GPS Spoofing in India: देश के हवाईअड्डों की सुरक्षा को लेकर एक बड़ी और चिंताजनक खबर सामने आई है। दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, हैदराबाद, अमृतसर, बेंगलुरु और चेन्नई जैसे देश के प्रमुख और व्यस्त हवाईअड्डों पर उड़ान भरने वाली फ्लाइट्स के जीपीएस (GPS) डेटा के साथ छेड़छाड़ की घटनाएं दर्ज की गई हैं। यह खुलासा खुद केंद्र सरकार ने संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान किया है, जिसने हवाई सफर की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू ने राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में स्वीकार किया है कि देश के कई बड़े एयरपोर्ट्स के पास ‘जीपीएस स्पूफिंग’ और ‘GNSS इंटरफेरेंस’ की घटनाएं सामने आई हैं। यह सीधे तौर पर हवाई सुरक्षा से जुड़ा मामला है, जिसे हल्के में नहीं लिया जा सकता।
क्या है जीपीएस स्पूफिंग और इसका खतरा?
जीपीएस स्पूफिंग एक ऐसी तकनीक है जिसके जरिए विमान के सैटेलाइट-आधारित नेविगेशन सिस्टम को गलत संकेत भेजे जाते हैं। इससे पायलट को विमान की सही स्थिति, ऊंचाई या दिशा का पता लगाने में मुश्किल हो सकती है, खासकर टेक-ऑफ और लैंडिंग के दौरान। यह समस्या तब और गंभीर हो जाती है जब कोई फ्लाइट लैंड करने वाली हो और उसे रनवे के सही संकेत न मिलें। दिल्ली के आईजीआई एयरपोर्ट पर भी एक ऐसी घटना सामने आई थी जब जीपीएस से छेड़छाड़ के कारण फ्लाइट की लैंडिंग समय पर नहीं हो सकी थी।
सरकार का जवाब और सुरक्षा के उपाय
मंत्री राम मोहन नायडू ने संसद को बताया कि सैटेलाइट संकेतों में यह दखल उड़ानों की सुरक्षा के लिहाज से “बहुत गंभीर” है। उन्होंने जानकारी दी कि नवंबर 2023 में ही डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) ने सभी एयरलाइंस और एयरपोर्ट्स को ऐसे मामलों की अनिवार्य रिपोर्टिंग के निर्देश दिए थे।
सरकार ने संसद को आश्वस्त किया है कि निगरानी और तकनीकी जांच को और मजबूत किया गया है। सभी बड़े हवाईअड्डे ऐसे मामलों को नियमित रूप से दर्ज कर रहे हैं ताकि किसी भी संभावित खतरे पर तुरंत कार्रवाई की जा सके। मंत्री ने यह भी बताया कि जब भी सैटेलाइट नेविगेशन में कोई दिक्कत आती है, तो भारत में मौजूद जमीन-आधारित पारंपरिक नेविगेशन और सर्विलेंस सिस्टम (न्यूनतम ऑपरेटिंग नेटवर्क) उड़ानों को सुरक्षित रूप से संचालित करने में सक्षम होता है।
साइबर हमले का अंदेशा
यह पूरा मामला अब साइबर हमले से भी जोड़कर देखा जा रहा है। सवाल उठ रहा है कि आखिर वह कौन है जो देश के इतने महत्वपूर्ण और सुरक्षित माने जाने वाले स्थानों के जीपीएस सिस्टम के साथ छेड़छाड़ करने की क्षमता रखता है? क्या इसके पीछे कोई आतंकी साजिश भी हो सकती है? सरकार ने भी इसे एक तरह का साइबर खतरा माना है और इस पर कार्रवाई की योजना बनाई जा रही है।
आम आदमी पर क्या असर?
इस तरह की घटनाएं सीधे तौर पर हवाई यात्रियों की सुरक्षा से जुड़ी हैं। एक विमान में सैकड़ों लोग सवार होते हैं और नेविगेशन सिस्टम में जरा सी भी चूक उनकी जान जोखिम में डाल सकती है। ऐसे में सरकार द्वारा इस खतरे को स्वीकार करना और सुरक्षा बढ़ाने के कदम उठाना जरूरी है ताकि आम जनता बिना किसी डर के हवाई सफर कर सके।
मुख्य बातें (Key Points)
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दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद, कोलकाता, अमृतसर और चेन्नई एयरपोर्ट्स पर GPS स्पूफिंग की घटनाएं।
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नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू ने राज्यसभा में इन घटनाओं की पुष्टि की।
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यह एक गंभीर सुरक्षा खतरा है जो फ्लाइट्स के टेक-ऑफ और लैंडिंग को प्रभावित कर सकता है।
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सरकार ने निगरानी और तकनीकी जांच को मजबूत करने की बात कही है।
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यह साइबर हमले का मामला है और सरकार कार्रवाई की योजना बना रही है।






