पंजाब, 22 अक्टूबर (The News Air): प्रदेश में धान के अवशेष रोकने के लिए सरकार और स्थानीय प्रशासन पूरे प्रयास कर रहे हैं। बावजूद इसके किसान मानने को तैयार नहीं हैं और अपने खेतों में धान के अवशेषों को धड़ल्ले से आग लगा रहे हैं। इसका नतीजा यह निकल रहा है कि प्रदेश में वायु प्रदूषण खतरनाक तरीके से बढ़ रहा है। एक्यूआई भी बहुत ज्यादा खराब स्थिति में दर्ज किया जा रहा है। एक तरफ जहां सरकार किसानों से विनम्रतापूर्ण तरीके से धान के अवशेष न जलाने की अपील कर रही है। वहीं अब सरकार ने ऐसे किसानों पर सख्ती करनी शुरू कर दी है जो लगातार धान के अवशेष जला रहे हैं।
किसानों को जागरूक करने की हर संभव कोशिश कर रहे : शुक्ला
विशेष पुलिस महानिदेशक (विशेष डीजीपी) कानून और व्यवस्था अर्पित शुक्ला ने कहा कि पिछले कुछ दिनों में डीसीज/एसएसपीज द्वारा 522 और एसडीएमज/डीएसपीज द्वारा 981 संयुक्त दौरे किए गए हैं, जिनके दौरान उन्होंने 2504 जन जागरूकता बैठकें और 2457 किसानों/किसान यूनियनों के साथ बैठकें की गई हैं। विशेष डीजीपी ने कहा कि पराली जलाने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा रही है।
सेटलाइट की मदद से कर रहे कार्रवाई
शुक्ला ने बताया कि अब तक राज्य में सेटलाइट के माध्यम से 1393 खेतों में पराली जलाने की घटनाओं का पता चलने के बाद संयुक्त टीमों को मौके पर जांच के लिए भेजा गया। उन्होंने बताया कि पुलिस टीमों ने 874 मामलों में एफआईआर दर्ज की हैं, जबकि 471 स्थानों पर पराली जलाने का कोई मामला नहीं पाया गया। हालांकि, 471 मामलों की डेली डायरी रिपोर्ट (डीडीआर) संबंधित पुलिस थानों में दर्ज की गई है।
उन्होंने बताया कि एफआईआर दर्ज करने के अलावा, 397 मामलों में 10.55 लाख रुपये का जुमार्ना भी लगाया गया है और 394 किसानों के राजस्व रिकॉर्ड में रेड एंट्री की गई है। गौरतलब है कि पुलिस थानों के अधिकार क्षेत्र और कर्मचारियों की संख्या के आधार पर पर्याप्त संख्या में अतिरिक्त गश्त दल और फ्लाइंग स्क्वॉड पराली जलाने की गतिविधियों पर लगातार नजर रख रहे हैं।