BBMB Water Distribution Punjab Haryana Dispute के तहत भाखड़ा नांगल बांध (Bhakra Nangal Dam) से हरियाणा (Haryana) के लिए पानी छोड़ते ही पंजाब (Punjab) और हरियाणा के बीच जल बंटवारे की पुरानी लड़ाई फिर से सुर्खियों में आ गई। बुधवार को भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (Bhakra Beas Management Board – BBMB) ने हरियाणा के लिए पानी छोड़ा, जिसके बाद पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान (Bhagwant Mann) ने हरियाणा को स्पष्ट संदेश देते हुए कहा कि वे अपने हिस्से के पानी का विवेकपूर्ण तरीके से उपयोग करें क्योंकि पंजाब के पास अतिरिक्त पानी की एक बूंद भी नहीं है।
यह घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ जब आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party – AAP) के कार्यकर्ता पिछले एक महीने से भाखड़ा नांगल बांध (Bhakra Nangal Dam) पर धरना दे रहे थे, ताकि हरियाणा को अतिरिक्त पानी न दिया जाए। भगवंत मान ने अपने संबोधन में कहा कि नए जल बंटवारे चक्र के अनुसार पानी छोड़ा गया है लेकिन हरियाणा को इसे सोच-समझकर इस्तेमाल करना चाहिए। मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद आप कार्यकर्ताओं ने अपना विरोध प्रदर्शन समाप्त कर दिया।
मान ने बताया कि यह उनका इस महीने बांध का चौथा दौरा है और कहा कि “हमने BBMB अधिकारियों को हरियाणा को अतिरिक्त पानी छोड़ने से रोका, यह AAP कार्यकर्ताओं की बड़ी जीत है।” उन्होंने आगे कहा कि पिछली सरकारों ने पंजाब के हिस्से का पूरा उपयोग नहीं किया लेकिन मौजूदा सरकार ने पहली बार 91% पानी खुद इस्तेमाल किया है और भविष्य में भी अपने हिस्से का एक बूंद पानी भी साझा नहीं किया जाएगा।
पानी बंटवारे को लेकर क्यों बढ़ा विवाद?
इस विवाद की शुरुआत 23 अप्रैल से हुई जब हरियाणा की भाजपा (BJP) सरकार, मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी (Nayab Singh Saini) के नेतृत्व में, BBMB से 8,500 क्यूसेक पानी छोड़ने की मांग कर रही थी। यह मांग हरियाणा के सामान्य हिस्से से 4,500 क्यूसेक अधिक थी, जिसे राज्य ने अपने पश्चिमी जिलों में पीने के पानी की कमी का हवाला देकर उचित ठहराया। इस मांग पर बीबीएमबी के अन्य सदस्य राज्य – राजस्थान (Rajasthan) और दिल्ली (Delhi) ने समर्थन में वोट किया, जबकि हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) ने मतदान नहीं किया। पंजाब ने इस प्रस्ताव के खिलाफ वोट दिया और आप कार्यकर्ताओं ने बांध के गेट की घेराबंदी कर दी।
जल बंटवारे का नया चक्र कैसे तय हुआ?
बढ़ते विवाद के बीच 15 मई को BBMB की बैठक में नया जल बंटवारा तय किया गया, जिसमें 21 मई से पंजाब को 17,000 क्यूसेक, राजस्थान को 12,400 क्यूसेक और हरियाणा को 10,300 क्यूसेक पानी देने का निर्णय हुआ। भगवंत मान ने दावा किया कि पिछले चक्र के अनुसार हरियाणा को 15.06 लाख क्यूसेक पानी आवंटित किया गया था, जबकि उसने 16.48 लाख क्यूसेक का उपयोग किया। इसके बावजूद हरियाणा ने अतिरिक्त पानी की मांग की, जिसे पंजाब सरकार ने खारिज कर दिया।
मुख्यमंत्री मान के अनुसार, “पंजाब अब जाग चुका है और अपने जल अधिकारों के लिए लड़ने को तैयार है। हमने यह सुनिश्चित किया है कि हरियाणा को केवल उतना ही पानी दिया जाए जितना उसे वास्तव में आवंटित है।”