चंडीगढ़, 12 नवंबर (The News Air): शिरोमणी अकाली दल की वरिष्ठ नेता और बठिंडा सांसद बीबा हरसिमरत कौर बादल ने आज स्कूलों में जागरूकता को बढ़ाने नशे के दुरूपयोग से जुड़े जोखिमों पर प्राथमिक शिक्षा सुनिश्चित करने और आने वाली पीढ़ियों के स्वास्थ्य और भलाई के लिए नशे से मुक्त वातावरण को बढ़ावा देने के लिए बच्चों में नशे के दुरूपयोग की रोकथाम संबंधी विधेयक,2024 पेश किया ।
संसद में पेश निजी विधेयक का मकसद बच्चों और नौजवानों में ड्रग्ज के दुरूपयोग की बढ़ती चिंता को दूर करना है। विधयेक पेश करते हुए बीबा बादल ने कहा कि स्कूलों में निवाक शिक्षा का अनिवाय करके विधेयक का मकसद कम उम्र से ही जागरूकता पैदा करना है,जिससे बच्चे मादक पदार्थों के सेवन के खतरों को पहचान सकें और उनके दुरूपयोग से बच सकें तथा सोच-समझकर सही ढ़ंग से चल सकें।
विधेयक में कहा गया है कि इसका मकसद सभी शैक्षणिक संस्थानों में पाठयक्रम के एक हिस्से के रूप में निवारक नशीली दवाओं की शिक्षा को अनिवार्य रूप में शामिल करना है। उन्होने कहा कि इसमें बच्चों को नशीले पदार्थों के दुरूपयोग के स्वास्थ्य , कानूनी और सामाजिक परिणामों के बारे में शिक्षित करना और शिक्षकों और अभिभावकों को ड्रग्ज के दुरूपयोग के संकतों की पहचान करने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करना शामिल होना चाहिए।
बठिंडा सांसद ने केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) और राज्य शिक्षा बोर्डों को स्कूलों में पाठयेतर गतिविधि यां स्वास्थ्य शिक्षा कार्यक्रमों के हिस्से के रूप में ड्रग्ज की रोकथाम संबंधी शिक्षा शुरू करनी चाहिए। उन्होने कहा कि कार्यक्रम में इन नशीली वाओं के इस्तेमाल से शारीरिक और मानसिक प्रभावों के साथ-साथ कानूनी दंड और नशीली दवाओं के उपयोग से जुड़े सामाजिक मुददों पर शिक्षा पर ध्यान केंदित करने वाले उम्र के हिसाब से उचित पाठ शामिल किए जाने चाहिए। उन्होने कहा कि कार्यक्रम कें बच्चों में सोच-समझकर चुनाव करने और साथियों के दबाव से बचने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
अकाली नेता ने कहा कि शिक्षकों को छात्रों को ड्रग्ज के दुरूपयोग से जुड़े जोखिमों के बारे में प्रभावी ढ़ंग से बताने के साथ-साथ संभावित नशीली दवाओं के दुरूपयोग के शुरूआती संकेंतों की पहचान करने के लिए प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। उन्होने कहा कि शिक्षा मंत्रालय द्वारा स्वास्थ्य मंत्रालय के सहयोग से एक समर्पित प्रशिक्षण कार्यक्रम भी विकसित किया जाना चाहिए ताकि शिक्षकों को आवश्यक ज्ञान और कौशल से लैस किया जा सके।
बीबा बादल ने कहा कि शिक्षा मंत्रालय शैक्षिक साम्रगी विकसित करने और वितरित करने और कार्यक्रम को प्रभावशाली बनाने के लिए निगरानी करने के लिए समय-समय पर आकलन करने के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के साथ समन्वय करना चाहिए। उन्होने कहा कि कार्यान्वयन की निगरानी के लिए जिला स्तर पर शैक्षणिक संस्थानों, कानून प्रवर्तन और सार्वजनिक स्वास्थ्य विभागों के सदस्यों को शामिल करते निगरानी कमेटी बनाई जानी चाहिए। इस एक्ट के प्रावधानों का पालन करने में नाकाम रहने वाले संस्थानों को जुर्माना यां मान्यता रदद करने सहित प्रशासनिक दंड का सामना करना पड़ सकता है।
अकाली नेता ने कहा कि बाॅम, इनहेलेंटस्, कफ सिरप जैसे पदार्थों के दुरूपयोग को मौजूदा कानूनी प्रावधानों के तहत लाया जाना चाहिए और नाबालिगों से जुड़े अपराधों के लिए विशेष दंड का प्रावधान किया जाना चाहिए।