनपर पड़ेगा जिनका क्रेडिट स्कोर खराब या आय कम है.
घरेलू खर्च पर नकारात्मक असर
एमसीएलआर बढ़ने से लोन की लागत बढ़ जाती है, जिससे लोगों के पास खर्च करने के लिए कम पैसा होता है. इससे घरेलू खर्च में कमी आ सकती है. इससे आर्थिक विकास धीमा हो सकता है.
सरकार को होगा लाभ
एचडीएफसी के एमसीएलआर को बढ़ाने से सरकार के कर राजस्व में बढ़ोतरी होगी. इसका अर्थ है कि सरकारी खजाने में ज्यादा पैसा आएगा और सार्वजनिक सेवाओं पर खर्च करने के लिए अधिक पैसा होगा.
क्या होगा है एमसीएलआर : मार्जिनल कॉस्ट ऑफ लैंडिंग (Marginal Cost of Lending) एक तरह की ब्याज दर है जो बैंक या वित्तीय संस्था उच्चतम एक्सपेक्टेड लेनदेन को पूरा करने के लिए अपनी उधार देने की प्रक्रिया का मूल्यांकन करती है. सीधे शब्दों में एक ब्याज दर जिससे नीचे बैंक आपको ऋण नहीं देती है. मार्जिनल कॉस्ट ऑफ लैंडिंग को प्राप्त करने के लिए, बैंक या वित्तीय संस्था को अपने लेनदेन के लिए पूंजी उपलब्ध कराने के लिए अलग-अलग स्रोतों से पूंजी जुटानी होती है. इन स्रोतों में शामिल हो सकते हैं डिपोजिट, बाज़ार उधार, रिपो उधार, वित्तीय संस्थानों से उधार लेना आदि. इसके अलावा, मार्जिनल कॉस्ट ऑफ लैंडिंग एक महत्वपूर्ण अंश है जो सेंट्रल बैंकों द्वारा मॉनेटरी पॉलिसी के निर्धारण में उपयोग किया जाता है. इसे बैंक के लेनदेन की आवश्यकता और मॉनेटरी पॉलिसी के अनुसार ब्याज दरों को समझने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है.