जामनगर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट मनीष नंदनी ने यह कहते हुए पटेल एवं अंकित घडिया को सभी आरोपों से मुक्त कर दिया कि अभियोजन पक्ष संदेह से परे अपना मामला सिद्ध नहीं कर पाया और यहां तक कि शिकायतकर्ता अब सेवानिवृत सरकारी कर्मी शिकायत की सारी बातों से परिचित नहीं है।
जामनगर ‘ए’ संभाग थाने में दर्ज प्राथमिकी के अनुसार तब पाटीदार अनामत आंदोलन समिति के बैनर तले पाटीदार आंदोलन की अगुवाई कर रहे पटेल ने चार नवंबर, 2017 को जामनगर जिले के धातुरपुर गांव में एक रैली में ‘राजनीतिक’ भाषण दिया था। उसके एक महीने बाद गुजरात विधानसभा चुनाव हुए थे। उस कार्यक्रम से पूर्व घडिया ने मामलातदार से इस आधार पर अनुमति मांगी थी कि पटेल सभा में शिक्षा एवं समाज सुधार पर भाषण देंगे।
अभियोजन पक्ष ने कहा कि अनुमति बस उसी आधार पर दी गयी थी। हालांकि, पटेल पर आरोप लगा कि जिन शर्तों के साथ इस रैली की अनुमति दी गयी थी, उनका उन्होंने उल्लंघन करते हुए ‘राजनीतिक भाषण’ दिया। उनपर और जामनगर के घडिया पर गुजरात पुलिस अधिनियम की धाराओं 36 (ए), 72(2) और 134 के तहत मामला दर्ज किया गया।
इन धाराओं का संबंध सरकारी आदेश की अवहेलना से है। अपने आदेश में मजिस्ट्रेट नंदनी ने कहा कि अभियोजन यह स्पष्ट नहीं कर पाया कि करीब 70 दिनों बाद क्यों प्राथमिकी दर्ज की गयी और पटेल के भाषण वाली सीडी किसके पास थी। आदेश में कहा गया है कि अनुमति की मांग करते हुए जो आवेदन मामलातदार को सौंपा गया उसमें न तो पटेल और न ही घडिया के हस्ताक्षर हैं। मजिस्ट्रेट ने यह भी कहा कि न केवल गवाह बल्कि शिकायकर्ता कीर्ति संघवी को भी भाषण की सामग्री की जानकारी नहीं थी।