गगनयान मिशन की ट्रैकिंग स्टेशन साइट फाइनल, ऑस्ट्रेलियाई स्पेस एजेंसी के साथ ISRO का बिग प्लान जानिए

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ISRO

नई दिल्ली : भारत अपने पहले मानव अंतरिक्ष मिशन ‘गगनयान’ की तैयारी में लगा हुआ है। इसके लिए कई मानव रहित परीक्षण और उड़ानें की जाएंगी। इस मिशन में ऑस्ट्रेलिया का भी अहम योगदान है। ऑस्ट्रेलियाई अंतरिक्ष एजेंसी (एएसए) के प्रमुख एनरिको पलेर्मो ने बताया है कि गगनयान मिशन के लिए ऑस्ट्रेलिया के कोकोस (कीलिंग) द्वीप में अस्थायी ग्राउंड स्टेशन तैयार किया जा रहै। इसमें ट्रैकिंग सिस्टम के निर्माण से जुड़ी प्लानिंग भी शामिल है।

जानिए ऑस्ट्रेलियाई अंतरिक्ष एजेंसी के प्रमुख ने क्या कहा

एएसए के प्रमुख एनरिको पलेर्मो ने बताया कि भारतीय दल ने इन द्वीपों का दौरा किया, साइट का सर्वे भी किया है और पुष्टि की है कि यह अस्थायी ग्राउंड स्टेशन के लिए सही जगह है। वे अब इन ट्रैकिंग सिस्टम की स्थापना के लिए एक ऑस्ट्रेलियाई प्रोजेक्ट मैनेजर के साथ काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि हम सरकार से सरकार के बीच हर दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए इसके कार्यान्वयन के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने आगे बताया कि भारत ने इन द्वीपों को इसलिए चुना है कि जब आप गगनयान उड़ान के प्रक्षेपवक्र को देखते हैं, तो यह ट्रैकिंग टेलीमेट्री और नियंत्रण करने के लिए सबसे उपयुक्त स्थान है।

ट्रैकिंग के साथ इमरजेंसी सपोर्ट में भी करेगी योगदान

पलेर्मो ने कहा कि उनकी टीम इस सप्ताह इसरो के साथ मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम पर आगे सहयोग पर चर्चा करेगी। ट्रैकिंग स्टेशन तो बस पहला कदम है। उन्होंने कहा कि हम भारत को उन परिदृश्यों में सहायता प्रदान करने पर भी काम कर रहे हैं जहां उन्हें इमरजेंसी सीनेरियो का सामना करना पड़ सकता हैं। फिर से, अगर अंतरिक्ष यान के ट्रेजेक्टरी को देखते हैं, अगर कोई विफलता होती है और क्रू मेंबर्स को वापसी की आवश्यकता होती है, तो यह ऑस्ट्रेलियाई क्षेत्र में होगा।

इमरजेंसी के हालात में भारत का करेगी सहयोग

पलेर्मो ने कहा कि एएसए यह सुनिश्चित कर रहा है कि अगर इस मामले में कोई आकस्मिकता आती है तो वह भारत का समर्थन करने के लिए मौजूद है। उन्होंने आगे कहा कि वहां से, एएसए भारत के साथ यह तलाश कर रहा है कि हम विज्ञान में भागीदार, उद्योग में भागीदार होने के नाते गगनयान में कैसे योगदान दे सकते हैं। पलेर्मो ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया एप्लाईड स्पेस मेडिसिन, लाइफ साइंसेंज में विशेषज्ञता ला सकता है। अगर अंटार्कटिका में हमारे काम या ऑस्ट्रेलिया में रिमोट मेडिसिन को देखें, तो यह मानव अंतरिक्ष उड़ान में बेहद ट्रांसफरेबल है।

ASA का रोबोटिक को लेकर खास प्लान

पलेर्मो ने कहा कि जैसे-जैसे रोबोटिक अन्वेषण के लिए महत्वाकांक्षाएं बढ़ रही हैं, हम ऑस्ट्रेलिया के रोबोटिक्स और स्वायत्तता अनुभव को बढ़ाने में जुटे हैं। हमारी कोशिश है कि अन्य क्षेत्रों में ऑप्टिकल संचार हो सके। ऑस्ट्रेलिया भारतीय फर्मों के साथ ऑस्ट्रेलियाई फर्मों के सहयोग को भी फंडिंग कर रहा है, जिनमें से तीन प्रोजेक्ट तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। पलेर्मो ने कहा कि हम डील के तहत भारत से लॉन्च किए गए कम से कम दो सैटेलाइट पर नजर रखेंगे। NSIL के साथ स्पेस मशीन्स के लिए एक समर्पित SSLV लॉन्च और फिर हम स्काईरूट के साथ LatConnect 60 सैटेलाइट लॉन्च देखेंगे। ये यहां भारत में आने वाली लॉन्च स्टार्टअप कंपनियों में से एक है।

एएसए और इसरो और प्रोजेक्ट में कर रहे सपोर्ट

इससे पता चलता है कि एएसए और इसरो क्वाड स्पेस वर्किंग ग्रुप के तहत कुछ पहल पर सहयोग कर रहे। उन्होंने कहा, इनमें यह देखना शामिल है कि हम भारत के नेतृत्व वाले प्रस्ताव अत्यधिक बारिश को कैसे संभाल सकते हैं। ये जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के रूप में अधिक एक्टिव होता जा रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले साल जी20 समारोह के हिस्से के रूप में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी20 जलवायु सैटेलाइट का ऐलान किया है। ऑस्ट्रेलिया यह देख रहा कि वो विभिन्न अर्थ ऑब्जर्वेशन टेक्नोलॉजी में उस उपग्रह के पेलोड में कैसे योगदान कर सकते हैं।

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