चंडीगढ़़, 30 जून, (The News Air)
हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया है कि केंद्र के तीनों कृषि कानून वापस नहीं होंगे। किसान आंदोलन को सात महीने हो चुके हैं और इस अवधि में आम जनती का भी अंडरस्टैंडिंग बन गई है कि अगर कुछ होना होता तो अब तक हो जाता। तीनों ही कृषि कानून किसानों के हक में हैं और किसान इस बात को समझते भी हैं। दिल्ली बार्डर पर मुट्ठीभर लोग माहौल बिगाड़ रहे हैं।
बुधवार को चंडीगढ़ में मीडिया से रूबरू हुए सीएम ने कहा कि आंदोलन को कांग्रेस व कुछ राजनीतिक दल अपने सियासी फायदे के लिए हवा दे रहे हैं। किसानों को तीनों कानूनों के बारे में बताया जा चुका है। आंदोलनकारी कानूनों में कमियां बताए बिना ही इन्हें वापस लेने की जिद पर अड़े हैं। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर स्पष्ट तौर पर कह चुके हैं कि सरकार खुलकर बातचीत के लिए तैयार है। किसानों को बातचीत करनी चाहिए लेकिन वे इस शर्त के लिए बातचीत करेंगे कि पहले कानून वापस लो तो कुछ नहीं होने वाला।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘किसान बड़ा पवित्र शब्द है और हर किसी की किसानों के साथ आस्था व श्रद्धा है। इस आंदोलन में कई ऐसी घटनाएं हुई हैं, जिससे काफी बदनामी हो रही है। बहन-बेटियों की इज्जत लूटी जा रही है और मर्डर हो रहे हैं। स्थानीय लोगों के साथ भी विवाद हो गया है’। उन्होंने कहा कि अलोकतांत्रिक तरीके से काम नहीं हो सकता। हम संयम बरते हुए हैं। आंदोलनकारी मंत्रियों-विधायकों का विरोध कर रहे हैं। हमारी जिम्मेदारी है जनता के बीच जाना और उनकी सुनवाई करना।
आंदोलनकारी पूरी तरह से अलोकतांत्रिक बात कर रहे हैं और हम फिर भी संयम बरते हुए हैं। बर्दाश्त कर रहे हैं लेकिन संयम बरतने की भी सीमा होती है। अगर सीमा से आगे बढ़े तो यह किसी के हित में नहीं होगा।
एक सवाल के जवाब में सीएम ने कहा कि आंदोलनकारियों ने लिखकर दिया है कि वे हिंसात्मक कार्रवाई नहीं करेंगे। अगर हुई तो पुलिस एफआईआर भी दर्ज होगी और कोर्ट से नोटिस भी जाएंगे। पूर्ववर्ती सरकारों का जिक्र करते हुए सीएम ने मंढियाली व कंडेला कांड का भी मुद्दा उठाया। खट्टर ने कहा कि दिल्ली के रास्ते खोलने को लेकर भी बातचीत चल रही है। हमारी कोशिश है कि जल्द रास्ते खुलें ताकि आम लोगों की दिक्कतें दूर हों। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने किसानों के लिए जितनी योजनाएं शुरू की हैं, उतनी पहले कभी नहीं हुई। केंद्र सरकार द्वारा केवल धान व गेहूं की खरीद ही न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर होती है लेकिन हरियाणा सरकार 17 से अधिक फसलें एमएसपी पर खरीद ही है। इस साल जौ और तिल की खरीद भी एमएसपी पर की गई है।
‘हम शुरू कर चुके अपने टोल, बाकी भी होंगे’- सीएम ने कहा कि हरियाणा सरकार कुंडली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेस-वे पर टोल शुरू करवा चुकी है। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने हरियाणा के सभी टोल खुलवाने की बात कही तो हमने साफ तौर पर कहा कि यह केंद्र की प्रॉपर्टी है और वे टोल शुरू करवाएं। प्रदेश सरकार की मदद की जरूरत पड़ेगी तो हम इसके लिए तैयार हैं। उन्होंने संकेत दिए कि जल्द ही केंद्र के स्तर पर टोल खुलवाने को लेकर एक्शन हो सकता है।
पंजाब चुनावों का भी असर- सीएम ने कहा कि आंदोलनकारी वास्तव में किसान नहीं हैं। जो किसान हैं, उन्हें तीनों कानूनों से कोई आपत्ति नहीं है। पंजाब में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं, इसलिए भी कांग्रेस इस आंदोलन को हवा दे रही है। सरकार को बदनाम करने में कांग्रेस के साथ दूसरे राजनीतिक दल भी सहयोग कर रहे हैं। कुरुक्षेत्र में किसानों द्वारा आमंत्रित किए जाने से जुड़े सवाल पर सीएम ने कहा कि किसानों के प्रतिनिधिमंडल ने 15 दिन का समय लिया है। इसके बाद वे आएंगे तो कुरुक्षेत्र जाने का कार्यक्रम तय करेंगे। उन्होंने कहा, गत दिवस भी चरखी दादरी से एक वकील का फोन आया था और वे वहां किसान सम्मेलन में मुझ आमंत्रित करना चाहते हैं।
‘हम डटकर लड़ेंगे ऐलनाबाद उपचुनाव’- इनेलो प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला द्वारा ऐलनाबाद उपचुनाव को लेकर गठबंधन सरकार पर लगाए आरोपों पर सीएम ने पलटवार किया है। अभय ने यहां तक कहा था कि सरकार हारने के डर से उपचुनाव नहीं होने दे रही है। इस पर सीएम ने कहा कि कोविड-19 की वजह से केंद्रीय चुनाव आयोग ने उपचुनाव टाले हुए हैं। चुनाव आयोग जब भी चुनावों का कार्यक्रम तय करेगा, हम उसके लिए तैयार हैं। गठबंधन सरकार डटकर ऐलनाबाद उपचुनाव लड़ेगी। यहां प्रत्याशी भाजपा का होगा या जेजेपी का, यह दोनों पार्टियां मिलकर तय करेंगी। अगले दस-पंद्रह दिनों में उपचुनाव की स्थिति स्पष्ट होने के संकेत भी उन्होंने दिए।
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