सुप्रीम कोर्ट (SC) ने पिछले साल एक वीडियोग्राफिक सर्वे के दौरान वाराणसी (Varanasi) के ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Masjid) परिसर में पाए गए एक “शिवलिंग” (Shivling) के कार्बन डेटिंग (Carbon Dating) समेत “वैज्ञानिक सर्वे” (Scientific Survey) को शुक्रवार को टाल दिया। शीर्ष अदालत ने आर्कलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) की तरफ से कार्बन डेटिंग के निर्देश वाले इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी और नोटिस जारी किया। ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन समिति की ओर से वरिष्ठ वकील हुजेफा अहमदी ने अदालत को बताया, “कार्बन डेटिंग सोमवार से शुरू होनी है।”
हाई कोर्ट ने 12 मई को मॉर्डन तकनीक का इस्तेमाल करते हुए वाराणसी में मस्जिद में ‘शिवलिंग’ होने का दावा करने वाले ढांचे की उम्र का पता लगाने का आदेश दिया था। इसने वाराणसी जिला न्यायालय के 14 अक्टूबर के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें मई 2022 में काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में ज्ञानवापी मस्जिद के अदालत की तरफ से अनिवार्य सर्वे के दौरान मिले ढांचे की कार्बन डेटिंग समेत वैज्ञानिक जांच की याचिका खारिज कर दी गई थी।
हाई कोर्ट के आदेश के बाद, वाराणसी की एक स्थानीय अदालत ने 16 मई को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की तरफ से पूरे ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के सर्वे के लिए एक याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति जताई थी।
हालांकि, मस्जिद के अधिकारियों ने कहा है कि संरचना ‘वजू खाना’ में एक फव्वारे का हिस्सा है, जहां नमाज से पहले हाथ, पैर और मुंह धोते हैं।
चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने ‘शिवलिंग’ के वैज्ञानिक सर्वे और कार्बन डेटिंग के हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ मस्जिद समिति की याचिका पर केंद्र, उत्तर प्रदेश सरकार और हिंदू याचिकाकर्ताओं को नोटिस जारी किए।
पीठ ने कहा, “क्योंकि विवादित आदेश के निहितार्थों की बारीकी से जांच की जानी चाहिए, इसलिए आदेश में संबंधित निर्देश लागू करने का फैसला अगली तारीख तक स्थगित रहेगा।”
बेंच में जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन भी शामिल थे।
शीर्ष अदालत संरचना की उम्र का पता लगाने के लिए कार्बन डेटिंग सहित “वैज्ञानिक सर्वे” करने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
‘शिवलिंग’ के प्रस्तावित वैज्ञानिक सर्वेक्षण को फिलहाल स्थगित करने की दलील पर केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार दोनों ने सहमति व्यक्त की है।