Foreign Corrupt Practices Act (FCPA): अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने एक चौंकाने वाला फैसला लेते हुए फॉरेन करप्ट प्रैक्टिसेज एक्ट 1977 (Foreign Corrupt Practices Act – FCPA 1977) को खत्म करने का आदेश जारी कर दिया है।
इस फैसले का सबसे बड़ा फायदा भारत के दिग्गज उद्योगपति गौतम अडानी (Gautam Adani) को मिल सकता है, क्योंकि इसी कानून के तहत उनके खिलाफ जांच चल रही थी। ट्रंप ने यह आदेश सोमवार आधी रात को जारी किया और कहा कि विदेशों में व्यापार पाने के लिए किसी कंपनी या व्यक्ति पर रिश्वत देने का मुकदमा नहीं चलाया जाएगा।
क्या है Foreign Corrupt Practices Act 1977?
फॉरेन करप्ट प्रैक्टिसेज एक्ट (FCPA) अमेरिका का एक कड़ा एंटी-करप्शन कानून है, जिसे 1977 में लागू किया गया था।
- इस कानून का मकसद था किसी भी अमेरिकी कंपनी या विदेशी कंपनी को भ्रष्टाचार करने से रोकना।
- यदि कोई अमेरिकी कंपनी या अमेरिकी स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध कोई विदेशी कंपनी किसी अन्य देश में रिश्वत देकर बिजनेस डील करती है, तो उसके खिलाफ FCPA के तहत सख्त कार्रवाई की जा सकती थी।
- अमेरिकी सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (SEC) और जस्टिस डिपार्टमेंट (DOJ) इस कानून के तहत जांच और मुकदमा चलाते थे।
Trump के फैसले से Adani को कैसे मिलेगी राहत?
गौतम अडानी की कंपनियों का नाम अमेरिकी स्टॉक एक्सचेंज से जुड़ा हुआ है और FCPA के तहत उन पर संभावित जांच की जा रही थी।
- अमेरिकी नियामक संस्थाएं अडानी समूह की कुछ विदेशी डील्स की जांच कर रही थीं।
- यदि FCPA लागू रहता, तो अडानी ग्रुप को कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता था।
- अब, Donald Trump के इस फैसले के बाद, FCPA की समाप्ति के साथ ही अडानी ग्रुप पर यह कानूनी खतरा टल सकता है।
अडानी पर क्यों हो रही थी जांच?
अडानी ग्रुप की कुछ विदेशी व्यापार डील्स और निवेश को लेकर अमेरिकी नियामकों की नजर थी।
- Hindenburg Research की रिपोर्ट के बाद अडानी ग्रुप पर कई तरह के सवाल उठे थे।
- अमेरिकी वित्तीय एजेंसियां इस बात की जांच कर रही थीं कि कहीं अडानी ग्रुप ने विदेशी बाजारों में बिजनेस बढ़ाने के लिए गैरकानूनी तरीकों का इस्तेमाल तो नहीं किया।
- FCPA के तहत किसी भी अमेरिकी स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध विदेशी कंपनी को भी जांच का सामना करना पड़ सकता था।
Donald Trump का बड़ा बयान – “बिजनेस करने पर मुकदमा नहीं चलेगा”
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने आदेश में कहा, “हमारी कंपनियों और बिजनेस लीडर्स पर विदेशों में व्यापार बढ़ाने के लिए मुकदमा चलाना सही नहीं है। यह कानून अमेरिकी कंपनियों के लिए बाधा बन रहा था, इसलिए इसे खत्म किया जा रहा है।”
ट्रंप ने इस कानून को “बिजनेस विरोधी कानून” करार दिया और कहा कि इससे अमेरिकी और विदेशी कंपनियों को फायदा होगा।
अमेरिकी कंपनियों को भी मिलेगा फायदा
ट्रंप के इस फैसले से सिर्फ अडानी ग्रुप ही नहीं, बल्कि कई अमेरिकी कंपनियों को भी राहत मिलेगी।
- Amazon, Apple, Tesla, Google जैसी अमेरिकी कंपनियां भी विदेशों में बिजनेस डील्स करती हैं।
- पहले उन्हें यह सुनिश्चित करना पड़ता था कि कोई भी रिश्वत या गैरकानूनी भुगतान नहीं किया जाए।
- अब FCPA खत्म होने के बाद ये कंपनियां ज्यादा रिलैक्स्ड रेगुलेशंस में काम कर पाएंगी।
भारत और दुनिया पर क्या असर होगा?
- भारतीय कंपनियों को राहत: भारत की उन कंपनियों को राहत मिलेगी, जो अमेरिकी स्टॉक मार्केट में लिस्टेड हैं।
- अमेरिका का निवेश बढ़ सकता है: अमेरिकी कंपनियां अब भारत जैसे देशों में बिना सख्त रेगुलेशन के बिजनेस कर पाएंगी।
- दूसरे देशों में विवाद: कई यूरोपीय और एशियाई देश इस फैसले का विरोध कर सकते हैं, क्योंकि इससे ग्लोबल करप्शन बढ़ सकता है।
क्या Biden प्रशासन इस फैसले को पलट सकता है?
डोनाल्ड ट्रंप के इस फैसले पर अमेरिका में राजनीतिक विवाद भी शुरू हो सकता है।
- जो बाइडेन (Joe Biden) की सरकार इसे पुनः लागू करने का प्रयास कर सकती है।
- अमेरिकी डेमोक्रेट्स (Democrats) पहले भी FCPA को सख्त बनाए जाने की मांग कर चुके हैं।
- अगर बाइडेन प्रशासन सत्ता में बना रहता है, तो यह फैसला स्थायी नहीं हो सकता।
निष्कर्ष: अडानी ग्रुप के लिए राहत भरी खबर!
Donald Trump के इस फैसले से गौतम अडानी और उनकी कंपनियों को बड़ी राहत मिली है।
- FCPA खत्म होने के बाद, अडानी ग्रुप के खिलाफ चल रही संभावित जांच बंद हो सकती है।
- यह फैसला अमेरिकी और भारतीय कंपनियों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।
- हालांकि, बाइडेन प्रशासन इसे दोबारा लागू कर सकता है, जिससे मामला पलट भी सकता है।
अब सवाल यह है कि क्या जो बाइडेन सरकार इस फैसले को बदलेगी या ट्रंप का यह आदेश स्थायी रहेगा?