Bangladesh Economy Crisis: पाकिस्तान की चरमराती अर्थव्यवस्था की तरह अब उसका पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश भी बर्बादी की उसी राह पर चलता दिखाई दे रहा है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार, जिसकी कमान मोहम्मद यूनुस के हाथों में है, कर्ज के एक ऐसे भयंकर जाल में फंस चुकी है जिससे निकलना नामुमकिन सा लग रहा है। यह डराने वाला खुलासा किसी विदेशी एजेंसी ने नहीं, बल्कि खुद बांग्लादेश के वित्त मंत्रालय के आंकड़ों ने किया है, जिसने देश की आर्थिक बदहाली की पोल खोलकर रख दी है।
कर्ज के बोझ तले दबा बांग्लादेश
बांग्लादेश के वित्त मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, इस साल मार्च तक देश का कुल बकाया कर्ज 19,99,928 करोड़ टका पर पहुंच गया है। इसमें से विदेशी कर्ज का हिस्सा 8,41,992 करोड़ टका है। हालात इतने खराब हैं कि साल 2024 के अंत तक विदेशी कर्ज 104.48 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जो पिछले 5 सालों में 42% की भारी बढ़ोतरी को दर्शाता है।
हैरानी की बात यह है कि बांग्लादेश का बाहरी कर्ज अब उसकी कुल निर्यात कमाई के 192% के बराबर हो गया है। इसका सीधा मतलब है कि देश जितना कमा रहा है, उससे कर्ज चुकाना लगभग असंभव है। हर साल निर्यात से होने वाली कमाई का 16% हिस्सा सिर्फ कर्ज की किस्तें चुकाने में ही उड़ जाता है।
श्रीलंका के बाद सबसे बुरा हाल
वर्ल्ड बैंक की 2025 की इंटरनेशनल डेट रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि दक्षिण एशिया में श्रीलंका के बाद बांग्लादेश दूसरा ऐसा देश है, जहां कर्ज चुकाने का दबाव सबसे तेजी से बढ़ रहा है। देश की आमदनी का जरिया भी सूखता जा रहा है। टैक्स से जीडीपी का अनुपात जो पहले 10% था, वह अब गिरकर महज 7% रह गया है।
सबसे चिंताजनक बात यह है कि अब कर्ज का ब्याज चुकाना देश का दूसरा सबसे बड़ा खर्च बन गया है। इससे पहले यह स्थान कृषि और शिक्षा बजट का होता था, लेकिन अब ब्याज अदायगी ने विकास के पैसों को निगल लिया है।
‘पतले इंसान को वजन कम करने जैसा’
रेवेन्यू अथॉरिटी के प्रमुख एम अब्दुल रहमान खान ने चेतावनी दी है कि देश खतरनाक निर्भरता की ओर बढ़ रहा है। वहीं, फाइनेंस सेक्रेटरी एम खिजुर रामा मजूमदार ने स्थिति को बहुत ही सटीक शब्दों में बयां किया है। उन्होंने कहा कि मौजूदा बजट कटौती वैसा ही है जैसे “किसी पतले इंसान को और वजन कम करने को कहा जाए।” 2025 का नेशनल बजट इतिहास में पहली बार इतना छोटा था, और अब इसमें और कटौती का मतलब है कि देश का बुनियादी विकास पूरी तरह ठप हो जाएगा।
बैंकिंग सिस्टम का भी निकला दम
ढाका का बिजनेस और लोकल इकोनॉमी भी पस्त है। अनिश्चितता, ऊर्जा संकट और राजनीतिक हिंसा के कारण विदेशी निवेश लगभग शून्य हो चुका है। बैंकिंग सिस्टम की हालत खस्ता है। ‘नॉन परफॉर्मिंग लोन’ (खराब कर्ज) की समस्या विकराल हो गई है। सिर्फ 6 महीनों में यह 2.24 लाख करोड़ टका बढ़ गया और सितंबर 2025 तक 6.44 लाख करोड़ टका के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। डिफॉल्ट लोन रेट मार्च के 24% से बढ़कर सितंबर में 35.73% हो गया है।
आम आदमी पर असर
इस आर्थिक बदहाली की सबसे बड़ी मार आम जनता पर पड़ रही है। महंगाई, कम वेतन और खरीदारी की क्षमता में भारी कमी ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है। जब सरकार का पैसा ब्याज चुकाने में जाएगा, तो शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के लिए बजट नहीं बचेगा, जिससे आम आदमी का जीवन स्तर और नीचे गिरेगा।
‘जानें पूरा मामला’
अगस्त 2024 की राजनीतिक उथल-पुथल के बाद से बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था लगातार नीचे लुढ़क रही है। मोहम्मद यूनुस की सरकार को विरासत में एक कमजोर अर्थव्यवस्था मिली, जो अब वर्ल्ड बैंक, आईएमएफ और चीन के कर्ज के जाल में बुरी तरह फंस चुकी है। विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि अगर कड़े फैसले नहीं लिए गए और सुधार नहीं हुए, तो 2026 तक देश पूर्ण कर्ज संकट (Full Debt Crisis) का शिकार हो सकता है।
‘मुख्य बातें (Key Points)’
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बांग्लादेश का कुल बकाया कर्ज 19,99,928 करोड़ टका तक पहुंच गया है।
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विदेशी कर्ज निर्यात कमाई के 192% के बराबर हो गया है।
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ब्याज चुकाना अब देश का दूसरा सबसे बड़ा सरकारी खर्च बन चुका है।
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सितंबर 2025 तक खराब लोन (NPL) 6.44 लाख करोड़ टका तक पहुंच गया।






